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मध्यप्रदेश में खुले में मांस व अंडे की बिक्री प्रतिबंधित।
खुले में मांस व अंडे की बिक्री पर प्रतिबन्ध का फ़ूडमेन स्वागत करता है।
मध्यप्रदेश में अभी अब यूपी की तरह खुले में मांस व अंडे की बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब मांस व अंडे की बिक्री सिर्फ लाइसेंस धारी दुकानदार ही कर सकेंगे। तथा ऐसी दुकानों को साफ सफाई हाइजीन व कचरे के निस्तारण की तय प्रक्रिया को भी अपनाना होगा।
अधिकतर देखा गया है की खुले में मांस व अंडे की अवैध बिक्री जहाँ की जाती वहा इनके द्वारा कचरे का निस्तारण ढंग से नहीं किया जाता है।जिससे इस कचरे में संक्रमण फैलना आम बात है। जिससे आसपास के आवारा जानवरो में भी संक्रमण हो सकता है। आमतौर पर रेहड़ी व छोटी दुकानों में अवैध मांस व अंडे के खाद्य पदार्थ बनाये जाते है। वह साफ सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। चिकन आमलेट आदि की रेहड़ियों पर गंदगी व मच्छर ,मक्खियाँ आदि देखी जा सकती है जो खाद्य संक्रमण को बढ़ावा देती रहती है।
देश में व्याप्त अधिकतर बीमारियों की शुरुवात सड़को चौराहो पर लगने वाली रेहड़ियों के खाने पीने से होती है। यहाँ स्वास्थ्य को लेकर साफ सफाई व हाइजीन का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। सिर्फ स्वाद और स्वाद के लिए कृत्रिम रसायनो का उपयोग धड्ड्ले से किया जाता है। ये सभी रेहड़ी वाले गरीब और मजदुर लोग ही होते है। इनकी गरीबी को माफियाओ द्वारा भुनाया जाता है। देखने में यह गरीब लोगो की रेहड़ी लगती है। जबकि इनका संचालन संगठित माफिया व प्रशासन की मिलीभक्ति से किया जाता है।
मध्यप्रदेश की नवगठित सरकार द्वारा खुले में मांस व अंडे की बिक्री पर लगाए प्रतिबन्ध को आगामी सुधार के आगाज के रूप में भी देखा जा सकता है। हर भारतीय को हर तरह का खाना खाने का अधिकार है। तथा हर खाद्य विक्रेता को शुद्ध व साफ खाद्य प्रदार्थ बेचने का कर्तव्य है। कोई भी आपके खाने के साथ लापरवाही नहीं कर सकता है। और करता है तो उसके लिए खाद्य सुरक्षा कानून में सजा का प्रावधान है है।
भारत में यह दूसरी बार है। जब किसी राज्य सरकार द्वारा खाद्य संबंधित कानून बनाये गए है व खुले में मांस व अंडे प्रतिबंधित किये गए है। इन प्रतिबंधों को किसी धर्म या वर्ग से जोड़ कर देखना जल्दबाजी और राजनीती मात्र है।
एक राय में यह कह सकते है की इससे गरीब तबके पर बुरा असर पड़ेगा रोजगार में कमी आएगी। लेकिन यह भी तो सोचना चाहिए की इसी गरीब तबके को फ़ूड पॉइज़निंग व अन्य खाद्य जनित रोगो से भी बचाया जा सकेगा।
देखा जाये तो खुले में मांस व अंडे खरीद कर खाने वाले लोग गरीब तबके से ही आते है। अधिकतर को यह पता भी नहीं होता के मांस ताजा है या बासी कई बार तो यह तक पता नहीं चल पता की मांस किस जानवर का है।इसी साल तमिलनाडु में रेल से संदिग्ध मांस जप्त किया गया जो की कुत्ते का था। और इसे जोधपुर से भेजा गया था।
खुल्ले में मांस व अंडे की दुकाने या रेहड़ी के पास किसी भी तरह का लाइसेंस व मांस को खाने के लिए योग्य बनाने का कोई प्रशिक्षण या अनुभव नहीं होता ऐसे में फ़ूड पॉइज़निंग होने की संभावना बानी रहती है।यहाँ तक की कसाईखानों में जानवर के अनुपयोगी मांस जिसे खाया नहीं जाता उसे भी इन रेहड़ियों में खपा दिया जाता है। बासी अंडो के आमलेट बनाये जाते है क्यों की मसालों से उसका बासीपन छुप जाता है। शहर की इन्ही रेहड़ियों में कई घृणित पदार्थो का उपयोग होता है।
ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा खुले में मांस व अंडे की बिक्री पर प्रतिबंधित किया गया है ना की मांस और अंडे पर। जो भी मांस व अंडे खाने या लाने का इच्छुक है वो लाइसेंस शुदा दुकानों से ले सकता है
असल में यह खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( FSSAI ) व राज्य खाद्य सुरक्षा व स्वास्थ्य विभाग पर किसी तमाचे से कम नहीं है। मध्य प्रदेश सरकार के इस प्रतिबन्ध को FSSAI द्वारा लगाया जाना चाहिए था। लेकिन इस बार भी FSSAI मात्र मुँह ताकता रह गया।
FSSAI की परिकल्पना खाद्य अशुद्धियों व मिलावट पर नियमन हेतु किया गया था। लेकिन FSSAI अब उद्योगपतियों के नियमन में है। हर साल देश में खुले में रेहड़ियों पर खाने से हजारो लोगो की मौत हो जाती है। तथा FSSAI द्वारा मूकदर्शक बन कर तमाशा ही देखते रहता है। अपने गठन के बाद से ही FSSAI मात्र लाइसेंस और प्रमाण पत्र बांटने की संस्था बन चुकी है। जिसे हर रोज किसी न किसी अभियान की इवेंट बाजी और सोशल मिडिया में व्यस्त रहती है।
सरकार के खुले में मांस व अंडे बेचने के प्रतिबन्ध के चलते बहुत जल्द ही खुले में और भी खाद्य पदार्थो की बिक्री पर असर देखने को मिल सकता है। जो की आपके और आपके परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा खुले में मांस व अंडे की बिक्री को प्रतिबंधित करने के फैसले का फ़ूडमेन स्वागत तथा ऐसे ही बिना लाइसेंस व अवैध रूप से लगने वाली अन्य रेहड़ियों को भी इसी प्रतिबंधन में लाने के लिए निवेदन करता है।
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