ब्लॉग

जिओलाइट – इसके बारे में हम इतना कम क्यों जानते है

Published

on

इस लेख में हमने जिओलाइट पर हुवे शोध व रिसर्च रिपोर्ट और आंतो की सफाई में जिओलाइट की भूमिका के बारे में जानकारी दी है।

आमतौर पर जिओलाइट के बारे में हम लोग ज्यादा नहीं जानते जिसका कारण मिडिया में इसकी चर्चा न होना और जानबूझकर ना होने देना भी है। क्योंकी जिओलाइट बहुत सस्ता है। और पेट साफ़ करने के दावे करने वाले उद्योग और उत्पाद की बिक्री को प्रभावित कर सकता है। यही कारण है की जिओलाइट अब तक आम लोगो की सोच से दूर है।
 जिओलाइट एक शक्तिशाली विष बंधक है। इसे  शराब इंडस्ट्री में काम में लिया जाता है।क्योकि ये भारी तत्वों और फफुन्दीय विष आदि को चुम्बक की तरह खींच लेता है। शराब इंडस्ट्री में इसका उपयोग कच्ची शराब को साफ करने में होता है।  इसे टोक्सिन बाइंडर कहा जाता है। यह बाजार में उपलब्ध एक्टिवेटेड कार्बन( एक्टिवेटेड चारकोल ) की ही तरह काम में लिया जा सकता है।एक्टिवेटेड कार्बन (कोयले का सक्रीय रूप )  थोड़ा महँगा होता है और इसे भी आज के दौर में साधारण  बाजार में उपलब्धता ना के बराबर है। यही वजह है की इसकी मार्केटिंग बहुत प्रभावी रूप से की जाती है। फेस वाश से लेकर हर तरह के निजी उत्पादों और दवाओं में इसका उपयोग होता है। यहाँ तक की घरेलु पशुओ मवेशियों में फ़ूड पॉइज़निंग में भी एक्टिवेटेड कार्बन  का उपयोग होता है।
  ऐसा नहीं है की बाजार में जिओलाइट  से सम्बंधित उत्पाद मौजूद नहीं है। आपको ऑनलाइन जिओलाइट फेस पैक ,फ़ूड ग्रेड जिओलाइट ,जिओलाइट सिरप।,और जिओलाइट पाउडर  मिलते है। लेकिन सिर्फ जानकर और यूरोप व अमेरिका जैसे उपभोक्ता ही इनको खरीदते है। भारत में आम लोगो में जिओलाइट के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यहाँ तक की चिकित्सकों और खुद खनन करने वाले व्यापारी को भी जिओलाइट के जैविक उपयोग के बारे में पता नहीं। जिओलाइट औधोगिक रूप से शराब ,पानी साफ करने ,खारे पानी को पीने लायक बनाने ,खेती ,मछलीघर (एक्वेरियम ) और भारत से निर्यात करने तक ही सीमित है।
पश्चिमी देशो में जिओलाइट को लेकर बहुत ही सक्रियता देखने को मिलती है यहाँ तक की इंटरनेशनल जिओलाइट एसोसिएशन जैसी संस्थाओं की स्थापना 1938 में ही हो चुकी है। तथा परमाणु संयंत्रों में भी जिओलाइट का उपयोग रेडिएशन के नियंत्रण में व परमाणु कचरे के निपटान में  किया जाता है।
भारत, विश्व स्तर पर जिओलाइट का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक होने के नाते, अमेरिका, बांग्लादेश और फ्रांस जैसे देशों को इस मूल्यवान खनिज की आपूर्ति करता है।
ऐसे में सवाल उठता है की हम भारतीयों को जिओलाइट के बारे में ज्यादा जानकारी क्यों नहीं है। जिसका जवाब भी साफ है की भारतीय मीडिया और सरकार ने कभी जिओलाइट की चर्चा आम लोगो में नहीं की सिर्फ रसायन शास्त्र की किताबो में ही जिओलाइट की हल्की सी जानकारी मिलती है।
आज के परिवेश में जहां भोजन में प्राकृतिक व रासायनिक व जहरीले तत्व ,प्लास्टिक , भारी धातु और कृत्रिम तत्वों रंग आदि का समावेश है। ऐसे में जिओलाइट किसी वरदान से कम नहीं है।

 

  जिओलाइट के जबरदस्त उपयोगिता  को कम करके आंका गया है, जिसका मुख्य कारण सीमित सार्वजनिक ज्ञान और अपर्याप्त मीडिया कवरेज है। हालाँकि, यह खनिज मानव स्वास्थ्य और विभिन्न उद्योगों दोनों के लिए अपार संभावनाएं रखता है। जिओलाइट के संभावित अनुप्रयोगों और लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों और प्रदूषण से संबंधित समकालीन चुनौतियों का समाधान करने के लिए इसके उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version