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पैकेज दही पर “दही” लिखने की अनिवार्यता समाप्त
पैकेज दही पर FSSAI ने अपने संशोधित फैसले को वापस लिया
“दही”- भारत के हिंदी पट्टी राज्यों में आसानी से कोई भी इस शब्द का मतलब समझ सकता है। लेकिन भारत में ही कई राज्यों की स्थानीय भाषा में दही के कई नाम है। यहाँ तक की हिंदी भाषायी प्रदेशों में भी स्थानीय भाषा में दही को अलग शब्दों में बोला जाता है।
गत दिनों में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( FSSAI ) के इसी साल के 11 जनवरी में दही की परिभाषा को लेकर बनाये गये लेबलिंग के नियमो में दक्षिणी भारत के राज्यों और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की आपत्तियों के बाद से बदलाव किये है।
हाल फिलहाल में FSSAI द्वारा कई उल जलूल व अजीबो गरीब फैसले व संशोधन की खबरें खाद्य विशेषज्ञों व उत्पादकों के लिए चर्चा व चिन्ता का विषय रही है फूडमेन भी खुद से पैकेज फ़ूड की पैकिंग में इस्तेमाल भाषा को लेकर इसे स्थानीय व क्षेत्रीय भाषा व समझ आने वाली भाषा के वैकल्पिक रूप को अनिवार्य रूप देने के पक्ष में है।
FSSAI ने अपने फैसले को लेकर आयी आपत्तियों को लेकर अब बदलाव किये है। दूध के किण्वन से तैयार खाद्य उत्पाद की पैकिंग की लेबलिंग में “दही”ही लिखा होगा की अनिवार्यता को वापस ले लिया गया है। जो की उल्लेखनीय है। दही को अब स्थानीय व प्रांतीय भाषा में भी लिखने की छूट है। जो की 11 जनवरी में दही लिखने की बाध्यता को समाप्त करता है व प्रांतीय व सरल व समझने में आने वाली भाषा की थोपे हुवे कानूनों पर छोटी ही सही लेकिन महत्वपूर्ण जीत है।
अब से दही को तेलगु में पेरुंगु ,तमिल में थायर ,कश्मीरी में जामुत दौड़,और कन्नड़ में मोसरु आदी स्थानीय व प्रान्तीय भाषाओ में पैकेज दही को लिखा जा सकता है।
इससे पहले तमिलनाडु के मुख्य मंत्री एमके स्टालिन ने भी FSSAI की पैकेज दही के लिए दही शब्द लगाने की अनिवार्यता पर आपत्ति जतायी थी। उनका कहना न था की गैर हिंदी प्रदेश में हिंदी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए। भाजपा के तमिलनाडु के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलई ने भी पैकेज दही में “दही “शब्द लिखने अनिवार्यता के नियमों को बदलने को लेकर FSSAI को ट्वीट किया।
पैकेज दही की पैकिंग पर दही शब्द अनिवार्यता को लेकर जनवरी से ही दक्षिण भारत में अलग अलग रूप से विरोध व प्रदर्शन हुवे है। लेकिन इसकी सूचना या खबर से हिन्दी प्रदेशों की मीडिया ने आम नागरिको को वंचित रखा था। जब तक की यह महत्वपूर्ण फैसला सामने नहीं आया। FSSAI का पैकेज दही के शब्द की अनिवार्यता के नियम को वापस लेना भविष्य में कई और अजीबो गरीब प्रावधानों में सुधार की गुंजाइश पैदा करता है।