ब्लॉग
भारत के ब्रांडेड शहद में चीनी की मिलावट।
ब्रांडेड शहद के नाम पर ग्राहकों से ठगी।
भारतीय बाजारों में मिलावटी ब्रांडेड शहद धड्ड्ले से बेचा जा रहा है। इसके प्राकृतिक कारण है जो मनुष्यो की शहद उत्पादन में दखल की वजह से होता है। वही कई कम्पनी जानबूझ भारत के बाजारों में अपना ब्रांडेड शहद बेच रही है। जबकि एक्सपोर्ट में शुद्ध शहद भेज रही है। अपने ही देश वासियो को मिलावटी ब्रांडेड शहद खिलाने वाली कम्पनीज भारतीय ही है।
मधुमक्खियां इंसानो के लिए नहीं बल्कि अपने जरुरत और अपने लार्वा पालने के लिए शहद को बनाती है। लेकिन अपने स्वाद और स्वास्थ्य के लिए इंसान मधुमक्खियों के एकत्र भोजन का सेवन और व्यापार करता है। मधुमक्खी पालन करने वाले इन मक्खियों का शहद छीन कर उसकी जगह शुगर सीरप (चाशनी ) व अन्य तरह की शुगर सीरप जैसे चावल मेपल और अन्य वैकल्पिक सस्ते चीनी के सीरप या धोल मधुमक्खियों को पीलाते जिससे मधुमक्खियां जिन्दा भी रहे और शहद भी बनाती रहे।और यही चीनी या अन्य चाशनी शुद्ध शहद के साथ मधुमक्खियों के शहद के साथ मिल जाता है।
शहद असल में फूलो के रस का मधुमक्खियों के पेट में उत्पन्न एंजाइम व पाचक रसो के बाद पच चूका रस होता है। जो बाद में मधुमक्खी द्वारा बनाये छत्ते में उगल दिया जाता है। लेकिन अब शहद की मांग बढ़ने और इंसान के लालच के कारण मधुमक्खियों को चीनी दी जा रही है।और जैसा की चीनी का स्वभाव होता है ये आदत और लत दोनों ही बन जाती है।
मधुमक्खी भी इससे बच नहीं पाती है और चीनी को ही अपना भोजन समझने लगती है। मधुमक्खी पालको की मज़बूरी भी होती है की वो अपनी मधुमक्खियों को सुरक्षित करने के लिए ऐसा करते है। जिससे मधुमक्खियां भूखी भी न मरे और न ही कीटनाशकों के प्रभाव से मारी जाये।
ऐसे में कल्पना करना की आपके ब्रांडेड शहद शत
प्रतिशत शुद्ध शहद ही होंगे तो ये आपके विवेक पर ही निर्भर करता है।
भारत जैसे देश में शहद को लेकर उपयोगिता तो बहुत है।लेकिन शहद की कीमतों के चलते यह मात्र उच्च वर्ग और मिडल अपर क्लास तक में ही इसकी दैनिक उपयोगिता है। बाकि मिडल क्लास और गरीब वर्ग के लिए शहद पूजा विशेष या किसी आयुर्वेदिक नुस्खे या वजन कम करने की होड़ में लिया जाने एक उपाय मात्र है। चीनी के विकल्प में चीनी से पांच से सात गुणा महंगा शहद कौन दैनिक जीवन में उपयोग करने की सोच सकता है।
वैसे भी मधुमक्खियां अपने अस्तित्व की लड़ाई जल्द ही हारने वाली है। इंसानी हस्तक्षेप और कृषि में अनियंत्रित तेज और तेज जानलेवा कीटनाशकों के प्रभाव से मधुमक्खियाँ विलुप्ती की दहलीज तक आ पहुंची है।आखिरकार मधुमक्खी भी तो एक किट ही है। और प्रकृती में पुष्प निषेचन का काम इन्ही कीटो पर निर्भर करता है।
अगर किट ही नहीं रहेंगे तो फैसले कैसे पकेगी ? हालाँकि तकनीक और वैज्ञानिको ने इसका भी हल ढूंढ रखा है। और अब ये तरीके काम में भी लिए जा रहे है।कई फसलों से पैदावार अच्छी लेने के लिए पराग कणो का छिड़काव किया जा रहा है। और रही बात शहद की तो कई विकल्प आज मौजूद है। और इन विकल्पों की मौजूदगी आपको ब्रांडेड शत प्रतिशत शुद्ध शहद में आसानी से मील जाएगी।
भारत में खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI ) के शहद को लेकर ढुलमुल कानूनो के चलते कई कम्पनी के ब्रांडेड शहद बाजार में उपलब्ध है।जानबूझ कर शहद और शहद की शुद्धता के परिमाप ऐसे बनाये गए है जिससे ब्रांडेड शहद चीनी या चाशनी की मिलावट के साथ बेचा जा रहा है।
टीवी विज्ञापनों में नाच गा कर आपको शुद्धता का पाठ रटाया जाता है। और मुर्ख बनाया जाता है। यदि आपको लगे ब्रांडेड शहद में मिलावट है तो जाँच करवाये और जाँच मिलावट होने उपभोक्ता अदालत वाद दायर करे।