कंज्यूमर कार्नर
आपके पैकेज फ़ूड में कोनसा तत्व कितना है।
बाजार में कथा कथित पैकेज फ़ूड 100 प्रतिशत प्राकृतिक होने का दावा करते है, लेकिन बात ये समझनी हे कि वो दावा क्या करते है दावा होता है जैसे 100 प्रतिशत प्राकृतिक फ्रूट जूस से बना यानी की जो भाग फ्रूट का लिया है वो प्राकृतिक है। जो की स्वाभाविक है और बाकी के तत्वों की जानकारी पैकेट के पीछे होती है जो की विज्ञापनों में नहीं बताई जाती है।
क्या आप भी पैकेज फ़ूड के लेबल में लिखी सामग्री पढ़ते है ?
क्या आप भी हिसाब रखते है। की पैकेज फ़ूड के हानिकारक तत्व की मात्रा तय दैनिक सीमा से अधिक तो नहीं उपभोग कर रहे।
आपके पैकेज फ़ूड में कौनसे तत्व कितनी मात्रा में है। और किसी विशेष तत्व की मात्रा आप दैनिक सीमा से अधिक तो उपभोग में तो नहीं हो रही। ये सब जानने के लिए साधारण फ़ूड और पैकेज फ़ूड में समाहित तत्वों का ज्ञान रखना बहुत जरुरी होता है
फ़ूड लेबल में खाद्य अवयवों की जानकारी होती है। की कितनी मात्रा में किसी तत्व की मात्रा है।
एक वाजिब सवाल है कितने में कितना ? खाद्य भाषा में किसी भी वस्तु विशेष में कितनी वस्तु विशेष की मात्रा का होना होता है। हम लोग प्राय अपने लिए कोई भी खाने पीने की वस्तु को उसके मूल्य और मात्रा में ही परखते है और उसी पर ध्यान देते है। जैसे एक किलो आम 80 रु के है तो हमें पता है की हमें कितने आम लेना है या हमें कितने के आम लेना है।
आम को खाने के लिए आप स्वतंत्र है आप आम काट कर खा सकते है या चूस कर भी खा सकते है।
वही अगर आपको कोई चीज पैकेट में खरीदनी है तो आप पैकेट पर ही ध्यान देते है जैसे एक चिप्स का पैकेट 10 रूपये का है थोड़ा और ध्यान दे तो 10 रूपए में 30 से 40 ग्राम वजन के चिप्स है। क्योंकि हमारे दिमाग में विज्ञापनों द्वारा दाम छाप दिए जाते है वजन नहीं। वजन को जोर शोर से नहीं बताया जाता है। अभी कोई अचानक से आपको 5 रु वाले पार्लेजी बिस्कुट का वजन पूछ ले तो कितनों को पता होगा या कितनो ने देखा होगा के वजन कितना है।
जी हां हम भारतीयों में पैकेट को पढ़ने को लेकर कितनी अज्ञानता है उसी के बारे में बात करेंगे।
प्रोसेस फ़ूड के फ्रंट पर आमतौर पर आपने 100% नेचरल तो लिखा देखा ही होगा चाहे जूस हो या केचअप ,चिप्स हो या चटनी लेकिन कभी आपने पैकेट के पीछे लिखी सामग्री पर ध्यान दिया है 100% टमाटर से बने सॉस में 20 % से 25 % ही टमाटर होते है।
आलू चिप्स के पीछे भी देखे आलू चिप्स भी 60% से 70 % तक ही आलू होते है।
बात सिर्फ ये ही समझनी है की कितने में कितना है अगर आप किसी भी उत्पाद के पैकेट के पीछे लिखी सामग्री की जानकारी करेंगे तो आप को समझ में आएगा कि “कितने में कितना” है।
पार्ले जी बिस्किट अपने लॉन्च से आज तक 5 रु का ही है लेकिन उसका वजन कितने ग्राम कम हुवा है ये जानकारी भी तो होनी चाहिए।
बाजार में कथा कथित पैकेज फ़ूड 100 प्रतिशत प्राकृतिक होने का दावा करते है, लेकिन बात ये समझनी हे कि वो दावा क्या करते है दावा होता है जैसे 100 प्रतिशत प्राकृतिक फ्रूट जूस से बना यानी की जो भाग फ्रूट का लिया है वो प्राकृतिक है। जो की स्वाभाविक है और बाकी के तत्वों की जानकारी पैकेट के पीछे होती है जो की विज्ञापनों में नहीं बताई जाती है।
सर्विंग साइज़
आपमें से जो लोग जिम जाते है और हेल्थ ड्रिंक पीते है सिर्फ उन्ही लोगो को पता होता है कि सर्विंग साइज़( serving size ) क्या होती है। सर्विंग साइज़ का मतलब होता है एक बार में ली जाने वाली मात्रा। सर्विंग साइज को लेकर अलग अलग लोगो की अलग अलग राय है लेकिन सभी का ये मानना है की हर खाने पीने की सामग्री विशेषकर प्रोसेस फ़ूड की सर्विंग साइज़ निश्चित होनी चाहिए।विशेष कर पेकेज फ़ूड की क्योकि उनमे खाद्य अवयव या सिंथेटिक तत्व होते है। जो एक सिमा के बाद शरीर के लिए घातक हो सकते है।
आपने हर पैक फ़ूड चाहे वो चिप्स हो या बिस्कुट उसके पैकेट पर सर्विंग साइज़ जरूर देखा होगा? नहीं देखा है तो देखिये उस सर्विंग साइज़ का मतलब होता है एक बार में उसमे विद्यमान खाने योग्य प्रदार्थ।
कहने को तो आपको उससे ज्यादा नहीं लेना चाहिए किन्तु ऐसा कोई बंधन नहीं है। इसलिए अगली बार ये जरूर देखे की कितने में कितना है। जिससे आप सोडियम (नमक ) की मात्रा को व चीनी की मात्रा को भी ध्यान में रख सकते है ,जो आपके डायबिटीज और बीपी का मुख्य कारक तत्व है। इसी तरह ऐसे कई तत्व है जिसके शरीर में अधिकता की वजह से आपको एलर्जी ,कैंसर ,ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती है। 21वी सदी में मानव सभ्यता जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से खेल रही है। खाद्य व खाद्य तत्वों के सामान्य ज्ञान में भारी कमी देखी जा सकती है।