स्वास्थ्य और जीवनशैली

व्यक्तिगत भोजन खाद्य उधोग का नया भविष्य

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व्यक्तिगत भोजन यानी किसी व्यक्ति के जेनेटिक प्रोफाइल ,मेटाबोलिज़म व आंतो के होस्ट बैक्टीरिया के अनुसार उसका भोजन तय करना जिससे भोजन का पचना और भोजन के मुख्य पोषक तत्व जिनकी जरुरत है वही शरीर में पहुंच सके व मेटाबोलिज़म से होने वाले ऑक्सीडेंट व टॉक्सिन कम से कम हो सके।
बाजारवाद में हमेशा ग्राहकों को एक व्यक्ति मानकर ही उत्पाद व  विज्ञापन बनाये जाते है। लेकिन उत्पाद हमेशा सब के लिए एक जैसा ही होता है। विज्ञापनों से संभवतया बात हमेशा आपकी ही की जाती है। लेकिन विज्ञापन और उत्पाद सारी जनता पर ही थोप दिया जाता है।
विज्ञान  की माने  तो हर व्यक्ति अलग होता है। उसके शारीरिक गुण-दोष मानसिकता और मेटाबोलिज़म अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग व कुछ का समान हो सकता है। वैश्विक खाद्य उधोग की माने तो सभी लोग एक जैसे ही है। बस उनका उत्पाद खरीद कर खालो। लेकिन अब ऐसा बहुत समय तक नहीं चलने वाला है।

पश्चिमी देशो में खाद्य उधोग में व्यक्तिगत भोजन को लेकर नई नई खोजे जोरो पर है।
आधुनिक समय की मांग भी यही है। हम पिछले 50 सालो से अपने खान पान में जितना उधोग जोड़ सकते थे उससे भी ज्यादा उद्योगों को खानपान से जोड़ लिया है। और उसके परिणाम भी हमारे सामने है।भागदौड़ के जीवन में हमारा ध्यान भोजन और भोजन की शुद्धता और आवशयक्ता पर नाममात्र का ही रहता है। तथा कई फिजूल फ़ूड सप्लीमेंट का इस्तेमाल हम बिना किसी कारण या जिम में बॉडी बनाने के नाम पर खा लेते है।
शरीर पर  भोजन के दुष्प्रभावों को जानने के लिए वैज्ञानिक सदैव से काम कर रहे है।

अब कुछ स्टार्टअप ने भोजन को  व्यक्तिगत करने के विचार में पहल कर दी है।ऐसा नहीं है की पहले भी कोशिश नहीं हुवी पहले भी क्षेत्रानुसार व शरीर के प्रकार या ब्लड ग्रुप के अनुसार खानपान रखने को लेकर कई क्रन्तिकारी खोज और  स्टडी होती आ रही है। प्राचीन काल  में भी भारतीय आयुर्वेद में शरीर की प्रवृति या तासीर के अनुसार वात  पित और कफ प्रधानता से शरीर की पहचान व  इलाज और खानपान करने का बहुत ही अच्छे तरीके से वर्णन मिलता है। तथा जैन ग्रंथो में भी शरीर के प्रकार व ऋतू अनुसार खान पान करने  का विस्तृत वर्णन मिलता है। इन्ही प्राचीन ग्रंथो के अनुसार नई तकनीकों के जरिये अब पश्चिमी देशी शोध और स्टार्टअप होने शुरू हो गए है। अब आपके जेनेटिकल प्रोफ़ाइल  के आधार पर आपके भोजन और पोषक तत्वों का चुनाव किया जा सकेगा। और कई खाद्य जनित बीमारियों और गंभीर बीमारियों से बचाना आसान हो जायेगा।

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