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फ़ूड फैक्ट्री कितनी सुरक्षित ?
सरकार द्वारा फ़ूड फैक्ट्री के नियम की व्यवस्था भ्र्ष्टाचार में लिप्त
जागरूक ग्राहक फ़ूड फैक्ट्री क्यों नहीं देख सकता ?
आज हमारे भोजन के अधितर अवयव फ़ूड फैक्ट्री पर ही आधारित है। आज हम उस दौर में पहुंच गए है। जहां हम अपने खाने के 70 प्रतिशत से अधिक भोजन या भोजन के अवयव फैक्टरी में बनते या संवर्धित किये जाते है। खाने का तेल ,मसाले ,आटा ,दाल ,लगभग सभी किसी न किसी फैक्टरी में हो संवर्धित किया जाता है।
ऐसे में फैक्ट्रियों में साफ सफाई और किसी भी तरह के संक्रमण से बचाव के प्रावधान कितने कारगर व सभी मापदंडों पर है या नहीं ? हालाँकि सरकार द्वारा FSSAI व जिला खाद्य अधिकारी व स्वास्थय अधिकारी आदि फ़ूड फैक्ट्रीज पर नियमन के लिए नियुक्त है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की नियमन में लापरवाही और भ्रष्टाचार व्याप्त है।
आज हमारा प्रश्न भी यही है।
अमेरिका हो या यूरोपियन संघ सभी में खाद्य सुरक्षा और मानकों पर इतनी गंभीर व्यवस्था है कि थोड़ी सी लापरवाही के लिए सम्बंधित खाद्य फैक्ट्री का पूरा बेच( Batch No ) यानी की फैक्ट्री का एक बार का सारा उत्पादन बाजार से वापस करके नष्ट करवा दिया जाता है।जिसके लिए मिडिया, प्रिंट ,इलेक्ट्रॉनिक दोनों में सूचना संचारित करवाई जाती है। तथा सम्बंधित बाजार व दुकानों पर भी नोटिस चस्पा कर दिया जाता है।
भारत के इतिहास तो मात्र दो घटनाएं घटित होती हैं। स्थानीय प्रशासन द्वारा त्योहारी सीजन में दूध की दुकान या मिठाई वाले की दुकान के मावे के अलावा कहीं कोई कार्यवाही देखने को नहीं मिलती है। जबकि अमेरिका में हर रोज प्रोसेस फ़ूड से लेकर अनाज और सब्जियों में किसी भी कारण से कमी या खामी होने पर वापसी और वापसी की सुचना सभी तरह की मिडिया में संचारित कर दी जाती है। अकेले अमेरिका में अंदाजन मासिक रूप से 50 से 90 रिकॉल कर लिए जाते है।
भारत में फ़ूड फैक्ट्री की आंतरिक साफ सफाई और हाइजीन को लेकर जनता और प्रशासन दोनों ही उदासीन है। अमेरिका जैसे देश में उच्च तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सुसज्जित सेंसर और डिटेक्ट उपकरण होने के बावजूद भी रोज दो या दो से अधिक रिकॉल हो जाते है। तो भारत जैसे देश जहां भोजन की खपत अमेरिका से दो गुणा ज्यादा है। वहा रिकाल जैसे कानून का इस्तेमाल हो ही नहीं रहा है।
क्या मान लिया जाय कि भारतीय खाद्य फ़ैक्ट्रियां दुनिया में खाद्य सुरक्षा व तकनीक में सबसे अव्वल है। या हमें धोखे में ही रखा जा रहा है।
आज आप जो बिस्किट चाय के साथ खा रहे है। चाय में इस्तेमाल हुई चीनी खुद चाय की पत्ती जहाँ जिस फैक्टरी में संवर्धित हुई है उसकी साफ़ सफाई के बारे में आप कितना जानते है ? आये दिन फ़ूड ब्लॉगर आपको किसी मिठाई की छोटी बड़ी फैक्टरी याअन्य खाद्य उत्पादन फैक्टरी के वीडियो दिखाते रहते है जिसमे साफ साफ सफाई और हाइजीन की स्थिति आप देख सकते है। कल्पनाओ के घोड़े दौड़ने तो दूर टहलाने की भी जरुरत नहीं पड़ेगी।
हमारे देश में भोजन और भोजन से फैले संक्रमण को लेकर कोई जागरूकता है ही नहीं। अक्सर लोग खाद्य जनित रोग को समझते ही नहीं। और संक्रमित होने पर उसके आसपास वाले लोग उसी को आरोपी साबित कर देते है।
कोरोना और तालाबंदी के दौर में कोविड के अलावा फंगस ( फफूंद) जनित रोग भी तेजी से फैले थे जिनको मानवीय भूल और लापरवाहियों का नतीजा बताया जा रहा था। कोरोना और तालाबंदी जैसे आपातकालीन स्थिति में भी मानवीय भूले हो रही थी। ऐसे में किसी खाद्य फैक्टरी को अब कैसे सुरक्षित माना जा सकता है। क्या एक साधारण आम आदमी ऐसी खाद्य फैक्टरी में घुस कर वहां की सफाई और हाइजीन की समीक्षा कर सकता है ?
खाद्य संदूषण हमारे आसपास और हमारे खाने पीने से ही हमारे शरीर में पहुंचते है। ये कोई जहर तो नहीं होते जिससे तुरंत असर दिखाई देने लग जाये। बल्कि इनका असर या संक्रमण होने में 2 दिन से लेकर महीनो लग सकते है।इन्ही खाद्य संदूषको से कई गंभीर बीमारियां हमारे अपनों को घेरे रहती है।
फ़ूडमैन की सौ खबरों का एक ही सार है, कि जनता की जागरूकता और खाद्य के प्रति चेतना ही समाज में फैली बीमारियों को कम कर सकती है।