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साधारण सर्दी जुकाम के लिए जिम्मेदार कौन  ?

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साधारण सर्दी जुकाम के इलाज को लेकर स्थिति दुविधाजनक। 

कौशलेंद्र मिश्र (रि.आयुष डॉक्टर)

साधारण सर्दी जुकाम होना एक सामान्य घटना है। जो हर किसी के साथ होती ही होती है। आम जनमानस में जुकाम को लेकर अधिकतर चिकित्सक के पास जाना एक टैबू समझा जाता है। और अधिकतर भारतीय खुद से ही इलाज करने की कोशिश करते है।  फिर इसके लिए तकनीकों का भी इस्तमाल करते देखे जा सकते है। सूचना प्रोधोगिक युग में हर सवाल गूगल से पूछे जाते है। और साधारण सर्दी जुकाम  के लिए भी गूगल पर अधिकतर पूछा जाता है। 

 “Antibiotics for cold and fever” यानी “साधारण सर्दी जुकाम में उपयोगी एंटीबायोटिक्स” और इंटरनेट पर भेज देते हैं । आपको उत्तर मिलता है– साधारण सर्दी जुकाम के लिए  एज़िथ्रोमाइसिन, एमोक्ज़ीसिलीन, डॉक्सीसाइक्लीन, एम्पीसिलीन, सीफिक्ज़ाइम, सिप्रोफ़्लोक्ज़ासिन आदी । तथा भारत में सिर्फ नारकोटिक्स दवाओं के अलावा कोई भी दवा आपको बिना चिकित्सीय सलाह के उपलब्ध हो जाती है। लगभग हर दवा विक्रेता अपने आप में किसी डॉक्टर से कम नहीं। 

किंतु ठहरिये, मेडिकल स्टोर जाकर औषधि लेने से पहले  आपको सोचना है कि क्या यह दवा उचित है भी या नहीं ? या आपको जो दवा दुकानदार द्वारा दी जा रही है। वो आप के लिए सुरक्षित है या नहीं ?

साधारण सर्दी जुकाम  यानी प्रतिश्याय एक वायरल इन्फेक्शन है या बैक्टीरिया जनित इन्फेक्शन है या एलर्जी भी हो सकता  है। लेकिन अधिकतर इलाज में एंटीबायोटिक का उपयोग होता है  । यह एक सुस्थापित वैज्ञानिक तथ्य है कि वायरल रोगों पर एंटीबायोटिक औषधियों की कोई भूमिका नहीं होती । …तो क्या गूगल बाबा ने और दवा विक्रेता ने आपको त्रुटिपूर्ण जानकारी दी है ?

कई बार ऐसे  तथ्य से भ्रमित होकर आप किसी चिकित्सक के पास पहुंचते हैं और वह भी आपको इन्हीं में से कोई एक औषधि लिखकर दे देता है । अब आप और भी भ्रमित हो जाते हैं । वायरल इन्फ़ेक्शन में एंटीबायोटिक का क्या काम?

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आप किसी सुपर स्पेशलिस्ट से मिलते हैं, वह इन दोनों का अमलगम बनाकर एक और थ्योरी प्रस्तुत करता है – “भले ही वायरल इन्फ़ेक्शन में एंटीबायोटिक्स की कोई भूमिका नहीं होती किंतु आपको वायरल इन्फ़ेक्शन के साथ किसी बैक्टीरिया का सुपर इन्फ़ेक्शन भी तो हो सकता है, इसीलिए बैक्टीरियल सुपर इन्फ़ेक्शन की आशंका के कारण आपको एंटीबायोटिक्स लेने का परामर्श दिया जाता है”। और अधिकतर भारतीय औषधी विक्रेता व भारतीय मरीज चिकित्सक के वैकल्पिक इलाज को ही प्राथमिक इलाज समझने लगते है। जिसका परिणाम मरीज को भुगतना पड़ता है। 

