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जानलेवा घी ,संस्कारहीन पूजा, अज्ञानी जनता , मस्त होते अफसर
हमारे देश में घी कितना जानलेवा हो सकता है। इसका अंदाजा भी आम नागरिक नहीं लगा सकता है।
अभी 24 फ़रवरी को जोधपुर की सीआईडी (CID) ने जोधपुर थाना क्षेत्र महादेव इलाके के मंडोर स्थित एक ऋषभ ट्रेडर्स नामक गोदाम में छापा मारते हुए २० हजार लीटर से भी अधिक मिलावटी घी को रंगे हाथो पकड़ा ,फ़िलहाल घी को सीज कर लिया गया है व इसकी सेम्लिंग के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियो को मौके से बुलाया गया। आगे की कार्यवाही जाँच शुरू कर दी गई है।ऋषभ ट्रेडर्स गोदाम से मजदूरों व कामगारों को गिरफ्तार किया गया है। जबकि मुख्य आरोपी फ़िलहाल फरार बताया जा रहा है।
देश में हर रोज कहीं ना कहीं से नकली मिलावटी व जानलेवा घी दूध व दूध के उत्पाद पकडे जाते है। मजे की बात ये की FSSAI के राज्य व जिला अधिकारी कुर्सियां तोड़ने के अलावा कुछ नहीं करते है।
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के अनुसार 69 प्रतिशत दूध व दूध के उत्पाद नकली है। साल 2021 में भारत में एक दिन में 64 करोड़ से भी अधिक दूध व दूध के उत्पादों की खपत है। जबकि असल में उत्पादन मात्र 14 करोड़ लीटर का ही था । अब जबकि नकली असली का अनुपात और भी बढ़ चुका है। लेकिन इसके आधिकारिक आंकड़े फ़िलहाल सार्वजानिक नहीं है।
साल 2021 में आगरा जिले (उ. प्र. ) में खंदौली कस्बे में मोहल्ला व्यापारियान में मृत जानवरो जैसे गाय ,भैंस , सूअर ,मुर्गियों की चर्बी को चूल्हे पर कढ़ाई में पिघला कर मिलावटी व जानलेवा घी बनाने मामला सामने आया था। इस पर भी पुलिस ने ही कार्यवाही करते हुए 100 किलो मिलावटी जानलेवा घी को जप्त किया व खाद्य सुरक्षा अधिकारी को घटना स्थल पर बुला कर सेम्पल लिए गए। इसमें करीब चार लोगो को गिरफ्तार किया गया था तथा जालसाजी व धोखाधड़ी में FSS एक्ट की धारा भी लगायी गई थी लेकिन तीन साल में अभियुक्तों के साथ क्या हुआ इसको लेकर कोई समाचार नहीं है।
अब ऐसे कारखाने दूरदराज व जंगलो और मृत पशु जिनको शहरों के बाहर डलवाया जाता है वहा अब ऐसे गौरख घंधे चल रहे हैं ।
साल 2023 में सितंबर में उत्तराखंड के उधमसिंह नगर पुलभट्टा थाना क्षेत्र की पुलिस ने एक मुखबिर की सूचना पर जानवरो की चर्बी से घी बनाने वाले कारखाने पर छापा मारते हुए 205 कनस्तर मिलावटी व जानलेवा घी जप्त किये गए थे तथा चार लोगो को गिरफ्तार भी किया गया था। इन अभियुक्तों ने बताया था कि ये पशु चर्बी मिलावटी व जानलेवा घी व वनस्पति घी बनाने वाली फैक्ट्री में सप्लाई किया करते थे।
वही मुजफ्फरनगर (उ प्र ) में 50 क्विंटल जानवरो की चर्बी को बरामद किया गया था ।
22 अगस्त 2023 दिल्ली के मोतिया खान मस्जिद के पास जानवरो की चर्बी से मिलावटी व जानलेवा घी बनाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में जानवरो की चर्बी से बने घी को लेकर एक याचिका भी दायर की गई थी । मजे की बात ये है कि असामाजिक तत्वों द्वारा रिहाइशी इलाके में यह काम चल रहा था तथा आम नागरिको को बदबू बर्दास्त करनी पड़ रही थी जो कि संविधान की धारा 21 का उलंघन है।
फ़ूडमेन ने इस विषय को लेकर मोहन सिंह अहलूवालिया ( हरियाणा सरकार पूर्व कमिशनर, जंतु कल्याण बोर्ड अध्यक्ष तथा वर्तमान में ग्वाला गद्दी खेड़ा खेड़ी
जीरक पूर ,वैश्विक वैदिक प्रमुख ) से बात की जिसमे अहलूवालिया जी ने साफ तौर पर कहा कि FSSAI अभी तक बट्टर आयल और घी में फरक करना ही नहीं चाहती। FSSAI या तो अज्ञानता में जी रही है या जानबूझ कर अनजान बनी हुई है। FSSAI ने घी और बटर आयल की भी कोई परिभाषा अभी तक नहीं बताई है। मात्र फेट और कुछ मानक ही स्थापित किये है जो जानवरों की फेट और दूध की फेट में अंतर नहीं कर पाते या करना नहीं चाहते। बाजार में उपलब्ध घी को वैदिक रूप से पूजा योग्य समझ कर भोली जनता धर्म कर्म में इस्तेमाल कर रही है। जनता अंधी हो कर इसके दिए त्योहारों में जलाती है चाहे इसमें पशु चर्बी मिली हो।
भारतीय ज्ञान में बटर आयल जैसी किसी भी उत्पाद की जगह नहीं है, ये केवल विदेशी माल को देश में खपाने के लिए घी बनाने के काम में उपयोग होता है।
भारत सरकार को इस तरफ और ज्यादा ध्यान देने की जरुरत है। केवल विज्ञान पढ़े लोग या दूसरे विषय के लोग ही नहीं, काबिल व फ़ूड साइंस संबंधी ज्ञानी लोगो को FSSAI में जगह मिलनी चाहिये। फ़िलहाल FSSAI एक कॉर्पोरेट संचालित संस्था है। जिसकी प्राथमिकता उधोगो को फायदा पहुंचना होता है ना कि आम नागरिक के स्वास्थ्य को लेकर काम करना । आम आदमी खान पान की सुरक्षा को लेकर भारत मे राम भरोसे ही है।