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FSSAI का इवेंट ,मिठाई की एक्सपाइरी डेट लिखना जरुरी।
2020 से लागु नियम अभी तक FSSAI का इवेंट ही रहा है।
FSSAI का इवेंट बाजी हर साल बढ़ती ही जा रही है।चाहे वो इट राइट अभियान हो या FoSTac किसी भी तरह से FSSAI ने अब तक किसी भी तरह से इन अभियानों को सफल करने के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है। सिर्फ अखबार में खबर और सोशल मिडिया पर इवेंट के अलावा धरातल पर इन अभियान या योजनाये फ्लॉप शो रही है। लेकिन सरकार को इवेंट की सफलता के लिए सोशल मिडिया रेफरेंस और कागजी आंकड़े दे दिए जाते है।
2020 में मिठाइयों पर पैक और खुली मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट को लेकर FSSAI द्वारा दिशा निर्देश लागु किये गए थे। जिनको अभी तक लागु ही नहीं किया गया। अधिकतर राज्यों में फ़ूड इंपेक्टर द्वारा इस का लाभ रिश्वत और मासिक बंदी के रूप में उठाया जा रहा है। जो हर त्यौहार के सीजन में जारी रहता है। आम जनता को इस तरह की किसी भी योजना या दिशा निर्देश के बारे में मालूम ही नहीं है।
अगर कोई दिशा निर्देश उपभोक्ता हितों को ध्यान में रखते हुवे FSSAI द्वारा दिए गए है तो इसकी सूचना जनता तक पहुंचना भी FSSAI के दायित्व क्षेत्र में आती है। जो FSSAI द्वारा निर्वाह नहीं किया जाता है। और सिर्फ एक समाचार की तौर पर त्योहारी सीजन में अखबार में छाप दिया जाता है।
ऐसे में ग्राहक ही नहीं छोटे-मोटे व्यापारी भी परेशान होते हैं। यदि कोई दिशा-निर्देश या कानून बना है तो हर व्यापारी को उसकी सूचना सरकारी और सूचना माध्यमों से मिलती है। और सार्वजानिक कार्यक्रम और अन्य प्रशिक्षकों से छोटे यात्रियों को सूचित किया जाना चाहिए।
मात्र त्योहारी सीजन में ऐसे कानूनों को थोप कर छोटे मिठाई व्यापारियों से मात्र उगाही ही की जाती है। कोई नियम का कानूनों का पालन करने के लिए किसी भी तरह की जन चेतना या व्यापारियों में भी कोई सर्कुलर जारी नहीं किया जाता है। ऐसे में छोटे मिठाई उत्पादक मात्र अपनी बारी और बंदी के भरोसे ही रहते है। ऐसे में FSSAI का इवेंट बाजी मात्र और मात्र ढकोसला ही लगता है।
खुद FSSAI के पास इतने फ़ूड इंपेक्टर नहीं है जो हर जिले में FSSAI द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करवा सके। ऐसे में सिर्फ उगाही का ही जुगाड़ रहता है। और आम जनता और व्यापारी खुद को ठगा सा महसूस करते है। इससे पहले भी FoSTac जैसी बहुआयामी योजना FSSAI का इवेंट ही साबित हुवा है। FoSTec के अंतर्गत सभी खाद्य उधोग से जुड़े व्यापारियों की खाद्य सुरक्षा ट्रेनिंग की अलग अलग ट्रेनिंग करवायी जानी थी। लेकिन धीरे धीरे FoSTec के ट्रेनिंग पार्टनर पर FoSTac का नियमन और मनमानी ही देखी गई है।
अभी तक जुड़े सभी ट्रेनिंग पार्टनर में से 60 प्रतिशत से भी अधिक ट्रेनिंग पार्टनर अब FoSTac से हटा दिए गए है। जिसकी मुख्य वजह FSSAI द्वारा FoSTac सर्टिफिकेशन को अनिवार्य करने की शर्त पर ढुलमुल रवैया रहा है।FoSTec को शुरुवात में ही इसे अनिवार्य प्रशिक्षण के तौर पर उतरा गया था। जिससे FoSTac प्रमाणपत्र की जरुरत आवश्यक हो जाये। जिसके प्रति ट्रेनिंग खाद्य व्यापारियों का रुझान रहे। लेकिन अपनी शुरुवात से अब तक इसे अनिवार्य प्रशिक्षण नहीं बनाया गया है। और न ही इसको फ़ूड लाइसेंस के लिए अनिवार्य बनाया गया है। ऐसे में FSSAI की कार्य प्रणाली पर शक पैदा होता है। और FSSAI का इवेंट प्रेम या उदासीनता महसूस की जा सकती है।
हाल ही के स्थानीय अखबारों में खुली मिठाई के डिब्बों पर बेस्ट बिफोर या एक्सपायरी डेट लिखना अनिवार्य किया गया है। जिसमे अलग अलग मिठाइयों की अलग अलग सेल्फ लाइफ तय की गई है। लेकिन किस मिठाई की कितनी सेल्फ लाइफ होनी चाहिए यह बिना किसी मापदंड के लागू कर दिया गया है। जिसमे एक दिन में ख़राब होने वाली मिठाई से लेकर एक महीने तक ख़राब होने वाली मिठाइयों को शामिल किया गया है। लेकिन नमकीन भुजिया ,कचोरी,समोसे ,व पापड़ जैसे कई उत्पादों को इस श्रेणी से दूर रखा गया है।
इनकी पेकिंग पर किसी भी तरह से प्रिज़र्वेटिव का जिक्र तक नहीं किया जाता जो की FSSAI के ही नियमो के विरुद्ध है। ऐसे में सिर्फ छोटे मिठाई बनाने वाले व्यापारियों पर ही FSSAI के नियम लागु होते है। जो बड़े स्तर पर छोटे व्यापारियों को खत्म करने और मात्र रिश्वत खोरी को बढ़ावा देने जैसे है।
यह भी हर त्योहारी सीजन का FSSAI का इवेंट मात्र ही समझना चाहिए। FSSAI की अब तक के सभी अभियान व दिशा निर्देश मात्र इवेंट ही बने रहे है। इनका धरातल पर कोई आधार नजर नहीं आता है। बड़े कॉरपरेट में FSSAI के अधिकारी ही FSSAI के नियमो को ढीला करते देखे जा सकते है। वही स्थानीय स्तर के व्यापारियों और उधोगो को स्थानीय फ़ूड इंस्पेक्टर द्वारा बंदी का खेल चलता आ रहा है।