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सेन्ना (सनाय ) उपयोग व भ्रांतियां 

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सेन्ना ,सनाय ,सोनामुखी ,स्वर्णपत्री (केशिया ) ,आदि कई नामों से सनाय को भारत में जाना जाता है। सनाय की दर्जनों किस्मे है। जिनमे प्रमुख रेचक या कब्ज के लिए लाभदायक गुण पाये जाते है। प्राचीन आयुर्वेद से लेकर प्राचीन यूनानी चिकित्सा में यहाँ तक की मिश्र जैसी सभ्यताओं में भी सनाय के औषधीय गुणों के बारे में लिखा व बताया गया है।

आज के आधुनिक दौर में भी सनाय का अधिकतम उपयोग कब्ज के लिए ही होता है। कुछ प्रजातियों के बीज व बीज के तेल आदि से खाद्य प्रगाढक भी बनाये जाते है। किन्तु आज के वर्तमान दौर और प्राचीन दौर के खान पान में जितना फर्क आया है। उतना फर्क हम आज की एलोपेथी दवाओं और आयुर्वेदिक या प्राचीन औषधीय ज्ञान को बढ़ा पाये है ?

आज कई बड़ी कम्पनी के कब्जहारी ब्रांड्स व मोटापा कम करने के उत्पादों में आपको सनाय मिला दिख जाता होगा। लेकिन सनाय आयुर्वेद के अनुसार किसको नहीं दिया जा सकता और किसको दिया जा सकता है। ये हमें नहीं पता और ना ही सनाय को मिलाकर अपने उत्पाद बनाने वाली कम्पनियो को। सिर्फ कुछ प्राचीन मान्यता के अनुसार कुछ आधुनिक मिला कर कब्जहारी दवाये बना कर विज्ञापित करके बेचने की होड़ लगी रहती है।

सनाय प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है। जिनको कब्ज रहती हो। लेकिन सनाय एक सिमित मात्रा और अवधि के लिए ही ली जा सकती है। यह दैनिक प्रयोग के लिए नहीं है। सनाय की पत्तियों और फली में सेनोसाइड ए सेनोसाइड बी रेचक के गुण होते है, जो हमारी  बड़ी आंत में मायोटेरिक प्लेक्सस को उत्तेजित करता है और पेरिस्टाटिल्क संकुचन को प्रेरित करता है तथा कब्ज में राहत  देता है।लेकिन इसका उपयोग सिमित दिनों तक ही किया जा सकता है।

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