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अमेरिका में ब्रोमिनेटेड ऑयल पर प्रतिबन्ध का प्रस्ताव जारी।
भारत में बवाल के बावजूद ब्रोमिनेटेड ऑयल पर चर्चा से भी दूरी।क्यों ?
ब्रोमिनेटेड ऑयल सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक के बोतल या डब्बा बंद कोल्ड ड्रिंक जिसमे साइट्रस या खट्टा सवाद होता है। उसमे इमल्शन ( द्रव्य पदार्थ में चीनी और अन्य तत्वों को मिलाय रखने के लिए या एक सार बनाये रखने के लिए उपयोग किये जाने वाले पदार्थ ) के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
हाल ही में अमेरिका के खाद्य व औषधि प्राधिकरण ( FDA ) ने ब्रोमिनेटेड ऑयल को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव दिया है। 1958 में इसे बिना गहन शोध और प्रमाणिकता से इसे सुरक्षित मान लिया गया था। लेकिन धीरे धीरे जानवरों पर हुए प्रयोग और मानव जीवन में इसके प्रभाव को देखते हुए कई यूरोपीय देशो ने इसके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है। मई 2023 में न्यूयॉर्क FDA ने भी इसके प्रतिबन्ध का प्रस्ताव रखा। वही कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसोम ने ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑयल के प्रतिबंधन पर मंजूरी देदी।
भारत में भी आधिकारिक रूप से BOV (ब्रोमिनेटेड वेजिटेबल ऑयल ) को कोल्ड ड्रिंक से हटाने का प्रस्ताव 2010 में सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ) से जुडी सुनीता नारायण के कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक होने के दावे के बाद कर दिया गया था। लेकिन इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है की BVO प्रतिबंधित है या नहीं ?
क्या होता है ब्रोमिनेटेड ऑयल
ब्रोमिनेटेड आयल लकड़ी व अन्य वनस्पतियो से प्राप्त एक प्रकार का तेल होता है ,या किसी भी वनस्पति तेल को ब्रोमीन से क्रिया करवा कर प्राप्त किया जाता है। ब्रोमीन कई औद्योगिक रूप से काम में लिए जाने वाला लवण है जो समुंद्री पानी में भी पाया जाता है। इसकी प्रचुर मात्रा मृत सागर में पायी जाती है। इसी वजह से ब्रोमीन का सबसे अधिक उत्पादन इसराइल व जॉर्डन से मिलता है।
क्या करता है ब्रोमिनेटेड ऑयल
BVO एक तरह से इमल्सीफायर है। इमल्सीफायर उन तत्वों को कहते है जो विपरीत स्वभाव के तत्वों को एक साथ घुलने या एकसार बनाये रखते है। कोल्ड ड्रिंक व प्रोसेस फ्रूट ज्यूस में चीनी व अन्य खाद्य अवयव जैसे टेस्ट इन्हांसर ,प्रिजर्वेटिव ,एंटी केकिंग एजेंट आदि मिले होते है। बिना ब्रोमिनेटेड ऑयल के यह अलग अलग हो जायेंगे। जिससे चीनी तले में और खाद्य डाई अलग अलग दिखने लगेंगे। इसीलिए इसका उपयोग किया जाता है ताकी फ्लेवर्ड सोडा ड्रिंक व प्रोसेस फ्रूट ज्यूस एक सामान व् एक सार दिखे।
BVO का मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ सकता इसका कोई सरकारी या आधिकारिक शोध जनता के सामने नहीं लाया गया है। कुछ स्वयंसेवी संस्थान,विश्वविधालय व NGO द्वारा समय समय पर इसको लेकर शोध सार्वजानिक किये है।BVO से मोटापा हृदय रोग ,दिमागी रोग ,हार्मोन संबंधी रोग व कैंसर तक हो सकता है। तथा कई खाद्य अवयवों के साथ ये और भी खतरनाक हो सकता है जिसके चलते BVO को कई देशो ने आधिकारिक रूप से खाद्य पदार्थों में प्रतिबंधित किया हुवा है
भारत में भी BVO 2010 में सुनीता नारायण के चलते प्रतिबंधित किया गया है। लेकिन अभी भी इसका उपयोग व्यापक रूप से हो रहा है। BVO के आयात को लेकर कोई सुचना इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं। जबकि इसका उपयोग फ़ूड इंडस्ट्री के आलावा कई ओधोगिक रूप से भी किया जाता है।
फ़ूडमेन हमेशा से अपने पाठको को यही समझाने में समर्पित है। की कैसे हमारे खाने को ही जहर में बदला जा रहा है। और हम बीमार और कमजोर रहे। ताकी मेडिकल इंडस्ट्री चलती रहे और फ़ूड इंडस्ट्री भी एक कुचक्र में आम आदमी को फसाये रखने का अंतरास्ट्रीय षड्यंत्र पिछले कई दशकों से जारी है।
यह समझने की बात है की अमेरिका जैसा ताकतवर देश भी आज 2023 में भी ब्रोमिनेटेड ऑयल प्रतिबंधन के लिए प्रस्ताव ही ला पा रहा है। जबकि कई यूरोपियन देशो ने 10 से 15 साल पहले ही BVO पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था। हमारे देश में कुछ मंत्रियो और अधिकारियो की मिलीभक्ति के चलते ही ऐसा हो रहा है। और हम जहरीले खानपान के लिए मजबूर है। ऐसे में एक सयुक्त चेतना और प्रयास ही हमें और हमारी आने वाली पीढ़ियों को इस कुचक्र से निकाल सकता है।