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लेबलिंग छद्मावरण(labeling camouflage) एक धोखा ?
लेबलिंग छद्मावरण उत्पाद के बारे में जानने के अधिकारों का हनन
लेबलिंग छद्मावरण यानी की वो युक्ति जिससे उत्पाद के लेबल पर छपी सूचना इसप्रकार हो की वो दिखे भी और नहीं भी दिखे जैसे जैसे खाद्य व खाद्य पूरक प्रदार्थो कॉस्मेटिक व अन्य प्रदार्थो पर नियमन के लिए कानून बने वैसे वैसे उन नियमो से बचने के भी उपाय किये जा रहे है। जिससे ग्राहक हमेशा अँधेरे में रहे और उत्पाद की सही जानकारी भी ना मिले।
लेबलिंग छद्मावरण में उत्पाद पैकिंग और पैकिंग के आकार और लिखावट में चतुराई करके सामने होते हुवे भी ग्राहक वो जानकारियाँ पढ़ ही नहीं पाता जो सही मायनो में समझ में आनी चाहिए।इसका सबसे सफल लेबलिंग छद्मावरण का उदहारण है गोल सिलेंडरनुमा पैकिंग जो की बिना किसी कपट या चतुराई के प्राकृतिक आकार है जिसपर लिखी सुचना एक बार में पढ़ पाना आसान नहीं है। विशेषरूप से ओवल या अण्डाकार गोल सिलेंडरनुमा की लेबलिंग छद्मावरण आकार के गोल घुमाव को ग्राहकों का ध्यान घुमाने के लिए किया जाता है।
अधिकतर उत्पाद जैसे मेयोनीज ,पीनट बटर आदि की पैकिंग के लिए अंडाकार गोल सिलेंडरनुमा आकार का उपयोग किया जाता है यहाँ तक ऐसी पैकिंग में लिखावट में शब्दों को चमकीली श्याही से छपे होते है जिससे उनको सही पढ़ पाना भी आसान नहीं होता। लेबलिंग छद्मावरण का उपयोग शराब की पैकिंग लेबल में इस युक्ति को इस्तेमाल किया जाता है।वही कुछ खाद्य उत्पादक सामग्री को आयुर्वेदिक या हिंदी नामो को इंग्लिश में लिख देते है। जिससे दोनों ही हिंदी और इंग्लिश के पाठक समझ नहीं पाते। लेकिन नियमो के अनुसार उत्पाद की लेबल पर लिखा जरूर होता है।
ऐसे ही सप्लीमेंट और न्युट्रासुटिकल में भी लेबलिंग छद्मावरण का उपयोग होता है ( Not for medicinal use ) यानी की इनका इस्तेमाल मुख्य इलाज के रूप में उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। इसको अलग लिखने की बजाय इसको ऐसे लिखा जाता है की ये दिखते हुवे भी ध्यान में नहीं आता है।उत्पाद पर सभी जानकारी लिखने की बाध्यता के कारण अधिकतर बड़ी नामी कम्पनियो के इसी लेबलिंग छद्मावरण को देख अन्य भी इन्ही छद्मावरण छपाई और लिखावट का उपयोग करते है। वैसे भी भारतीयों में उत्पाद पर लिखी जानकारी या सूचना को देखने की आदत नहीं है।सिर्फ विज्ञापन की जानकारियों से ही उत्पाद लेने का मानस बन जाता है।
फ़ूड सप्लीमेंट और दवा में चिकित्सक की राय को ही महत्वता दी जाती है। दवाओं में कई तत्व जानवरो के मृत शरीर से लिए जाते है। जिनको फ़ूड सप्लीमेंट में तो लाल बिंदी ( Red dot ) के अंतर्गत दिखाया जाता है। जबकि दवाओं में यह लाल बिंदी का निशान गायब ही कर दिया जाता है। क्योंकी वैश्विक स्तर पर मरीज की जान बचाना प्राथमिक होता है। या यूरोपियन देशो में मांस या मांस से सम्बंधित प्रदार्थो का सेवन उनकी मान्यताओं के अनुसार उचित है।
लेकिन हमारे देश की बहुसंखयक आबादी यानी हिन्दू और अल्प संखयक समुदाय यानी मुस्लिम दोनों को ही मांस व मांस सम्बंधित मान्यताओं पर विशेष ध्यान रखा जाता है।लेकिन दवाओं और पैकेज्ड फ़ूड में इन्ही जानकारियों को इ-कोड्स ( E-Codes ) में छिपा दिया जाता है। जो भारतीय समुदायों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है। लेकिन इन्ही जानकारियों पर कही भी खुल कर बात या चर्चा नहीं की जाती है। जिसकी सबसे बड़ी वजह पूंजी वाद है। यह ऐसा वर्ग है जिसे सिर्फ मुनाफे से ही मतलब होता है। इसे जनता के स्वास्थ्य व मान्यताओं की कोई परवाह नहीं होती है। आधिकारिक व राजनैतिक रसुखो के चलते यह वर्ग आम जनता से कई जरुरी जानकारिया छिपाने में कामियाब रहते है।
इस लेख का उद्देश्य आम जनता को हो रहे लेबलिंग छद्मावरण के बारे में सचेत करना है। किस तरह से भ्रामक और लेबलिंग छद्मावरण करके आप से जानकारियां छुपा कर आपकी धार्मिक मान्यताओं और निजी पसंद को कॉरपरेट अपने मनमाने तरीके से खेल रहा है।