कंज्यूमर कार्नर
खतरनाक होती खांसी की दवा।
खांसी की दवा लेते समय सावधानी जरुरी है।
भारत में खांसी की दवा चिकित्सीय सलाह से ज्यादा विज्ञापन व खुद से ही खरीदी जाती है। कुछ खांसी की दवा तो नशे के लिए भी काम में ली जाती है। दवा की मात्रा एक समय के लिए हमेशा निश्चित होती है। लेकिन कई कारणों या नशे के लिए कई दवाओं की निश्चित मात्रा से चार से 8 गुणा तक ली जाती है। जो हमेशा से ही जानलेवा व स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रही है।
भारत सबसे ज्यादा जेनरिक दवाओं का निर्यातक है। हाल ही के दो वर्षो में विदेशो में निर्यात की गई खांसी की दवा से कई बच्चो के मरने के चौंका देने वाले समाचार आये जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को तथा भारत से निर्यात होने वाली दवाओं पर चेतावनी जारी कर दी थी।
जिसमे दक्षिण अफ्रीका के गाम्बिया में खांसी की दवा से 66 बच्चो के कथित रूप से मरने का आरोप भारतीय कम्पनी पर लगाया गया था। तथा इसी साल जनवरी में उज्बेकिस्तान सात बच्चो की मौत के लिए भारतीय कंपनी की खांसी की दवा पर आरोप लगाए गए थे। हालाँकि भारत ने इन आरोपों से इंकार किया है। लेकिन अब भारत खुद अपने निर्यात होने वाली दवाओं विशेष कर खांसी की दवा के लैब टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। जिसके चलते हालही में 54 निर्माताओं के खासी की दवाओं के नमूने निर्धारित गुणवत्ता में विफल पाए गए।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)ने कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी लेब में लगभग 2014 नमूनों की जांच की गई। जिसमे से 128 यानी 6 % नमूने गुणवत्ता में विफल हो गए।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार फार्माकोपिया आयोग ,गाजियाबाद (यूपी ) में 502 नमूनों का परीक्षण किया गया जिसमे से 29 नमूने विफल रहे। गुजरात लेब में हुवे 385 नमूनों में से 51 नमूने विफल हुए। यह टेस्ट देशभर की सरकारी लैब जिसमे केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला ,कोलकाता, चेन्नई ,हैदराबाद ,चंडीगढ़ ,गुवहाटी ,आदि में परीक्षण के लिए खांसी की दवा के नमूने भेजे गए। इन नमूनों में से लगभग 6 प्रतिशत नमूने विफल हुवे।
हालाँकि अभी तक दवा के नमूने फ़ैल करने के कारण सार्वजानिक नहीं किये गए है।
विडम्बना ये है की भारत से निर्यात किये जा रही खांसी की दवा को ही इस परीक्षण के दायरे में लाया गया है। भारत अपने घरेलू उपभोक्ता के लिए ऐसे लैब टेस्ट गंभीरता से नहीं करवा रहा है। या लापरवाही ,उदासीनता और मिली भक्ति से देश के नागरिक दवा मानक से कम या घटिया दवाओं के सेवन के लिए मजबूर है। इसी साल नकली दवाओं बनाने और बेचने वालो पर छापे मारी में करोडो की नकली व घटिया दवाये जप्त की गई। बाजार में हर 10 दवाओं में से एक दवा के नकली होने की आशंका बनी रहती है।
खांसी की दवा एक सामान्य दवा है जो सीधे ही दुकान से कोई भी खरीद और बेच सकता है। वही आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक ,वा यूनानी दवाओं के नाम पर भी कई नशीली जड़ीबूटियों का उपयोग लम्बे समय से हो रहा है। तथा आम जनता में भी खांसी के इलाज को लेकर गंभीरता नहीं है। और न ही खांसी की दवा की मात्रा व लेने के तरीके को लेकर कोई विशेष ज्ञान है। चम्मच या ढक्कन व पानी में घोल कर दवा लेने का तरीका ही विलुप्त हो चूका है।
अब हर कोई दवा की बोतल से ही दवा लेना पसंद करता है। ऐसे में दवा की मात्रा और दवा लेने का समय को ध्यान में ही नहीं रखा जाता है। ऐसे में खांसी के दवा के दुष्प्रभाव होना एक सामान्य घटना है जो कई लोगो को महसूस होती है और कई लोगो को नहीं होती है। बाजार में उपलब्ध खांसी की दवा में मुख्य औषधीय तत्वों की मात्रा बताई जाती है।खांसी की दवा या अन्य लिक्विड दवा में फ्लेवर व मिठास के लिए तत्वों की जानकारी फ्लेवर्ड शुगर बेस ((Flavoured syrupy base) लिख कर छिपा दी जाती है।तथा दवा में उपयोग हुवे अन्य अवयवों की भी जानकारी नहीं होती है।
खांसी की दवा को हमेशा चिकित्सकों की देखरेख में ही लेवे ,विशेषकर बच्चो की दवा। रेडीमेड आयुर्वेदिक नुस्खों की दवा लेने से बचे। घरेलू व प्राकृतिक नुस्खों को काम में लेवे।