कंज्यूमर कार्नर

ब्रांडेड शहद की मिलावट पर FSSAI चुप क्यों ?

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हालही में गैर लाभकारी उपभोक्ता संगठन एसीपी( ACP) एसोसिएशन ऑफ़ कंज्यूमर प्रोटेक्शन ने भारत में बिकने वाले शहद के ब्रांड्स में शुगर सीरप होने को लेकर अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक कर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। साल के आखिरी महीने की आखरी दिनों में हुवे इस खुलासे कई चौंका देने वाले खुलासे हुए .साथ ही एनएमआर ( न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी   )टेस्ट  एक बार फिर से चर्चा का विषय रहा।एनएमआर तकनीक में शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र से पदार्थ के परमाणुओं के नाभिकीय चुम्बकीय अनुनाद व नाभिकीय घूर्णन से पदार्थ की पहचान की जाती है।तथा इस तकनीक से प्रमाणित शहद व अन्य उत्पाद मात्र निर्यात करने के लिए ही किया जाता है।
तथा भारत में बिकने वाले शहद पर ऐसे किसी भी टेस्ट को लेकर बाध्यता नहीं है।

ACP से पहले सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ( CSE ) ने भी दिसंबर 2020 में शहद की गुणवत्ता और मिलावट को लेकर एनएमआर NMR टेस्ट करवा कर ब्रांडेड शहद  उत्पादकों के नाम सार्वजनिक किए थे। इस खुलासे के बाद बार बार जोर देने पर FSSAI ने शहद की गुणवत्ता को लेकर नए संशोधित कानून तो बनाये लेकिन एनएमआर टेस्ट को लेकर कोई बाध्यता या अनिवार्यता लागू नहीं की है।जबकि दो अलग अलग संस्थाओं के परीक्षण से साबित हुवा है की देश में मिलावटी शहद और ब्रांडेड मिलावटी शहद की चपेट में है।यहाँ तक की ACP की रिपोर्ट में वो ब्रांडेड शहद भी फ़ैल हुवे है जो CSE की रिपोर्ट में दो साल पहले एनएमआर टेस्ट पास हुवे थे।

CSE के रिपोर्ट के हवाले में पास सफोला हनी ACP द्वारा करवाए गए टेस्ट में फ़ैल हो गया। जबकि सफोला हनी पेकिंग पर एनएमआर टेस्ट द्वारा प्रमाणित छापा और विज्ञापित होता है। ये बात गौर करने वाली है की भारत में बिक्री होने वाला शहद और एक्सपोर्ट होने वाले शहद की गुणवत्ता में फर्क होता है।
समय समय पर निजी व गैर लाभकारी संस्थाओ ने अपने संसाधनों से FSSAI को आईना दिखाने का काम किया है। इससे FSSAI के काम करने के तरीके और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठता है।ऐसे में उपभोक्ता किस के भरोसे उत्पादों पर भरोसा करे।
देश में बिकने वाला शहद और निर्यात किये जाने वाले शहद में फर्क उत्पादकों और FSSAI की मिलीभगत दर्शाता है। सिर्फ निर्यात के खाद्य प्रदार्थो को विशेष जाँच पड़ताल के बाद ही भेजा जाता है। और भारतीयों के लिए सब कुछ भगवान भरोसे ही छोड़ दिया जाता है। क्या भारतीयों को अधिकार नहीं की वो भी उच्च जाँच से प्रमाणित खाद्य प्रदार्थो का उपभोग कर सके।

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