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मध्यप्रदेश के शहरों में तंदूर प्रतिबंध : सेहत के लिए लिया गया कदम

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मध्यप्रदेश प्रशासन ने कई शहरों में तंदूर को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके तहत होटल ढाबो आदी में जलने वाले तंदूर मालिकों को नोटिस भेजे जा रहे है। इसका पालन न करने पर पांच लाख तक का जुर्माना भरने का प्रावधान रखा गया है। इसके तहत होटल व ढाबा मालिकों को वैकल्पिक रूप से इलेक्ट्रिक या गैस आधारित तंदूर को अपनाने के लिए कहा गया है। प्रशासन और खाद्य विभाग द्वारा यह प्रतिबन्ध ग्वालियर ,भोपाल इंदौर जबलपुर जैसे जिलों में रखा है। जहाँ AQI ( Air quality index ) न्यूनतम 250 से अधिक है।

प्रशासन का यह कदम पहल के रूप में देखा जाये तो बहुत ही सरहानीय पहल कही जा सकती है। लेकिन वायु प्रदुषण के बढ़ते स्तर को लेकर यह कदम ही अंतिम है,तो यह जनता और वायु प्रदुषण के स्तर को देखते हुवे मात्र प्रशासनिक मजाक ही है।हालाँकि इतने बड़े जुर्माने को देखते हुवे यह तंदूर प्रतिबन्ध सफल होने की तो गारंटी है।

तंदूरी रोटी खाने वाले शौकीनों को तो झटका
जारी आदेश में खाद्य विभाग ने होटल और ढाबों के संचालकों को साफ तौर से कहा है कि अब लकड़ी-कोयला के तंदूर का उपयोग नहीं होगा. इसके एवज में इलेक्ट्रिक ओवन या एलपीजी गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करने के भी निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि मध्यप्रदेश में तंदूरी रोटी का जबरदस्त चलन है. तंदूरी रोटी खाने के प्रदेश में लोग बड़े ही शौकीन है. लेकिन प्रदेश सरकार के इन निर्देशों के बाद तंदूरी रोटी खाने वाले शौकीनों को तो झटका लगा ही है साथ ही इस आदेश ने ढाबे-होटल के मालिकों की भी नींद उड़ा दी है. ढाबा मालिकों को अंदेशा है कि सरकार के इन आदेशों के बाद ढाबा होटल कारोबार पर जबर्दस्त असर पड़ेगा।

हालही के सालो में सरकार द्वारा काम को दिखाए जाने को लेकर कई नाटकीय कार्यवाहियों जनता के बीच करके मुद्दों से भटकाया जा रहा है।उत्तरप्रदेश में बुलडोजर की त्वरित कार्यवाही ने जनता का ध्यान और मीडिया में भी सुर्खियां बटोरी। वही मध्यप्रदेश में भी ऐसी कार्यवाहियों हुई। अब तंदूर प्रतिबंध को लेकर भी प्रशासन द्वारा इवेंट और मीडिया में सुर्खियां बटोरने की तैयारी जैसा लग रहा है।

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प्रशासन के तंदूर प्रतिबंध को लेकर छोटे होटल व ढाबा मालिकों में रोष है।प्रशासन का यह फैसला कितने समय तक स्थिर रहेगा सिर्फ तंदूर को ही प्रतिबंधित करने से AQI के स्तर में कितनी गिरावट आएगी यह देखना वाली बात रहेगी। जबकि औधोगिक इकाइयों की भट्टियाँ और चिमनिया इस तरह के प्रतिबन्ध से फ़िलहाल मुक्त है।

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