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भारतीय ” वनदेवी हींग ” ब्रांड को अमेरिका में एलर्जीन चेतावनी के चलते रिकॉल किया।

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“वनदेवी हींग” में पाया गया अधोषित गेंहू के अंश।

US. FDA  ने किन्जिन फ़ूड प्रा की “वनदेवी हींग “को रिकॉल  किया। 

किन्जिन फ़ूड प्रा (महाराष्ट्र ) के उत्पाद वनदेवी  हींग को अमेरिका की स्टैंडर्ड ऑफ़ फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA ) ने  फ़ूड रिकॉल किया है। 

अमेरिका के बाजार में किन्जिन फ़ूड प्रा की  वनदेवी  हींग पीला पाउडर की बिक्री के लिए भेजी गई थी। लेकिन उत्पाद की जाँच में FDA ने गेहू के अंश होने की सम्भावना व लेबलिंग नियमन उलंघन के  जिसके चलते “वनवासी हींग” को 10 जनवरी  2024 को रिकॉल की घोषणा की गई तथा 17 जनवरी को इसे प्रकाशित किया गया है। 

दरअसल में किन्जिन फ़ूड प्रा के जिस फैक्ट्री मेंवनदेवी हींग का उत्पादन व पैकिंग की जाती रही है उसी फेक्ट्री में गेहु के उत्पादों को भी प्रोसेस किया जाता है। जिसके चलते हींग में गेहूं के अंश आने की सम्भावना बनी  रहती है। यह जानकारी FDA को पता चलते ही FDA ने वनदेवी  हींग को बाजार से रिकॉल के आदेश दे दिए है। तथा उपभोक्ताओं से भी उत्पाद वापस करने का आग्रह किया गया है की वे उत्पाद खरीद की दुकानों पर वनदेवी हींग को जमा करवाये। वनवासी हींग से किसी ग्राहक को एलर्जी के चलते कोई समस्या अभी तक सामने नहीं आये है। लेकिन ग्राहक सुरक्षा हेतु FDA ने यह कदम उठाना पड़ा है 

कैसे बनती है हींग ?

हींग एक प्रकार के पौधे की जड़ो से निकलने वाला सफ़ेद व  चिपचिपा प्रदार्थ होता है। ताजा व शुद्ध हींग  बहुत ही तेज होता है जिसे सीधा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। इस लिए हींग प्रोसेस की जाती है। शुद्ध हींग में अरारोट या मक्की के मेदे ,चावल के आटे व गेहूं के आटे साथ मिला कर संतुलित किया जाता है। व पैकिंग कर बाजार में बिकने भेज दिया जाता है।

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भारत में भी किन्जिन फ़ूड की हींग भारत में भी किन्जिन फ़ूड की हींग वनदेवी हींग ,लक्ष्मीनारायण हींग ,व गौरी हींग के नाम  से ब्रांड बाजार में उपस्थित है विशेषकर महाराष्ट्र व कर्णाटक राज्यों में किन्जिन फ़ूड की हींग का अच्छा बाजार है। 

वनदेवी हींग

हमारे देश में मिलने वाले अधिकतर कंपाउंड हींग येलो पाउडर (बांधानी हींग )में अरारोट या चावल के आटे  का उपयोग किया जाता है। कुछ सस्ते ब्रांड इसमें गेहूं के आटे का उपयोग करते है।जिसे स्ट्रांग हींग के नाम से बेचा जाता है।  जो की गेंहू से एलर्जी वाले मरीजों को दिक्कत दे सकता है। लेकिन हींग बहुत ही कम मात्रा में खाना पकाने में उपयोग होती है तो गेहू की एलर्जी वाले मरीजों के लिए यह घातक नहीं होतीं है। लेकिन लगातार उपयोग से समस्या हो सकती है।भारतीय हींग उत्पादों में अधिकतम में गेहू से एलर्जी को लेकर हींग की लेबलिंग पर किसी भी तरह की चेतावनी नहीं लिखी पायी गई है। 

इसलिए हींग खरीदते समय हींग का प्रकार व हींग के लेबलिंग को भी जरूर पढ़े की उसमे क्या मिलाया गया है।  

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