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क्यों बेवरेज इंडस्ट्री का दुःस्वप्न बना प्लास्टिक स्ट्रॉ प्रतिबन्ध
बेवरेज इंडस्ट्री में पीने की नली (स्त्राव ) प्लास्टिक स्ट्रॉ को लेकर इतनी गंभीर क्यों है ?
चूसना हमारी प्राथमिक और आरम्भिक भोजन ग्रहण क्षमता है। तथा मनुष्य की पैदाइशी क्रियाओं में से एक है। पैदा हुये शिशु को चूसना आता है। यही विशेष कारण है की हमें स्ट्रॉ से चूसना अच्छा लगता है। जिसका एक साधारण विज्ञान है। चूसने की क्रिया में हमारे मुँह की लार ग्रंथियां अधिक सक्रिय हो जाती है। जिससे हमारे स्वाद लेने की क्षमता भी बढ़ जाती है।
बेवरेज इंडस्ट्री हमेशा से इस विज्ञान का लाभ उठाती रही है । यानि आप ही की शारीरिक विशेषताओं का उपयोग करके अपने उत्पाद को बेहतर दिखाया और बताया है।
बेवरेज इंडस्ट्री में पीने की नली (स्त्राव )प्लास्टिक स्ट्रॉ को लेकर कितनी गंभीर है। इस बात का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रतिबंध में प्लास्टिक स्ट्रॉ के आने से सारी बेवरेज कम्पनीज नतमस्तक मुद्रा में सरकार से गुहार लगा रही है। ताकि स्ट्रॉ को प्रतिबंध से हटाया जा सके। अब ये जुलाई के बाद ही पता चलेगा की सरकार अपने फैसले पर कायम रहती है या आर्थिक ताकतों के दबाव में झुक जाती है।
स्ट्रॉ से बहुत से पेय प्रदार्थ जो अब तक आपको स्वाद और ताजगी का अनुभव करवाते थे। शायद अब वो फीके लगने लगे। स्ट्रॉ से चूस कर पीने से एक और जहां द्रव्य उत्पाद का स्वाद बढ़ जाता है उसमे मिली लार से वो पचता भी आसानी से है। इसलिए और खाने या पीने की इच्छा होती है।
हालाँकि बेवरेज इंडस्ट्री के पास प्लास्टिक स्ट्रॉ के बदले पेपर स्ट्रॉ उपलब्ध है। लेकिन पेपर स्ट्रॉ उतने मजबूत नहीं होते जितने प्लास्टिक के स्ट्रॉ होते है। होठों से चूसने के लिए जो बल लगता है वो पेपर स्ट्रॉ नहीं सह पाते और टूट जाते है। वही अन्य वैकल्पिक साधन महंगे होते है। पीने को लेकर “पानी कैसे पिए ” में पीने के विज्ञान को लेकर बताया गया है।