स्वास्थ्य और जीवनशैली
विटामिन का मायाजाल :भाग 3
एंटीविटामिन
विटामिन। कुछ दशकों पहले माना जाता था की मानव शरीर में विटामिन की अधिकता होना असंभव है।और आज भी यही जानकारी इंटरनेट और सामान्य किताबो में आप देख पढ़ सकते है। लेकिन वर्तमान स्थिति पहले की स्थिति से बिलकुल उलट है। आज 30 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग विटामिन अधिकता या विषाक्ता के शिकार है। जिनमे से अधिकतम लोगो को पता ही नहीं होता की उनके खाने से मिलने वाला विटामिन अब उनको ही खाने लगा है। लेकिन उनके चिकित्सक को पता होता है।
एंटीविटामिन
एंटीविटामिन या प्रतिविटमिन उन तत्वों को कहते है जो प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से विटामिन का अवशोषण बाधित या पूर्ण रूप से रोक देते है। ये प्राकृतिक रूप से और सिंथेटिक रूप दोनों तरह के हो सकते है। प्राकृतिक वाले महत्वपूर्ण है लेकिन यहाँ बात सिंथेटिक एंटीविटामिन की करेंगे। जो की कई बीमारियों के इलाज में दिए जाते है।
शरीर में खास विटामिन के खास काम होते है। जब भी खाने में या फ़ूड सप्लीमेंट या ईलाज आदि से किसी खास विटामिन का घनत्व शरीर में बढ़ जाता है। तो शरीर पर इसके दुष्प्रभाव पड़ते है। जिनको रोकने और नियंत्रण में लेन के लिए एंटी विटामिन का उपयोग होता है। विशेष रूप से कैंसर गठिया और ह्रदय व रक्त सम्बन्धी रोगो में इनका उपयोग किया जाता है। विटामिन्स शरीर की हर कोशिका के लिए जरुरी होता है। चाहे वो स्वस्थ कोशिका हो या म्युटेंट और कैंसर की कोशिका हो। इसीलिए कैंसर के ईलाज में एंटीविटामिन तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है।जैसे शरीर में खून का थक्का बनाने के लिए विटामिन के (K) का होना जरुरी होता है। लेकिन अवस्था व और भी कारणों से थक्के को बनने के लिए रोकने के लिए थक्का रोधी दवाये दी जाती है जो की विटामिन के की मात्रा को नियंत्रित करती है। इसी तरह से गठिया रोग में भी विटामिन बी 9 को कम करने की एंटीविटामिन दवा दी जाती है।
इन्ही जानकारियों से आप अंदाजा लगा सकते है की विटामिन अधिकता या विषाक्ता हमारे बीच में कितनी फ़ैल रही है। जिसके दो मुख्य कारण है। पहला प्रोसेस फ़ूड में शामिल विटामिन जो की परिरक्षक( प्रिजर्वेटिव) का काम करते है। लेकिन साथ ही शरीर को जरुरत से ज्यादा विटामिन पंहुचा देते है। दूसरा मुख्य कारण हेल्थ सप्लीमेंट में अंधाधुंध विटामिनो को खपाना और उन उत्पादों के अतिआशावादी विज्ञापन विशेषरूप से जिम व बॉडी बनाने और मोटे से पतले होने के उत्पादों में धड़ल्ले और सुरक्षित सीमा से दोगुने चार गुणी मात्रा में विटामिन दिए जा रहे है वही कुछ चिकित्सक भी अतिरिक्त आय के चक्करो में मरीज को मल्टीविटामिन या कुछ विशेष विटामिन लेने की सलाह देते है। जिसके चलते आज के दौर में विटामिन विषाक्ता चरम पर है।
लेकिन विटामिन एक बड़ा बाजार और मुनाफे का सौदा होने की वजह से चिकित्सा क्षेत्र और मिडिया खामोश तमाशा देख रहा है। और लोगो की जान जा रही है। मामला केप्सूल फोड़ कर चेहरे पर लगाने तक सिमित होता तो ठीक था लेकिन हेल्थ सप्लीमेंट सेक्टर और प्रोसेस फ़ूड की जुगल और चिकित्सा तंत्र से उपजा ये छिपा हुवा खतरा आज समाज में जानलेवा हो चूका है। और इसके छिपे रहने का कारण हमारी शिक्षा प्रणाली में विटामिन्स खूबियों का बखान है। क्रमशः जारी