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आप किस का दूध उपयोग में ला रहे है ?गाय का या भैंस का 

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गाय और भैंस के दूध से ये भेदभाव क्यों 

आप किस का दूध उपयोग में  रहे है। गाय का या भैंस का। भारत जैसे देश में दूध को लेकर लोगो में विचित्र तरह का व्यवहार देखने को मिलता है। दक्षिण भारत में गाय और भैंस का दूध अलग अलग पैकिंग में बिक्री के लिए उपलब्ध है। वही उत्तर भारत व हिन्दी पट्टी के राज्यों में सिर्फ गाय का दूध ही काम में लिया जाता है। और ये बात किसी मजाक से कम नहीं है। ऐसा नहीं है ,की हिंदी पट्टी प्रदेशो में भैंस नहीं पाली जाती है। गायों की संख्या के बराबर भैंसे पाली जाती है। और अब  कई पशुपालक गायों की अपेक्षा भेंसो को पालने को  ज्यादा महत्व देते है। जिसकी वजह भैंसो के दूध में प्रोटीन ज्यादा होना व  भेंसो का लगातार दूध देना और वो भी कम खर्च व रखरखाव के साथ हो जाता है। गाय की तुलना में भेंसो का बाजार भाव भी ज्यादा है। और किसी भी तरह आस्था का विषय भी नहीं। तो फिर कोई गाय को क्यों ले, भैंस ही लेगा। 

लेकिन इन सब खूबियों के बावजूद कोई भैंस का दूध नहीं पीना चाहता ,सब को गाय का ही दूध चाहिये .अब आपके दूध वाले भैया से लेकर बड़े बड़े कॉरपोरेट और दूध के सहकारी संस्थान भी गाय का दूध और गाय के नाम से ही अपने दूध घी मक्खन छाछ आदि को बेचते देखे जा सकते है। भारत में करीब 110 मिलियन भेंसे है। तो इनका दूध गया कहाँ ?

दूध को लेकर हम भारतीयों का व्यवहार विचित्र है।सबसे पहले तो हमें गाय का दूध चाहिए। । लेकिन हम में से कितने होंगे जो दूधवाले भैया के घर जा कर अपने सामने दूध दुहा कर लाते है। बस जो दूध घर बैठे मिल जाये या कॉलोनी या मोहल्ले की दुकान पर मिल जाये वही ठीक है। दूध के नाम पर  हमें सफ़ेद पानी जिसमे  फेट  हो असली हो या रासायनिक हमें फर्क नहीं पड़ता है। 

कुछ थोड़े ईमानदार लोग भैंस के दूध में ही पानी मिला कर उसके 7-8 % फेट को FSSAI द्वारा निर्धारित 4% करके गाय के दूध के नाम की पैकिंग करके बेचते है।ये भी इन विक्रेताओं की मेहरबानी ही समझे। वरना आजकल तो दूध में दूध को छोड़ कर वो सब पाया जाता है जो शरीर के लिए खतरनाक रूप से हानिकारक है ,

लेकिन फिर भी सवाल ये है की हमें भैंस का दूध भैंस के नाम पर क्यों नहीं बेचा जाता है। भैंस ने कोनसी” हमारी पूंछ पाड़” ली है। हिन्दू आस्थाओं में भेंसे की सवारी मृत्यु देवता “यमराज “जी की है। गायो की तरह सारे देवता ना सही एक दो देवता तो भैंस में पाये ही जा सकते है। 

उत्तर भारत में एक पर्व मनाया जाता है। ” बच्छ बारस” मात्र इस दिन हिन्दू महिलाएं गाय का दूध उपयोग में नहीं लेती।और जरुरी हो तो भैंस का दूध ही ग्रहण करती है। इस दिन भैंस का दूध 100 से 150 रु प्रति लीटर तक पहुंच जाता है। लेकिन इसी दिन कई दूध की पैकिंग करने वाली कंपनियों का दूध बाजार में कम पड़ जाता है। यही से आप गाय के दूध और भैंस के दूध का सम्बन्ध पता कर सकते है।खैर दूध किसी का भी पीये स्वास्थय के लिए लाभदायक ही रहेगा। बस उसमे मिलावट न हो। 

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