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भारत के गोदामो में सड़ता अनाज।
अधिकारी और बाबुओ की मिलीभक्ति के चलते हर साल अरबो का अनाज सड़ा दिया जाता है।
हमारे देश में हर साल लाखो टन अनाज सड़ा दिया जाता है। जो की सरकारी आंकड़े बताते है।
भारत वैश्विक रूप से भूख और कुपोषित सूचकांक में गिर कर 101 स्थान पर आ गया है। आप इसका दोष किसे देना चाहेंगे ? पिछली सरकारों को या वर्तमान सरकार को या अधिकारियों और बाबुओं को या सिस्टम को?
अपनी ख़ुशी और सुविधा के अनुसार आप अपना विकल्प ले कर समस्या पर बहस करके निकल सकते है। हो सकता है कि आप अपने विरोधियो से जीत भी जाये। लेकिन अधिकारों पर सड़क ट्रेन बस जलाने को आतुर भारत की जनता अपने नागरिक होने के कर्तव्य पर कब जागेगी ?
हर साल हजारो टन धान एफसीआई गोदामों में सड़ जाता है। सड़ा दिया जाता है। और इतना ही अनाज खुल्ले में सड़ने को पड़ा रहता है। और अनाज मंडियों में बेमौसम बरसात से किसानों का अनाज भी भीग जाता है। देख सभी रहे है। सरकार ,अधिकारी ,मीडिया और जनता सब को पता है। लेकिन करता कोई कुछ नहीं है।
जिस हिसाब से अनाज की बेकद्री अपने देश में है ,शायद ही किसी और देश में होगी ?
70-75 साल पुराने लोकतंत्र में आजादी के बाद भी अनाज भंडारण और खाद्यान सुरक्षा के नाम पर कागजी दावे बहुत है जमीनी सच्चाई बिलकुल विपरीत है।
21 मई 2017 के संडे गार्डियन की खबर में पत्रकार नवनीत कुमार ने एक आरटीआई रिपोर्ट के आधार पर छ: वर्षो में 62 हजार टन धान के एफसीआई गोदामों में बर्बाद होने की जानकारी दी थी
रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2017 तक लगभग 62000 टन अनाज एफसीआई के गोदामों में बर्बाद हो गया आरटीआई के जवाब में उपभोक्ता मामले के मंत्रालय के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने दिया था। याद रहे यह आंकड़ा सरकारी है।
ठीक इसी तरह से 31 जुलाई 2019 में सरकारी गोदामों में 71 करोड़ टन धान पड़ा था जो बफर जोन और तय नियमो के अनुसार क्षमता से दो गुणा था जिसके चलते 1150 टन अनाज कागजो में बर्बाद हो गया और 1 करोड़ टन से अधिक का धान खुल्ले में या टिन शेड के भरोसे था। जो असल में और भी ज्यादा हो सकता है।पिछले कार्यकाल में भाजपा सरकार ने जोर शोर से पीपीपी मोड़ के तहत 100 लाख टन की क्षमता वाले स्टील साइलो का लक्ष्य रखा था जो वास्तविक रूप से 6.75 लाख टन की क्षमता पर सिमट गया।
इंटरनेट पर भारतीय गोदामों में सड़ रहे अनाज की खबरे और आंकड़े आपको चौंका सकते है। लेकिन चौकन्ना नहीं कर सकते है।
आये दिन अनाज को जानबूझ कर धान सड़ाने के समाचार और वीडियो वाइरल होते है। लेकिन जनता चुप चाप तमाशा देखने वालो से भरी पड़ी है।
भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में हर साल करोडो टन अनाज बर्बाद हो जाता है। और इतना ही धान सड़ जाता है।1 जनवरी 2019 में खाद्य निगम की ही एक रिपोर्ट में बताया गया की समस्त भारत में व्याप्त खाद्य निगम के गोदामों में कुल 4135.224 धान सड़ गया। जिसमे 1303.312 मीट्रिक टन गेहूं और 2831.912 मीट्रिक टन चावल खाद्य निगम के गोदाम में जारी करने योग्य नहीं थे।
सबसे आश्चर्यजनक आंकड़ा बिहार का रहा। बिहार में 1267.687 मेट्रिक टन गेहू और 229.966 मेट्रिक टन चावल जारी करने योग्य नहीं थे। जबकि राजस्थान गुजरात ,तमिलनाडु ,आंध्रप्रदेश ,उत्तराखंड ,असम ,अरुणाचल प्रदेश ,मणिपुर ,नागालैंड ,हरियाणा ,हिमाचल और जम्मू कश्मीर में धान सड़ने का आंकड़ा शून्य था। बिलकुल शून्य।
लापरवाही और गरीबो और पिछड़े वर्ग के लिए हीन मानसिकता से ग्रसित अधिकारी अपनी मन मर्जी से खाद्य निगम चला रहे है। अभी अनाज सड़ा दिया जाता है तो कभी सड़ा हुवा अनाज ही गरीबो के लिए भेज दिया जाता है। खरीद फरोख्त की धांधली छिपाने के लिए सरकारी बोलते कागजो पर दूसरा बोलता कागज चिपका दिया जाता है। कभी इंसानो के लिए रखा अनाज पशुआहार बनाने वालो को बेच दिया जाता है तो कभी पशु आहार वाला अनाज गरीबों में बाँट दिया जाता है। आये दिन के समाचार है।
अनाज सड़ने की नीचे दी घटनाएं भी दिलचस्पी जगाती हैं
-मई 2019 बेंगलुरु में सीबीआई ने दो ऍफ़सीआई अधिकारियो सहित एक निजी परिवहन ठेकेदार को 11 करोड़ के घोटाले में गिरफ्तार किया।
-वही झांसी में घोटाला पकड़ने गए अधिकारियो को ही गोदाम में बंधक बना लिया।
-झाड़खंड के गढ़वा -पलामू जिले में धान की खरीद में 1000 करोड़ का घपला हुया
-हरियाणा के सोनीपत में इसी साल फरवरी माह की 20 तारीख को गोदाम में सरकारी धान को भिगोने का मामला सामने आया था। जिसमे बाकायदा सबमर्सिबल पंप लगा कर हजारो टन धान भिगो दिया गया था।
इसी कथाकथित सड़े अनाज को बाद में सस्ते में खाद्य उत्पाद बनाने वाली फेक्ट्रियो में भेज दिया जाता है। और ये सड़ा धान रासायनिक ब्लीच या धवलीकृत करके बाजार में उतार दिया जाता है। गरीबो को एक मौका मिलता है जिसमे वो आवंटित अनाज को धो कर सुखा कर और छान कर अपने गुजारे जितना काबिल बना लेता है। लेकिन धवलीकृत रसायनो से युक्त और फोर्टिफाइड आटा बेसन आप नहीं पहचान पाएंगे।