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देश में ISO सर्टिफिकेट की धांधली। 

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ISO सर्टिफिकेट मात्र प्रिंटरों पर तैयार। 

एक टिन छप्पर में छोटे से कमरे में चलने वाली कम्पनी को भी ISO सर्टिफिकेट  मिल जाता है। जो किसी भी ISO के स्तर की नहीं है। लेकिन मात्र कुछ रुपया दे कर किसी भी ISO सर्टिफिकेट मिल सकता है। 

यदि मोदी सरकार की माने तो  वो विश्व गुरु बनने में कोई कसर  नहीं छोड़ना चाहती। वो विश्व की ऐसी पहली सरकार बन जाएगी जिसके मंत्री, विधायक, सांसद अंतर राष्ट्रीय संगठन ISO से प्रमाणित होंगे।

विश्व की प्रथम ISO प्रमाणित सरकार , विचार उत्तम ही नहीं अति उत्तम है।  इस कड़ी में मोदी जी ने 2011 में ही गुजरात सरकार के मुख्यमंत्री रहते इस सर्टिफिकेट को प्राप्त कर लिया था। सर्टिफिकेट की  फोटो फ़ूड मेन को इंटरनेट पर बहुत तलाशने पर भी नहीं मिली। किन्तु हमे इसमें कोई भ्रम नहीं है कि ये सर्टिफिकेट उनके पास नहीं है। ये खबर खुद PUBLIC SECTOR ASSURANCE की वेबसाइट पर उपलब्ध है।  अब ये होड़ देश के भ्र्ष्ट  नेताओं में मचेगी कि वो मोदी जी से कह कर अंतर्राष्ट्रीय  प्रमाणित चोर कहलायेंगे और विश्व में विश्व गुरु की चोरी और उसका डंका प्रमाणित प्रमाणपत्र से बजायेंगे। 

इसी सोच को अभी से अमल में तमिलनाडु की बीजेपी  विधायक  वनथी श्री निवास ने ISO सर्टिफिकेट ले कर बाजी मार ली है। अब सर्टिफिकेट भी उन्होंने बीजेपी की सोशल मीडिया मैनेजर शालू गुप्ता की कंपनी QRO सर्टिफिकेशन से प्राप्त किया है। QRO सर्टिफिकेशन दिल्ली की  कंपनी है ,जो कि मिस्र की अंतर्राष्ट्रीय प्रमाणन संस्था EGAC से मान्यता प्राप्त है। 

OXEBRIDGE नाम की व्हिस्टलब्लोवर संस्था ने जो कि ISO और ऑडिटर्स की गिरती साख पर हमेशा से काम करती आयी है और जो एलोन मस्क की स्पेस x के लिए भी स्टैण्डर्ड पर काम कर चुकी है ने भारत में हो रहे ISO प्रमाण पत्रों पर सवालिया प्रश्न उठाये हैं। इसको चलाने  वाले क्रिस्टोफर पेरिस ने इजिप्ट की संस्था EGAC से सवाल पूछ कर ये जानना चाहा कि भारत की कंपनी QRO और  भारतीय कंपनियों की तरह सीधे विदेशी कंपनी से मान्यता ले आयी जबकि इसके एक दर्जन से ज्यादा सर्टिफिकेट जालसाजी में अपनी साख को लड़ रहे हैं।

EGAC ने उलटा ही उनसे पूछ लिया कि उनको किन दर्जनों ने शिकायत की है उनके नाम बताना होंगे। बेकार में ये लोग शिकायत ले कर हमको बदनाम करते हैं। EGAC ने  ये भी कहा कि यदि आप ISO 17011 के तहत शिकायत भी करेंगे तो आपको उन CB (Certification Bodies ) का भी जिक्र करना चाहिए जो हमारे बारे में ये झूठ फैला रहे हैं कि हमने ये सर्टिफिकेट स्कोप के बाहर दिए हैं. किन्तु ISO 17011 के विधान में शिकायतकर्ता को अपना नाम देने की बंदिश नहीं है। 

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यही बहस LinkedIn  पर QCI ( NABCB ) के पूर्व सीईओ अनिल जौहरी और Association of Consumer Protection के बीच भी हुई ,विषय था कि IAF (International Accreditation Forum ) की इसमें हमेशा से भूमिका एक वॉचमन की रही है। भारत में केवल 10 % ही CB हैं जिनको IAF से मान्यता मिली है कि वो भरोसेमंद हैं और उन्हें NABCB भी मान्य करता है किन्तु श्री जौहरी जो रिटायर्ड सीईओ ,NABCB रह चुके हैं कि इसका % 10 नहीं 30 होना चाहिए।

क्योंकि यदि IAF ऐसा करता है तो देश की  90 % CBs ही फ्रॉड कर रहीं है जबकि ऐसा नहीं है। फुडमेन ने भी ऐसी पड़ताल के बाद ये पाया है कि ISO  सर्टिफिकेट की साख अब केवल एक प्रिंटर की रह गयी है जिसमे पांच सौ से लेकरकुछ  हज़ार रु में ये  जाली सर्टिफिकेट कमीशन बेस  बाजार में उपलब्ध हैं। 

क्योंकि उन्होंने तो पूरी दुकान ही चला रखी है और वो दुनिया भर में सर्टिफिकेट देती  हैं। वो किधर से गलत हैं वो QCI , NABCB  या फिर मोदी जी सोंचे। 

हालाँकि  भारतीय आम नागरिको को इस ISO प्रमाणपत्र को लेकर कोई खास जानकारी नहीं है। ये मात्र कॉर्पोरेट में काम करने वालो की ही कुछ कुछ समझ में आता है और एक तरह से मृग मरीचिका है। 

भारतीय लोग FSSAI ग्रीन डॉट और रेड डॉट को लेकर भी संयन्श में है। भारत  में FSSAI प्रमाणपत्र भी मात्र कुछ हजार में बिना किसी गुणवक्ता और उत्पाद परिक्षण के मिल जाता है। और एक ही प्रमाणपत्र से सेंकडो उत्पाद बनाये जा सकते है ,बस सालाना सेटिंग की व्यवस्था होनी चाहिए 

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