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फूड टेस्टिंग लैब ,एक अलग विभाग हो।
फूडमेन की परिकल्पना FSSAI से अलग हो फूड टेस्टिंग लैब विभाग।
भारत में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना FSSAI की जिम्मेदारी है। FSSAI ने देश भर में 224 खाद्य प्रयोगशालाओ को खाद्य परीक्षण के लिए अधिसूचित किया है। जिनमे प्राथमिक परीक्षण के लिए 53 राज्य सरकार की प्रयोगशालाएं 145 निजी प्रयोगशालाओं ,26 अन्य सरकारी प्रयोगशालाएं तथा रेफरल खाद्य परीक्षण के लिए 20 प्रयोगशालाएं है। गौरतलब है की FSSAI द्वारा खाद्य वस्तुओं के अलावा न्यूट्रास्यूटिकल ,शराब ,गुटखा व पान मसाला व कई तरह के आयुर्वेदिक FMCG उत्पादों का नियमन किया जाता है। जो की प्रयोगशालाओं को देखते हुए बहुत विशाल है।
त्योहारों के आसपास शहरों में नकली दूध ,पनीर मावा आदि पकडे जाने व खाद्य नमूनों को लैब भेजने के समाचार छपते ,दिखते रहते है। लेकिन कार्यवाही के समाचार नहीं आते और ना ही नमूनों के परिक्षण की सुचना आम लोगो को दी जाती है। नमूनों को परिक्षण के लिए भेजने और परिक्षण में लगने वाले समय में ही नमूने ख़राब हो जाते है। या जानबूझ कर करवा दिए जाते है।
अब तक के FSSAI के इतिहास में मैगी के अलावा कोई बड़ा रिकॉल नहीं किया गया है। ऐसे में FSSAI की कार्यशैली पर सवाल उठता है। तथा हालिया में वायरल होते खाद्य पदार्थो में लापरवाही के विडिओ भी FSSAI की कार्यशैली को और भी संदिग्ध बनाती है।
एक आम नागरिक को पता ही नहीं होता है की खाद्य परीक्षण कहाँ करवाये यहाँ तक की छोटे व्यापारी को भी पता नहीं होता की उसके दुकान से लिए नमूने कौनसी लेब में गए है। और परीक्षण रिपोर्ट कब तक आएगी।
एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी का काम खान पान की दुकानों और प्रतिष्ठानों पर जा कर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखना और उसके उत्पादों की जांच करने के लिए खाद्य नमूनों को जांच के लिए सरकारी प्रयोगशाला में भेजना होता है । जांच के लिए खाद्य उत्पाद के नमूने भी भेजने के लिए खाद्य सुरक्षा विभाग में ये खाद्य नमूने बिना किसी रखरखाव के कई दिनों तक पड़े रहते हैं. खाद्य व्यापारी घबराकर इस जांच को रोकने के लिए कुछ भी करने को राजी हो जाता है।
भ्रष्ट अधिकारी इसी बात का फायदा उठाकर अपने इंस्पेक्टर राज को कायम रखते हैं. खाद्य पदार्थों की सुरक्षा का जिम्मा और जांच का जिम्मा एक प्राधिकरण पर होने में घालमेल ही हो सकता है. रिपोर्ट में अधिकारी खाद्य नमूनों से छेड़छाड़ करके मिलावटी न सही लेकिन घटिया बना कर उसे दोषी साबित भी कर सकते हैं। राज्य भर से खाद्य परीक्षण के लिए आने वाले खाद्य नमूनों की अत्यधिक मात्रा में आने से और स्टाफ की कमी भी एक कारण है कि रिपोर्ट में देरी का।
अतः निरीक्षण और परीक्षण एक ही मंत्रालय की संस्था देखे ये व्यापारियों को भी उचित नहीं लगता क्योंकि बाजार की आज की स्थिति में खाद्य अधिकारियों की मनमानी से व्यापार करना मुश्किल होता जा रहा है। इसमें शुद्ध वस्तुओं के व्यापारी पिसते हैं जो कि जांच के हथकंडों में फंसकर अपने व्यापार को बंद कर लेते हैं।
जांच एवं परीक्षण को FSSAI से हटा कर ही उत्पादों पर भरोसा यदि बनाना है तो एक अलग नियामक संस्था को जिम्मेदार बनाया जाए, जैसे कि QCI है जो कि उपभोक्ता मंत्रालय की संस्था है और देश भरे में होने वाले व्यापार वस्तुओं के लिए मानक तय अपनी अधिमान्य प्रयोगशालाओं के जरिए करती है। सरकारी व्यवस्था में जब जिम्मेदारी इस प्रकार बांटी जाय कि एक हाथ को दूसरे हाथ के काम का पता न चले और गोपनीयता के तहत कार्य संपादन किया जाएगा तब जनता भी जांच पर भरोसा करेगी। इस पूरे जांच और परीक्षण के प्रोटोकॉल को भी निर्धारण करने का जिम्मा स्वतंत्र संस्था पर होना चाहिए।
फ़ूडमेन अपनी एक राय प्रस्तुत करता है। की फ़ूड टेस्टिंग लैब का विभाग FSSAI से अलग हो ,एक अलग से विभाग बनाया जाये जो खाद्य पदार्थो की जाँच करे।
जिससे खाद्य परीक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में विशेषज्ञता और ध्यान की आवश्यकता होती है। एक अलग विभाग इस पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है, जिससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। अलग विभाग होने से उत्तरदायित्व और जवाबदेही में वृद्धि होती है। यदि खाद्य सुरक्षा में कोई समस्या होती है, तो इसे विशेष विभाग द्वारा जल्दी और प्रभावी तरीके से संबोधित किया जा सकता है।
स्वतंत्र फ़ूड लैब निरंतर सुधार और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर सकती है। इससे खाद्य सुरक्षा के नए तरीकों और तकनीकों का विकास हो सकेगा, जो अंततः उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा को बढ़ावा देंगे। और देश में खाद्य सुरक्षा व खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता पर पैनी नजर रखी जा सके।
वैध अजीत
15 July 2024 at 11:33 am
भ्रटाचार है सिर्फ लुट मचा रखी है जहर खिला रही है सरकार पब्लिक को, ताकि सभी जल्दी मरे