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इमल्सीफायर : (Emulsifiers) पायसीकारक /समांगी कारक
प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री में इमल्सीफायर के बिना कोई भी उत्पाद नहीं बनता है।इमल्सीफायर के बिना टोमेटो सॉस का पानी अलग और टमाटर अलग हो जायेगा। मेयोनेज़ हो या पिज़्ज़ा पास्ता स्प्रेड या हो , इसके बिना आपका पसंदीदा सोडा ड्रिंक में भी पानी अलग और रंग अलग अलग हो जायेंगे। साधारण शब्दों में दो विपरीत तत्व को मिलाने वाले तत्वों को विशेषकर द्रव्य पदार्थों को मिलाने या समांगीकरण में सहायक तत्वों को पायसीकारक या इमल्सीफायर कहते है। ये तैयार उत्पाद में या उत्पाद की तैयारी में काम में लिए जाते है। कुछ इमल्सीफायर प्राकृतिक होते है व कुछ रासायनिक होते है।
इमल्सीफायर के साथ विडंबना ये होती है की ये अधिकतर वसा आधारित होते है और वसा जानवरों से भी ली जा सकती है और वनस्पति से भी ली जा सकती है और इस फर्क का सीधे तोर पर उत्पाद पर नहीं बताया जाता है। जिससे ये संदेह हमेशा रहता है की ये किससे बना है
इमल्सीफायर अधिकतर हानिकारक होते है। जो मोटापा ,ह्रदय रोग ,रक्तचाप में असंतुलन तथा हार्मोन व खून के प्लाज्मा को असंतुलित कर सकते है। फ़ूड अवयव में बहुत से अवयव दो या दो से अधिक घटको का काम करते है।
इमल्सीफायर फ़ूड कॉड में कई समूहों में प्रदर्शित होते है। जो इस प्रकार है।
इमल्सीफायर -E-322 ,E-353,54,E -400 से 414 ,E -416,E -418,19,E -425 ,
E -431से E -499 तक E -543 ,44 ,45 E -1000 ,1001 ,E -1411 तक के अंको में इमल्सीफायर होते है।
E -322 -लेसीथीन
लेसीथीन इमल्सीफायर (Emulsifier ) का उपयोग चॉकलेट ,बिस्किट ,टॉफी,कन्फेक्शनरी और आइस क्रीम उद्योगों आदि में किया जाता है। ये वसा आधारित इमल्सीफायर है। जो जन्तुओ या वनस्पती दोनों से ही प्राप्त किया जा सकता है। वनस्पती आधारित लेसीथीन महंगे होते है। प्राय वनस्पतीय लेसीथीन सोयाबीन से प्राप्त किया जाता है। जंतु आधारित लेसीथीन चर्बी ,अंडे की जर्दी आदि से संश्लेषित किया जाता है।
वनस्पती आधारित लेसीथिन का रंग भूरा या गहरा पीला होता है जो इसको खाद्य रंजक के रूप में भी उपयोगी बनाता है। जंतु आधारित लेसीथिन सफ़ेद या धुंधला हल्का सफ़ेद होता है इसका इस्तमाल दवाओं में और दवा के रूप में भी किया जाता है। फैटी लिवर के लिए इसका उपयोग होता है। लेसीथीन में वसा को कम करने के लिए लिया जाता है। तथा कुछ शरीर की कमजोरी के लिए भी दिया जाता है हमारे शरीर में लेसीथीन प्राकृतिक रूप से बनता है जिससे हमारी कोशिका की दीवार बनती है।
वनस्पतीय लेसीथीन के लिए GMO सोयाबीन का इस्तेमाल शुरू हो गया है जो इसे और भी खतरनाक बना सकती है। जंतु आधारित लेसीथीन उपयोग नकली दूध और पनीर बनाने में भी होता है। ज्यादा मात्रा में ये शरीर में कई व्याधि उत्पन्न कर सकता है। विशेष रूप से दिमाग और रक्त परिसंचरण में। वैश्विक रूप से इस पर बहस सहमति और असहमति दोनों पक्षों के विशेषज्ञों की राय है।