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हलाल का बवाल-क्या है वास्तविक स्थिति

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हलाल की मुस्लिम मान्यता व हलाल सर्टिफिकेट में फर्क होता है ?

हालही में भारत में हलाल सर्टिफिकेट का बवाल मचा हुवा है। ऐसा इसलिए भी है की वर्तमान भारतीय राजनीति और मीडिया एजेंडों पर आधारित हो चुकी है। और आये दिन नफरती घटनाएँ देखी जा सकती है। इस लेख में हम हलाल सर्टिफिकेट और उसकी मान्यता और लापरवाही के बारे में जानकारी देंगे। हलाल सर्टिफिकेट क्या है। हलाल सर्टिफिकेट अरबी और मुस्लिम देशो में खाद्य पदार्थों के इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार होने की गारंटी देता है। और यह सिर्फ मांस तक ही सिमित नहीं है। बल्कि हर खाद्य वास्तु विशेषकर प्रोसेस और पैकेज्ड फ़ूड के लिए उपयोग में लाया जाता है।

हलाल शब्द पवित्र कुरान ग्रन्थ  से लिया गया है। जिसमे खाद्य तत्वों को इस्लामिक मान्यता के अनुसार हलाल व हराम बताया गया है। इन्ही मान्यताओं के साथ हलाल सर्टिफिकेट बनाया गया है है। जो हर मुस्लिम देश के अनुसार अलग अलग लोगो या निशान के साथ देखे जा सकते है। यह  मुस्लिम देशो में आयात निर्यात के लिए एक जरुरी प्रावधान है। लेकिन भारत के आयात में इसका कोई महत्व नहीं है। 

भारत में हलाल सर्टिफिकेट को लेकर यह भ्रम फैला है की इसका सन्दर्भ सिर्फ मांस उद्योग व मांस आधारित वस्तुओं तक ही सीमित है। जबकि ऐसा नहीं है। भारत से कई खाद्य उद्योग निर्यातक व निर्माता अपनी पैकिंग लागत को कम करने के लिए एक ही पैकिंग में राष्ट्रीय व अंतरास्ट्रीय मानकों के प्रमाणपत्र दर्शाते है। जिससे ही भारत में हलाल सर्टिफिकेट को लेकर भ्रम की स्थिति बानी हुई है।

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भारत से कई खाद्य प्रदार्थ जिसमे नमकीन ,स्नेक्स ,पापड़ ,भुजिया ,चाय आदि खाद्य प्रदार्थो को मुस्लिम देशो में निर्यात करने के लिए हलाल सर्टिफिकेट होना जरुरी है। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर उनको किसी भी तरह से हलाल सर्टिफिकेट लेना जरुरी नहीं है। लेकिन अपनी पैकिंग की लागत कम करने के लिए ये निर्यातक अपनी पैकिंग में निर्यात के सभी प्रमाण पत्र एक ही पैकिंग में छाप देते है। 

भारतीय बाजार में जिस उत्पाद की पैकिंग में हलाल सर्टिफिकेट है। वो मुस्लिम देशो को निर्यात भी किया जाता है। आयात नहीं किया जाता है। भारत में हलाल को लेकर आयत के क्षेत्र में कोई दिशा निर्देश नहीं है। लेकिन अन्य देशो में भी निर्यात की शर्तों में हलाल सर्टिफाइड होना जरुरी है। इसलिए कई निर्यातित उत्पादों पर भी हलाल सर्टिफिकेट देखा जा सकता है।

भारत में निर्यात के लिए FDA व FSSAI की शर्तो व प्रावधानों को ही प्राथमिकता दी जाती है। ऐसा नहीं है की धार्मिक प्रमाणपत्र सिर्फ मुस्लिम देशो के लिए ही है। इजराइल के यहूदी समाज के लिए खाद्य वस्तुओं पर कोशर सर्टिफिकेट लागू होता है। और क्रिश्चियन धर्म के लिए FDA  प्रमाणित होना जरुरी है। भारत में खाद्य सुरक्षा FSSAI द्वारा निर्धारित होती है। जो की FDA के कानून और मान्यताओं की शुद्ध प्रतिलिपि है।

भारत के बहुसंख्यक समाज हिन्दू समाज के लिए धार्मिक दृष्टि से खाद्य उत्पादों के लिए कोई सरकारी खाद्य प्रमाणित प्रमाणपत्र नहीं है। कुछ निजी प्रमाणपत्र संस्थान जरूर है। लेकिन इनकी प्रमाणिकता हमेशा से संदिग्ध रही है। हलाल प्रमाणपत्र की प्रमाणिकता हलाल प्रमाणपत्र मुस्लिम रीति रिवाज व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बनाया गया है।  आधुनिक खाद्य उद्योग में ऐसे कई तत्व है जो हलाल स्वीकार करता है।

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लेकिन मुस्लिम मान्यताओं के अनुसार वह प्रतिबंधित होनी चाहिए। जैसे GMO( genetically modified object ) प्रदार्थ या जैविक रूप से इंसानो द्वारा जीन्स में हेरफेर करके नई उपजाति फसल या जीवो का उत्पादन। इस्लाम में खुदा की बनाये किसी भी जीव जंतु के व्यवहार और जैविकता में हस्तक्षेप प्रतिबंधित है। भारत में अधिकतर उत्पादित नमकीन व स्नेक्स को बिनोला तेल ( cotton seed oil ) से बनाये जाते है।

2018 में ही भारत की कपास की खेती 95 % तक BT कॉटन व GMO हो चुकी है। ऐसे में इनसे उत्पादित उत्पाद मुस्लिम हलाल की दृष्टि से हराम है। लेकिन इन सभी उत्पादकों को हलाल सर्टिफिकेट मिला हुवा है। ऐसे ही कई प्रतिबंधित तत्व है। जो इस्लाम और सनातन दोनों के लिए ही वर्जित है। लेकिन खाद्य उत्पादक इनको FSSAI और हलाल  द्वारा प्रमाणित बताते हुवे उपयोग में ला रहे है। जो हिन्दू आस्था और मुस्लिम आस्था दोनों के लिए ही चिंता  व शोध का विषय होना चाहिए।

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