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हलाल प्रतिबन्ध?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किया हलाल प्रतिबन्ध।
अचानक से लिया गया हलाल प्रतिबन्ध का फैसला फर्जी प्रमाणीकरण कंपनियों पर नकेल या चुनावी दांव पेच ?
हलाल प्रतिबंधित जब्त माल की क्षतिपूर्ति दुकानदारों और निर्माताओं को कैसे होगी ?
उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल सर्टिफिकेट को प्रतिबंधित कर दिया गया है। उ.प्र.सरकार ने यह फैसला हजरतगंज के एक व्यापारी शैलेंद्र कुमार शर्मा द्वारा नकली हलाल सर्टिफिकेट को लेकर हुई FIR करवाने के बाद लिया है।
यह मामला हलाल प्रमाणिकता के भारतीय कानून व खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा या किसी भी सरकारी संस्था द्वारा प्रमाणित नहीं होने व मनमर्जी प्रमाणपत्र बांटने को लेकर है। लेकिन अखबारों और मिडिया द्वारा यह खबर ऐसे दिखाई या बताई जा रही है की जैसे हलाल की इस्लामिक मान्यता को ही रद्द कर दिया हो।
हलाल इस्लाम धर्म मान्यता है। मुस्लिम धर्म और धर्मग्रंथों के अनुसार जो खाने पीने की चीज प्रतिबंधित है वो हराम और जो मान्य है वो हलाल है। (हलाल पर बवाल ) हर मुस्लिम देश में हलाल की मान्यताएं कुछ भिन्न भिन्न होती है ,इस लिए हर मुस्लिम देश का हलाल सर्टिफिकेट में भी भिन्नता पायी जाती है। लेकिन अज्ञानता और जानकारी के अभाव में हलाल को लेकर कई गलतफहमियां आम हिंदुस्तानी लोगो में है। जैसे हलाल को सिर्फ मांस से जोड़कर देखना।
बरहाल उ.प्र. सरकार ने हलाल को प्रतिबंधित नहीं किया है। सिर्फ हलाल सर्टिफिकेट को और सर्टिफिकेट प्राप्त उत्पादों को ही प्रतिबंधित किया है। जिसका मांस व्यापार से जुड़े लाइसेंस शुदा छोटे कसाईयो और व्यापारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मात्र कॉर्पोरेट और खान पान से जुड़े हलाल सर्टीफिकेटेड कम्पनी और फैक्ट्री के उत्पाद ही प्रभावित होंगे।
लेकिन उ.प्र. सरकार द्वारा पारित इस प्रतिबन्ध में कई तकनीकी समस्याओं का समाधान अभी तक उजागर नहीं किये है। जिससे इस प्रतिबन्ध को मात्र चुनावी प्रतिबन्ध ही कहा जा सकता है।
उदाहरण के लिए निम्नलिखित कारण
(1)हलाल सर्टिफिकेट पर प्रतिबन्ध कब से लागू हुवा है ?
(2) इस प्रतिबन्ध में कौन कौन से व्यापारिक वर्ग शामिल होंगे। कॉर्पोरेट ,मध्यमवर्गीय उधोग क्षेत्र या सूक्ष्म व अतिसूक्ष्म उधोग ,लघु व कुटीर उधोग ?
(3) इस प्रतिबंध में मांस व्यापार के कौनसे वर्ग पर यह प्रतिबन्ध लागू होगा ?
(4 ) हलाल प्रतिबंध के बाद सभी हलाल सर्टिफिकेट उत्पादों को रिकॉल किया जायेगा ?
(5) हलाल प्रतिबन्ध आयातित उत्पादों पर भी लागू होगा जो अन्य देशो से उत्तर प्रदेश में आते है ?
(6 ) हलाल प्रतिबन्ध में जब्त या नष्ट सामान के लिए दुकानदारों और निर्माताओं के नुकसान की भरपाई कैसे होगी ?
उपरोक्त प्रश्नों को लेकर व्यापारी ,ग्राहक ,और आयात करने वाले सभी लोगो में अनसमझ की स्थिति बनी हुई है। वही कई खाद्य नीति विशेषज्ञों की माने तो ये सिर्फ एक चुनावी प्रोपेगेंडा है। क्यों की राज्य सरकार को खाद्य व प्रोसेस व पैकेज खाद्य उत्पादों को लेकर किसी भी नीति नियम में परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है।
इसके लिए केंद्रीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नियुक्त है। ऐसे में राज्य सरकार का ऐसे प्रतिबंध लगाना केंद्र सरकार को आंख दिखाने के समान है। राज्य सरकार में भी ऐसा नियम किसी विधेयक या अध्यादेश द्वारा ही लाया जा सकता है। राज्य सरकार बिना किसी बहस के यह नियम थोप नहीं सकती है। ऐसे में उ.प्र.सरकार द्वारा दुकानों और मॉल में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों को सीज करने या जब्त करने की कार्यवाही की खबरें भी जोर शोर से मिडिया पर दिखाई जा रही है। जो की किसी भी तरह से न्याय संगत नहीं है।
देश एक बार फिर से नोटबंदी की याद कर सकता है। जिसे रातो रात अचानक लागू कर दिया गया था। ऐसे ही नकली और मनमाने तरीके के हलाल सर्टिफिकेट पर कार्यवाही को मिडिया द्वारा धर्म विशेष के खिलाफ बता कर चुनावो में ध्रुवीकरण किया जा रहा है। जबकि यह कार्यवाही मुसलमानों के पक्ष में है। क्यों की मनमाने तरह हलाल सर्टिफिकेट मुस्लिम धार्मिक मान्यताओं पर ही कुठाराघात है। और ऐसे ही कई धार्मिक प्रमाणीकरण भी अब निशाने पर होंगे जैसे सात्त्विक और सात्विक इंडिया।भारतीय रेलवे द्वारा संचालित ट्रेन वन्दे भारत के खाने को सात्विक सर्टिफिकेट जारी किया हुवा है।
उ.प्र.सरकार द्वारा हलाल प्रमाणित उत्पादों को सीज या नष्ट किया जा रहा है। और अभी तक यह नहीं बताया गया है की इसकी क्षतिपूर्ति दुकानदार और निर्माता को कैसे होगी। जबकि FIR हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली कंपनियों पर ही हुई है। और अभी मात्र FIR ही हुई है। अदालत द्वारा कोई निर्णय नहीं आया है। ऐसे में सरकार द्वारा हलाल पर प्रतिबन्ध और जब्ती की कार्यवाही बिना विधानसभा में किसी सुनवाई के तानाशाह ही कहलायेगी या एक चुनावी दांव पेच ? बरहाल चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का यह आदेश स्थाई रहेगा या इसे हटा लिया जायेगा इस पर फ़ूडमेन की नजर रहेगी।