सच का सामना
पहले अंडा आया फिर बीमारी ? ( भाग 3 )
अब सुनें अंडे का फंडा
अंडा बना सुपर हीरो
आओ सुनाऊ तुम्हे अंडे का फंडा :गोविंदा का मशहूर फ़िल्मी गाना आप अभी तक नहीं भूले होंगे
भारत में अंडे की मान्यता व लोकप्रियता 1980 के दशक में उफान पर थी। फिल्म के डायलॉग और कॉमेडी सीन या नाश्ते के सीन में अंडा और आमलेट की बाते होने लगी थी। साथ उन दिनों में शक्ति या ताकत के प्रतीक फ़िल्मी हीरो और खिलाड़ियों से भी विज्ञापन करवाए गए। जिसका नतीजा ये रहा कि भारत में 1980 के दौरान जन्मे बच्चों को तो 3 से 5 साल की उम्र में ही अंडे और अंडे से बने खाद्य खिलाये जाने लगे। लेकिन उस दौर के नौजवान जो आज रिटायर हो चुके है। 1980 के दौरान उनमें से अधिकतर ( शाकाहारी ) लोग अंडा हजम नहीं कर पाए। जिसका मुख्य कारण अंडे को पचाने के एंजाइम का विकसित न होना या नहीं होना भी है।
अंडा न सिर्फ प्रोटीन का बल्कि हार्मोन विटामिन ,मिनरल्स तथा एमिनो एसिड और जींस( DNA ) प्रोटीन का समावेश होता है। साथ ही मुर्गी का स्वास्थ्य मुर्गी में शरीर के बैक्टीरिया वायरस आदि से भी प्रभावित होता है। 1980 के दशक में भारतीय शाकाहारी वर्ग द्वारा अंडा पचा पाना आसान नहीं था। जिसके चलते उनको अजीर्ण ,अपच ,गैस ,व पेट में भारीपन की शिकायत थी। और आज भी उन लोगो को अंडे से एलर्जी या पेट सम्बन्धी समस्याएं रहती है । जिस वजह से बाजार में बिकने वाले बुजुर्गो के जन्मदिन के केक को विशेष तौर पर अंडामुक्त देख कर ही ख़रीदा जाता रहा है। छोटे बच्चो का विकासशील पेट अंडे को पचाने के एंजाइम बनाने में सक्षम होता है। लेकिन उम्र के साथ साथ अंडा पचाने की क्षमता कम होने लगती है ।इसी कारण से 1980 के बाद के अंडे के विज्ञापन में बड़े कलाकारों के साथ छोटे बच्चे जरूर दिखाए जाते थे। और अभी भी दिखाए जा रहे है।ताकी नये ग्राहक तैयार हो सके ।
अंडा बना कोलेस्ट्रॉल का कारण
Statnews अमेरिकन रिसर्च एजेंसी में 15 मार्च 2019 ने सार्वजानिक रूप से एक रिसर्च का प्रकाशन किया जिसमे एक दिन में डेढ़ (1.5) अंडे रोज खाने वालो में ह्रदय रोग बढ़ने के अवसर अंडे नहीं खाने वाले लोगो की अपेक्षा अधिक होने की आशंका का वैज्ञानिक शोध छापा था।जिसका मुख्य बिंदु अंडो में पाए जाने वाले वसा में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को लेकर था। इस शोध के साथ 2003 में अमेरिकी और यूरोप की कई शैक्षणिक और शोध संस्थाओं ने अंडे के उपभोग से होने वाली जीवनशैली बीमारियों को लेकर शोध किये और पाया की अंडे से न सिर्फ ह्रदय रोग की सम्भावना बढ़ गई है।बल्कि कई तरह की एलर्जी व गर्भस्त शिशुओं को भी प्रभावित होने की शिकायते सामने आई है।
लेकिन ऐसे लेखो को मुख्यधारा मिडिया में नहीं बताया गया और विशेष कर भारतीय मिडिया मे इस पर पर्दा ही रहा। इसके अलावा रोज एक अंडा खाने से मधुमेह ( डाइबिटीज ) होने की भी सम्भावना कई प्रतिशत तक बढ़ जाती है।2012 से ही वैश्विक रूप से कॉर्पोरेट द्वारा संचालित खाद्य उत्पादन के मानव जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को शैक्षणिक संस्थाओ और स्वयंसेवी संगठनों ने रह्स्य्मयी रूप से ऐसे शोध करना बंद कर दिए या ऐसे शोधो को सार्वजानिक किया जाना बंद हो गया है। हालाँकि ऐसे लेख और लिंक इंटरनेट पर बहुत बारीकी और धैर्य से ढूढ़ने पर ही कभी कभार दिख जाते है। लेकिन अंडे के फायदे और उक्त शोधो के विपरीत इन शोधो को मिथ्या बताने वाले शोध और वैज्ञानिक बाकायदा अपना और अपनी संस्था का नाम दिखा कर छपे लेख जरूर मिलेंगे।
अंडे का व्यापर भले ही छोटा मोटा दिख रहा हो लेकिन इसी छोटे मोटे उधोग की खाद पर बड़े बड़े कॉर्पोरेट घरानो के लिए अथाह धन उपार्जन की खेती की जाती है। जिसे आज के जागरूक नागरिक बिग जॉइंट फार्मा और फ़ूड इंडस्ट्री कहते है। हो सकता है की उक्त बातो से आप इत्तेफाक नहीं रखते हो।
अंडे की माता मुर्गी का जीना हुआ हराम
मुर्गियों के लिए भी अंडे देना बवासीर के मरीज वाली स्थिति जैसी होती है; यह भी तो एक सच्चाई है की ज्यादा अंडो के उत्पादन या अंडो की उपज बढ़ाने के लिए उत्पादक सिंथेटिक खाद यानी हार्मोन और एंटीबायोटिक का धड्ड्ले से उपयोग में लाया जा रहा है। मानवीय भाषा में कहे तो मुर्गी को बचपन में ही बच्चे या अंडे पैदा करने के लिए हार्मोन दे कर बड़ा कर दिया जाता है।और फिर उसी मुर्गी से अंडे उत्पन्न करवाए जाते है।
तकलीफ तो है लेकिन मुर्गियों के पास साधन नहीं है।”छोटी सी उम्र में परणाई या ओ री चिरैया “जैसे भावुक गीतों से दूर अपने मौत के इन्तजार में जी रही मुर्गी आज किसकी प्लेट का चिकन लेग पीस होगी कोई पता नहीं। एक मुर्गी का अंडे देने का औसत समय घटा कर 18 से 20 घंटे कर दिया गया है। जैनेटिक इंजीनियरिंग और रसायनो के इस्तमाल से उत्पन्न अंडे मानव उपयोग के लिए जहर की पुड़िया जैसे हो गए है। ज्यादा अंडो की लालच में स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन की मात्रा अंडो में पाई गई है। ऐसे अंडो को खाने से मर्दो में नामर्दानगी व महिलाओ में भी स्तन कैंसर जैसी समस्याओ हो सकती है। वही अंडो और मुर्गियों में होने वाली बीमारी के लिए दी जाने वाली वेक्सीन ,एंटीबायोटिक ,और कीड़े व पेट के कीड़े व कीटाणुओं को मारने वाली दवाये सीधे तौर पर अंडो द्वारा इंसान में आ जाती है।
क्योंकि लेख अंडे के इर्द गिर्द है इसलिए अंडो की बात की जा रही है। लेकिन अब तक के लेख का सम्बन्ध मुर्गी और चिकन से भी पूर्णतया सम्बंधित है।
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