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प्रसाद। सनातन परम्परा की एक अटूट आस्था। 

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आशीर्वाद स्वरूप प्रसाद आपके लिए जानलेवा न हो जाये।

डॉ भोज राज सिंह ,वरिष्ठ वैज्ञानिक,  IARI, बरेली

 प्रसाद सनातन धर्म के अनुसार भगवान व देवताओ को पूजा पद्धति में भेंट में चढ़ाये चढ़ावे को कहते है। और हर भारतीय प्रसाद के बारे में जनता है। प्रसाद सिर्फ सनातन धर्म तक ही सिमित नहीं है। बल्कि हर धर्म में प्रसाद को लेकर मान्यता है। 

भारतीय मंदिरों व अन्य धार्मिक स्थलों पर प्रसाद तीन तरह के होते है। 

(1 ) चढ़ावा -खरीद कर चढ़ाया गया चढ़ावा। इस तरह का चढ़ावा ज्यादा चलन में है। इसमें भक्त अपनी क्षमता के अनुसार प्रसाद सामग्री बाजार से खरीद कर चढ़ा देता है। जिसमे से पुजारी या मंदिर कर्मी उसे उसी के द्वारा लायी गई सामग्री को चढ़ा कर बाकी सामग्री वापस दे देता है। 

(2 )भोग -भोग  भगवान को समर्पित मंदिर की रसोई घर  में बने भोजन व खाद्य सामग्री को कह सकते है। जिसमे मंदिर कर्मचारी व स्वयंसेवी भगवन के लिए बड़ी मात्रा में भोजन तैयार करते तथा बाद में जनता को खिला दिया जाता है। इस तरह के भोग का चलन दक्षिण भारतीय मंदिरो में ज्यादा देखा गया है। 

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(3 )भंडारा –

इस तरह के भंडारा  आयोजनों में भक्तों द्वारा ही मंदिर परिसर या आस्था के नाम पर आम जनता को दावत दी जाती है। जिसकी व्यवस्था किसी एक व्यक्ति या ज्यादा व्यक्तियों या चंदे आदि से आयोजन होता है। 

ये ही भोज्य आयोजन होते है जहाँ प्रसाद दूषित या संक्रमित होने की सम्भावना बनी रहती है। 

हर साल ऐसे सैंकड़ो आस्था आयोजन होते रहते है जहां फ़ूड पोइज़निंग के मामले देखे गए है। जिसकी मुख्य वजह किसी एक व्यक्ति का जिम्मेदार ना होना होता है। अधिकतर सामूहिक लोगो ऐसे आयोजन किये जाते है। जो चंदा एकत्र कर आयोजन करवाते है। तथा प्राय पैसे बचाने के चक्कर में भोजन की सामग्री की गुणवत्ता के साथ समझौता कर लेते है। और परिणाम स्वरूप सामूहिक फ़ूड पॉइज़निंग के मामले सामने आते है 

साल 2023 में सामूहिक फ़ूड पॉइज़निंग के मामले 

30 दिसंबर पश्चिम बंगाल के कूंच बिहार के एक धार्मिक समारोह में प्रसाद खाने के बाद  65 लोगो को फ़ूड पॉइज़निंग हो गई। रात 9 बजे के आसपास भक्तो को खिचड़ी और पोहा (चिरा ) परोसा गया था। 

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25 दिसंबर -बेंगलुरु ,ग्रामीण सीमा  के होसकोट में प्रसाद के सेवन के बाद  हुई फ़ूड पॉइज़निंग से 70 लोगो को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा जिसमे एक महिला की जान चली गई। स्थानीय प्रशासन ने जांच करने को लेकर आश्वासन दिया है। 

 24 मई राजस्थान के अलवर जिले के खेड़ली थाना क्षेत्र में एक कुआ पूजन कार्यकर्म में  150 से ज्यादा लोगो को फ़ूड पॉइज़निंग हो गई। बताया जा रहा है की इस पूजन कार्य कर्म में दाल बाटी चूरमा जैसे पारम्परिक व्यंजनों को परोसा गया था। 

18 मई यूपी के फर्रुखाबाद में श्रीमद्भागवत कथा के भंडारे में खीर व पंचामृत व प्रसाद बनता गया। कुछ ही देर बाद कई ग्रामीणों को उल्टी दस्त जैसी शिकायते होने लगी। करीब 70 से अधिक लोगो को भर्ती करवाया गया है। जांच जारी है ?

3 अगस्त  छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला के सबलपुर में एक मंदिर में प्रसाद स्वरूप हलवा व ठंडाई के कारन लगभग 170 से अधिक श्रद्धालुओ को फूडपॉइज़निंग हो गई। सुचना मिलते ही प्रशासन में स्वस्थ्य शिविर लगा कर पीड़ितों का ईलाज किया। जांच जारी है ?

7 जुलाई असम के धेमाजी जिले के जोनाई इलाके के एक धार्मिक समारोह में प्रसाद खाने के बाद 80 से ज्यादा लोगो को फ़ूड पॉइज़निंग हो गई। जाँच जारी है ?

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8 मई पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में बुद्ध पूर्णिमा के आयोजन में प्रसाद खाने से 60 लोग बीमार हो गए तथा एक की मौत हो गई।  

उपरोक्त ऐसी घटनाये है जिसको लेकर अखबारों में समाचार छपे थे।  ऐसे बहुत से भंडारे देश भर में लगाए जाते रहते है। जहां किसी की लापरवाही दर्जनों लोगो का स्वास्थ्य व जान संकट में आ सकती है। 

ऐसे खुले आयोजनों में किसी की जिम्मेवारी तय नहीं होती है। भक्त अपनी आस्थाओं के जिम्मे ही रहता है। व सरकार व प्रशासन द्वारा भी ऐसे आयोजनों पर कोई नियमन नहीं है। 

हालाँकि FSSAI द्वारा भोग BHOG (Blissful Hygienic Offering to God ) प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। जो सिर्फ उन्ही मंदिर या ट्रस्ट व संस्थाओ को दिया जाता है। जो खुद के परीसर  की रसोई में भगवान व भक्तों के लिए खाद्य पदार्थ बनाते हो। अब तक सबसे ज्यादा दक्षिण भारत में भोग प्रमाणपत्रों का वितरण किया गया है।तथा भारत के कई मठ ,मंदिर ,व गुरुद्वारो को भी भोग प्रमाणपत्र दिए गए है। 

लेकिन भंडारों व सामूहिक भोज आदि में आम जनता व भक्तों की खाद्य सुरक्षा के लिए FSSAI द्वारा व सरकार व प्रशासन द्वारा कोई कदम नहीं उठाये गए है। और ना ही भविष्य में ऐसे कोई नियमन लागू किये जायेंगे। ऐसे में अपनी आस्थाओं के बल पर ही भण्डारो का खाना राम भरोसे ही रहेंगे। 

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