सच का सामना
H2O से H2 NO -पानी के खिलाफ कॉर्पोरेट का घिनौना चेहरा
पानी जीवन है.जीवन का आधार है। पानी जिसे वैज्ञानिक रूप से H2O ( एच टू ओ ) कहा जाता है।पानी या साधारण नल के पानी के विरुद्ध कोका-कोला जैसी कम्पनी ने बाकायदा एक अभियान चलाया था जिसे नाम दिया” जस्ट से नो टू एचटुओ” (just say to no to H2O) .लेकिन बाद आलोचना के चलते इसे ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया। लेकिन ज्ञात इतिहास में साधारण या नल के पानी के विरुद्ध एक युद्ध ही माना जाता रहेगा।
1998 के साल में कोका-कोला की बिक्री बढ़ाने के लिए एक टूल-किट ओलिव गार्डन रेस्तरां के साथ बनाया जो रेस्टोरेंट कर्मचारियों को एक तरह का प्रशिक्षण था जिसमे उनकी कोशिश यही होती की वो ग्राहक को साधारण पानी या नल के पानी की जगह बोतल बंद पानी या कोका-कोला या अन्य तरह के पेय की तरफ धकेला जाये ।
इसके लिए कोका -कोला ने ideas.com जैसी वेबसाइट का सहारा लेते हुवे पानी पीने की खपत और बोतल बंद पानी की खपत बढ़ने को लोगो से उपाय या विचार मांगे जिसमे 2090 लोगो ने सुझाव दिया या इतने लोगो के सुझावों को सम्मान दिया गया।तथा इसी के साथ इस विचार पर काम कर रहे ऑलिव गार्डन कम्पनी व कोका-कोला के स्टोर व इसके पार्टनर जैसे मेक्डोनाल्ड आदि की रेस्टोरेंट के कर्मचारियों को H2 NO प्रोग्राम के अंतर्गत ट्रेंड किया।
लेकिन ओलिव गार्डन कम्पनी अपनी सफलता पचा नहीं पायी या लोगो को ज्यादा ही बेवकूफ समझ लिया गया । जिसके चलते उन्होंने अपनी चालाकी को अपनी उपलब्धि बताते हुवे कोका-कोला की ही वेबसाइट पर छाप दिया। जिसके चलते कई बड़े अखबारों के निशाने पर कोका-कोला की ये हरकत सामने आ गयी। 2 अगस्त 2001 में cockeyed.com पर ओलिव गार्डन ने अपनी उपलब्धी को बढ़ा चढ़ा कर बताया।उनकी पोस्ट में अभिमान और लोगो को मुर्ख समझने का गौरव उनके पोस्ट के शीर्षक “द ऑलिव टारगेट्स टैप वाटर एंड विन्स ” में झलकता है। जिसकी बहुत आलोचना हुयी। तथा पोस्ट छपने के एक हफ्ते में ही कम्पनी को अपनी वेबसाइट बंद करनी पड़ी।
अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार पानी के खिलाफ युद्ध में पहली गोली ऑलिव गार्डन रेस्तरां में चल गई थी।
उक्त घटना न सिर्फ एक मात्र उदहारण नहीं है की कैसे दो कम्पनियो ने मिल कर इंसानी भावनाओ के साथ खिलवाड़ करते हुवे अपने मुनाफे के लिए नैतिकता की धज्जियाँ उडा कर रख दी। ऐसी कंपनियों को संभालने वाले कर्मचारी और मालिक किसी दूसरे गृह या किसी अन्य मानवीय प्रजाति के नहीं है।लेकिन ये बिना किसी रंग ,लिंग ,जाती धर्म और देश को देखे सभी से मुनाफा वसूलने के तरीको पर ही काम करते रहते है। तथा मूल धर्म मानवताओ का ही दोहन इनके मूल उदेश्य में प्राथमिक है।
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