स्वास्थ्य और जीवनशैली

विटामिन का मायाजाल -भाग 2

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विटामिन दो तरह के होते है पानी में घुलनशील और वसा ( फैट ) में घुलनशील। अभी तक के ज्ञात चिकित्सीय विज्ञानं में मनुष्यो में 13 विटामिन तथा उनके सक्रिय या असक्रिय तत्वों को शामिल किया गया  है। जिनमे से चार में वसा घुलनशील होते है यानी की इन विटामिनो  घुलने के लिए वसा माध्यम का होना जरुरी होता है। विटामिन vit.A (ए) D  (डी ). E (ई) K (के) चारो वसा में घुलनशील है। तथा शेष आठ  विटामिन बी तथा विटामिन सी पानी में घुलनशील होते है। यही वजह है की जब भी आपको विटामिन देते है  विशेषरूप से वसा घुलनशील तब आपको दूध के साथ लेने को कहा जाता है। दूध उन कुछ प्रदार्थो में से एक है जिसमे पानी और वसा एकसाथ होता है जिससे किसी भी माध्यम में घुलने वाले विटामिन के लिए आदर्श माना जाता  है।

हमारे शरीर में पानी में घुलने वाले विटामिन जरुरत से अधिक होने पर शरीर के बाहर निकाल दिए जाते है शरीर इनको जमा नहीं रखता है। जिसकी वजह से विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जो की पानी में घुलन शील है खाने के बाद पेशाब का रंग गहरा और बदबूदार हो जाता है।पानी में घुलने और शरीर में ज्यादा समय तक ना रुकने की वजह से हमें इन विटामिन की कमी बनी रहती है जो भोजन द्वारा शरीर पुनः अवशोषित कर लेता है। इसके ठीक विपरीत वसा घुलनशील विटामिन वसा में घुलने के कारण शरीर की आंतो द्वारा अवशोषित हो कर शरीर के खून और वसा में लम्बे समय तक रह सकते है और जरुरत से ज्यादा भी शरीर में रह सकते है। इसे ही विटामिन अधिकता  या विटामिन विषाक्ता  कहते है।
जिस तरह विटामिन की कमी का ज्ञान हमारे शिक्षा प्रणाली में घोल कर दिया गया है उसके उलट विटामिन की अधिकता और विटामिन विषाक्तता के बारे में बिलकुल भी नहीं पढ़ाया गया है।तथा बाजारवाद ने भी विज्ञापनों में अपने उत्पाद की विशेषता के लिए विटामिनो की संख्या और फायदे बता कर हमारी चेतना में विटामिन को लेकर एक आकर्षण भर दिया है। बहुत से लोगो को ये जानकारी ही नहीं की विटामिन की अधिकता भी उतनी ही खतरनाक होती है जितनी की विटामिन की कमी। क्यों की विटामिन की खोज के साथ ही बाजारवाद इससे  चिपक गया था
तत्कालीन खानपान में कॉर्पोरेट का उतना चलन नहीं था जितना आज है। विटामिन की अधिकता को ना के बराबर या असंभव स्थिति में माना गया था ,लेकिन इसी ज्ञान को आज तक ढोया जा रहा है। जबकि आज परिस्थितियों में बहुत बदलाव है। वैश्वीकरण के आज के  विटामिन अधिकता या विषाक्ता होना उतना ही स्वभाविक है जितना किसी को कैंसर होना।  बहुत से विटामिन की अधिकता से भी कैंसर हो सकता है। आज विटामिन सिर्फ मानव शरीर के लिए ही नहीं अपितु प्रोसेस फ़ूड में परिरक्षक तत्वों  के रूप में बड़ी संख्या मे आसपास मौजूद है।बाजारवाद ने भी विटामिन को लेकर भ्रामक और  विटामिन की कमी को अपने विज्ञापनों के आधार में स्थापित किया है।  क्यों की अल्पता या कमी पूर्ति के अवसर बढाती है। लाभ के अवसर बढाती है  और अधिकता और पर्याप्तता अवसरो को शून्य कर देती है। 
सिर्फ चिकित्सीय शिक्षा में ही विटामिन की आवश्यकता कमी और अधिकता को विस्तृत रूप से  पढ़ाया जाता है।विटामिन की विषाक्ता या अधिकता से होने वाले खतरे को कम करने के लिए एन्टीविटामिन दवाइयों का इस्तेमाल भी होता है।
 फ़ूडमेन की कोशिश है की आसान भाषा में विटामिन और विटामिन विषाक्ता तथा एंटीविटामिन , प्रोविटामिन,सुडोविटामिन(नकली ) के बारे में संक्षिप्त व सार पूर्ण जानकारी इस स्तंभ में आपको दी जा रही है ;क्रमशः जारी 

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