निश्चित नहीं कि आपको बैक्टीरियल सुपर इन्फ़ेक्शन भी हो किंतु केवल आशंका के कारण आपको एंटीबायोटिक्स लेना है । क्या चिकित्सा वैज्ञानिक इसकी अनुमति देते हैं ? बिल्कुल नहीं । जब तक सुपर इन्फ़ेक्शन सुनिश्चित न हो जाय तब तक इस तरह ली गयी औषधियाँ अंततः ड्रग-रज़िस्टेंस का कारण बनती हैं ।

इसका अर्थ यह हुआ कि भविष्य में होने वाले बैक्टीरियल इन्फ़ेक्शन के कारण यदि कोई व्याधि होती है तो ड्रग-रज़िस्टेंस के कारण इस तरह के एंटीबायोटिक्स आपके अंदर उपस्थित बैक्टीरिया के लिए पूरी तरह अनुपयोगी होंगे । यही कारण है कि जो लोग ड्रग-रज़िस्टेंस के शिकार हो चुके हैं वे रोगग्रस्त होने पर चिकित्सा के बाद भी अकालमृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं ।

यह आधुनिक युग की वह गंभीर समस्या है जिसका कोई औषधीय समाधान आधुनिक चिकित्सा में नहीं है । बात यहीं तक सीमित नहीं रहती, इस तरह की त्रुटिपूर्ण चिकित्सा के कारण वायरस के नये-नये स्ट्रेन्स भी बनते रहते हैं जिनका सामना करना चिकित्सा वैज्ञानिकों के लिये एक और गंभीर चुनौती बन जाता है । 

ड्रग-रजिस्टेंस स्वाभाविक भी हो सकता है किंतु अधिकांश प्रकरणों में इसका मुख्य कारण आइएट्रोयोजेनिक (यानी चिकित्सक की गलती के कारण) है जिसे रोका जा सकता है । आइएट्रोजेनिक फ़ैक्टर चिकित्साजगत की एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके सम्बंध केवल चिकित्सक और औषधि-उद्योग के हितों से जुड़े हुये हैं ।  

आधुनिक चिकित्सा में एंटीवायरल औषधियाँ बहुत कम हैं और जो हैं भी वे महँगी हैं । सामान्यतः हम सब आये दिन फ़्लू, कॉमनकोल्ड और कंजंक्टीवाइटिस जैसी वायरल व्याधियों या आहार-विहारजन्य असंक्रामक व्याधियों से ही प्रायः ग्रस्त होते रहते हैं जिनकी उपयुक्त चिकित्सा नहीं हो पाती और हम अविवेकपूर्ण चिकित्सा के कारण ड्रग-रज़िस्टेंस के शिकार होते रहते हैं ।

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जिन चिकित्सकों ने कोरोना वायरस संक्रमण के समय इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर एंटीऑक्सीडेंट्स के सेवन का परामर्श दिया था उसे किसी भी तरह अ-वैज्ञानिक नहीं कहा जा सकता, बल्कि अ-वैज्ञानिक तो वह चिकित्सा थी जो कोविड-स्पेसिफ़िक न होने पर भी अंधाधुंध व अलग अलग तरह की  दवाओं  के प्रयोग को लेकर निष्ठावान बानी हुई थी। तथा कोरोना के इलाज को लेकर  वैक्सीन और हर्ड  इम्युनिटी  से पहले के दवाओं के प्रयोग जानलेवा ही रहे।

साधारण सर्दी जुकाम  होने पर घरेलू व आयुर्वेदिक इलाज को प्राथमिकता से लेवे। इसके बावजूद अगर साधारण सर्दी जुकाम 5 से 6 दिन तक बना रहे तो उपयुक्त चिकित्सक की सलाह लेवे। अपने आप से या दवा विक्रेता से एंटीबायोटिक  लेने की गलती ना करे।आपका साधारण सर्दी जुकाम साधारण हो सकता है। लेकिन आज के दौर में महामारी का संकेत भी इसलिए इसे गंभीरता से देखे। उपयुक्त व सरकारी चिकित्सक से जरूर मिले।   स्वस्थ रहे खुश रहे। 

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