कंज्यूमर कार्नर
केराजीनन (carrageenan) – E-407-407a
केराजीनन से होने वाली पेट की गड़बड़ी को केराजीनन ब्लॉट कहा जाता है।
केराजीनन ( carrageenan ) किसी भी प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ में चिपचिपाहट बढ़ाने के लिए केराजीनन ( carrageenan ) का उपयोग किया जाता है। यह खाद्य सामग्री सूची में पैकेज्ड खाद्य लेबल पर E-407-407a के रूप में दिखाई देता है। लगभग 50% प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में कैरेजेनन मिलाया जाता है।
यहां तक कि धुंध पैदा करने वाले प्रोटीन को हटाने के लिए इसका उपयोग बीयर और वाइन में भी किया जाता है। केराजीनन का उपयोग बेकरी और बेकरी क्रीम, बिस्कुट, ब्रेड आटा गूंथने, टॉफी, चॉकलेट, आइसक्रीम, टूथपेस्ट, दवाओं में सहायक पदार्थ के रूप में किया जाता है। क्योंकि इससे शरीर को कोई सक्रिय योगदान नहीं मिल पाता है. लेकिन एक मात्रा या एक समय के बाद कई लोगों में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिले हैं।
केराजीनन समुद्री लाल शैवाल (चैन्ड्रस क्रिस्पस / केराजीनन मॉस) से तैयार किया जाता है। केराजीनन तीन प्रकार के होते हैं – कप्पा, आयोटा (नरम जेल के लिए), और लैम्ब्डा (जो जेल नहीं बनता और डेयरी उद्योग में उपयोग किया जाता है)। नकली डेयरी उत्पादों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। सामान्य परिस्थितियों में, केराजीनन का अनुशंसित दैनिक सेवन शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम 75 मिलीग्राम है। यानी एक सामान्य व्यक्ति जिसका वजन 75 किलोग्राम है, के लिए 5-6 ग्राम से अधिक कैरेजेनन युक्त भोजन खाना सुरक्षित है।
इससे अधिक और लगातार खाने से कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। केराजीनन को जिलेटिन के शाकाहारी विकल्प के रूप में देखा जाता है। लेकिन अपनी स्थापना के बाद से ही केराजीनन विवादों में घिरा रहा है। कई बार यह उत्पाद पर प्रदर्शित भी नहीं होता है। कैरेजेनन का वैश्विक बाजार 2021 में 66 बिलियन रुपये से अधिक होने की उम्मीद है और यह हर साल 5.8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है।
केराजीनन का उपयोग 200 वर्षों से किया जा रहा है। इसे 1935 में एक खाद्य सामग्री के रूप में मान्यता दी गई थी। हालांकि, समय के साथ प्रयोगों और परीक्षणों के माध्यम से, कैरेजेनन को मात्रा और सीमा में उपभोग के लिए सुरक्षित माना जाता है।केराजीनन से होने वाली पेट की गड़बड़ी को केराजीनन ब्लॉट कहा जाता है। जो की केराजीनन की अधिक मात्रा का शरीर में पहुंचे से होता है। नौजवानो और बच्चो में आइसक्रीम और डब्बाबंद फलो के ज्यूस का काफी चलन है। जिसमे केराजीनन की मात्रा होती है। यहाँ तक की कई डेयरी उधोग व पैकेज्ड दूध बेचने वाली कम्पनी भी दूध को गाढ़ा दिखाने और मिलावट को छुपाने के लिए भी केराजीनन का उपयोग करती है
चूहों पर किए गए कई परीक्षणों में चूहों में आंतों का कैंसर, प्रजनन क्षमता में कमी, वजन बढ़ना आदि पाया गया। कई खाद्य विशेषज्ञों का मानना है कि केराजीनन आंतों में सूजन बढ़ाता है। केराजीनन के लगातार सेवन से आंतों का कैंसर, वजन बढ़ना, मधुमेह हो सकता है। और प्रजनन अंगों में कमजोरी आती है। कुछ खाद्य विशेषज्ञ खाद्य सूची से कैरेजेनन को हटाने की वकालत करते हैं। क्योंकि केराजीनन शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचाता।
डिब्बाबंद खाद्य उद्योग ने हमेशा किसी उत्पाद की सामग्री सूची को छिपाने की कोशिश की है। या तो किसी उत्पाद का उल्लेख ही नहीं किया जाता या अंतरराष्ट्रीय कोडिंग या बेहद वैज्ञानिक नामकरण का सहारा लेकर ग्राहक को अंधेरे में रखा जाता है। और उत्पाद में खाद्य सामग्री की मात्रा ही छुपी होती है। जिसके कारण ग्राहक को खाद्य सामग्री की कथित सुरक्षित मात्रा की जानकारी नहीं हो पाती है और ग्राहक को मजबूरी में स्वास्थ्य एवं दवा उद्योग की ओर जाना पड़ता है।
हमारे रोज के खान पान में ऐसे कई तत्व है। जिनकी कुछ मात्रा सेवन के लिए सुरक्षित होती है। लेकिन सिमित मात्रा से अधिक ये खाद्य अवयव नुकसान पंहुचा सकते है। लेकिन हमारी लापरवाही और अनदेखी के चलते हम रोज ही सिमित मात्रा की सीमा तोड़ते रहते है और बीमारियों का शिकार हो जाते है।
Gjanasham Bhaskar Bendale
7 August 2023 at 8:08 am
Very good information
Thanks for creation