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फ़ूड ग्रेड ब्लीच -खाद्य पदार्थो को आकर्षक बनाने के खतरनाक रसायन
फ़ूड ग्रेड ब्लीच जैसे तत्वों से कैंसर होने का खतरा।
आज फ़ूड इंडस्ट्री कई खतरनाक रसायनो से युक्त हो चुकी है। जिसकी जानकारी फूडमेन अपने नियमित लेखों द्वारा बताता आया है। फ़ूड ग्रेड ब्लीच यानी के गेहूँ का आटा या कोई भी खाने पीने की वस्तु जिसको सफ़ेद होना जरुरी होता है। उनमे ये फ़ूड ग्रेड ब्लीच मिलाया जाता है।
फ़ूड ग्रेड ब्लीच का वास्तविक उपयोग उधोगो में ब्लीचिंग एजेंट के रूप में होता है। लेकिन इसका उपयोग फ़ूड इंडस्ट्री में भी क्या जाता है। इसकी निर्धारित सीमा को कुछ प्रायोगिक रूप से निर्धारित की गई है लेकिन ये किसी भी सीमा में सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। है इसको ये सिद्ध किया जा सकता है की एक निश्चित मात्रा तक सुरक्षित है।लेकिन मात्रा की निरंतरता पर कोई दिशा निर्देश नहीं है।
सफेदी को स्वच्छता ,निर्मलता और सत्य का प्रतीक माना जाता है। लेकिन अगर बात खाद्य प्रदार्थो की करे तो दूध जैसे सफ़ेदी का मतलब ही हानिकारक रसायन है। फ़ूड ग्रेड ब्लीच हर सफ़ेद प्रदार्थ को और भी सफ़ेद बनाने में किया जाता है। क्यों की टीवी और अखबारों के माध्यम से हमारी मानसिकता के अनुरूप अपने उत्पाद को स्थापित करने के लिए उत्पादक फ़ूड ग्रेड ब्लीच का इस्तेमाल करते है।
आटे में सफेदी के लिए कई रसायनों का उपयोग किया जाता रहा है। खास तौर पर शहरों में जहां आज भी आटा पिसवाना एक झंझट माना जाता है। क्योंकि इसको नाच गा कर और बहुत से संस्कारी ,गुणकारी आदर्शो के खोखले दावों के साथ दिखाया जाता है। आइये जानते है। की कौन कौन से फ़ूड ग्रेड ब्लीच काम में लिया जाता है।
बेंज़ोयल पेरोक्साइड ( Benzoyl peroxide )-एक रंगहीन, क्रिस्टलीय ठोस होता है जिसमें बेंजाल्डिहाइड की हल्की गंध होती है। यह पानी में अघुलनशील, अल्कोहल में थोड़ा घुलनशील और क्लोरोफॉर्म और ईथर में घुलनशील है। यह अपघटन के साथ 103 डिग्री सेल्सियस और 106 डिग्री सेल्सियस के बीच पिघलता है।
बेंज़ोयल पेरोक्साइड, विशेष रूप से शुष्क रूप में, एक खतरनाक, अत्यधिक प्रतिक्रियाशील, ऑक्सीकारक तत्व है। बेंज़ोइल पेरोक्साइड शरीर के पाचन विशेषकर आंतो को प्रभावित करता है व आंतो के विकार उत्पन्न करता है।
यह कुछ खाद्य पदार्थों में इसे धवलीकारक या सफेदी एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है, खाद्य उद्योग में पनीर बनाने के लिए आटा, मट्ठा और दूध के लिए फ़ूड ग्रेड ब्लीच के रूप में उपयोग का लंबा इतिहास।
आटे को ब्लीच करने में 32% बेंज़ॉयल पेरोक्साइड और 68% कॉर्नस्टार्च का प्रीमिक्स इस्तेमाल किया जाता है। फ़ूड ग्रेड ब्लीच के रूप में उपयोग की जाने वाली अधिकतम मात्रा 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम है। लेकिन गेहू की गुणवक्ता के आधार पर गेहूं आटा फैक्ट्री तय मानकों से आगे भी बढ़ जाती है।
गेंहू का आटा आज हमारी प्राथमिक जरुरत है। बाजार तंत्र के खेल में सफ़ेद उज्जवल आटा ही गुणवक्ता का प्रतीक है।
हालाँकि अध्ययनों और परीक्षणों में धवलीकारक तत्वों की सुरक्षा पर सवाल उठाये गए है।
पोटेशियम ब्रोमेट 70 के दशक से ही खाद्य वस्तुओं में जम कर इस्तेमाल किया गया। लेकिन 1992 में इंटरनेशनल एजेंसी ऑन रिसर्च फॉर कैंसर ( IARC ) ने खुलासा किया है कि ब्रोमेट एक संभावित श्रेणी 2B कैंसर कारक (कार्सिनोजेन ) तत्व है। तथा प्रयोगशालाओं में पशुओं पर किये प्रयोगो से साबित किया कि पोटेशियम ब्रोमेट से कैंसर ट्यूमर और किडनी पर खतरनाक प्रभाव देखने को मिले है।
जिसका संज्ञान लेते हुये यूरोप ,कनाडा ,ब्राजील जैसे देशो ने 1993 तक ही पोटैशियम ब्रोमेट को प्रतिबंधित कर दिया था। गौर करने वाली बात ये हे की इसकी जानकारी के बावजूद तत्कालीन भारतीय सरकार व राज्य सरकारों ने इसको गंभीरता से नहीं लिया या ये भी कह सकते है की वैश्विक दबाव से कुछ किया नहीं।
2014 में भाजपा सरकार के गठन के बाद के बाद 20 जून 2016 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI ) द्वारा पोटेशियम ब्रोमेट को भारत में प्रतिबंधित व गैरक़ानूनी कर दिया गया था। लेकिन इसका उपयोग अभी भी चोरी छिपे मैदे आटे और सूजी तथा विशेषकर ब्रेड और बेकरी वस्तुओ को सफ़ेद करने के लिए किया जाता है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वॉयरन्मेंट द्वारा प्रकाशित लगातार अनुसंधानों ने भी भारत सरकार को प्रतिबंध लगाने हेतु सोचने पर मजबूर किया।अब हमें भी खुद के और अपने परिवार के लिए सोचना ही होगा।