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जैविक खेती में लेब जनित जीवाणुओं के उपयोग का क्या असर होगा ?

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जैविक खेती के नाम पर किसानो के साथ फिर से हो रहा है धोखा ?

जैविक खेती में जैविक जहर भरा जा रहा है। 

जैविक खेती आज के दौर की जरूरत है। लेकिन जैविक खेती क्या सच में जैविक तरीको से हो रही है ? या एक बार फिर से जैविक खेती के नाम पर किसानों को मूर्ख बनाया जा रहा है। 

सुनने में  जैविक या ऑर्गेनिक  शब्द प्राकृतिक जैसा लगता है ,लेकिन है नहीं। पहले समझते है की प्राकृतिक  (Natural ) क्या होता है। प्राकृतिक का मतलब कोई भी प्रदार्थ या जीव या वनस्पती  जो प्रकृति में स्वतंत्र रूप से पाया जाये। जिसके साथ कोई भी अतिरिक्त  छेड़छाड़ नहीं की गई हो वो प्राकृतिक है। 

ऑर्गेनिक से तात्पर्य प्राकृतिक किन्तु संसाधित और संसोधित होता है। 

पिछले 10 वर्षो में भारत में जैविक खेती को बहुत बढ़ावा मिला है। लेकिन जैविक खेती में गोबर की खाद या सड़े पत्तो और प्राकृतिक जैविक प्रदार्थो से बनी खाद के उपयोग के साथ साथ  देश भर में विदेशी  प्रयोग शालाओ में विकसित सूक्ष्म जीवो से खाद और कीटनाशक बनाये और प्रेषित किये जा रहे है।

 जिनका खेती पर अच्छा असर देखने को भी मिला है किन्तु मानव जीवन और प्राकृतिक व सूक्ष्म जैविक  जीवन पर इसके प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी ना  आम आदमी की चर्चाओं,और ना ही  मीडिया में है। यहाँ तक की इंटरनेट तक चुप है। हर कोई जैविक खेती के गुणगान करता नजर आता है।

लेकिन  किसी भी जैविक पदार्थ का मतलब सेहतमंद या सुरक्षित हो ये जरुरी नहीं है।जैविक खेती में उपयोग हो रहे जीवाणुओं के दुष्प्रभावों को छुपाया जा रहा है। इनके दुष्प्रभावों की कोई जानकारी सार्वजानिक मंचो से हटा दी गई है या फिर दिखाई या बताई नहीं जाती है। 

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         सांप का जहर हो या विश्व का सबसे ताकतवर जहर बोटुलिनम टोक्सिन दोनों जैविक ही है।  बोटुलिनम बैक्टीरिया अपनी अनुकूलता के विपरीत रहवास में एक घातक  जहर बनता है जिसकी मात्रा को लेकर अलग अलग मत है लेकिन ये सच्चाई है कि बहुत ही थोड़ी मतलब कुछ किलो इस धरती के समस्त जीवजगत को समाप्त कर सकता है। 

कीटनाशकों के दुष्प्रभावों से विचलित मानव सभय्ता में अब जैविक खेती से जैविक जहर भरा जा रहा है। कभी फ़ूड एडिटिव तो कही मेडिसिन में बैक्टीरिया या फंगस से संश्लेषित तत्वों को हमारे जीवन के साथ जोड़ा जा रहा है। आये दिन नई नई किस्म की बीमारियां और बुखार सामने आ रहे है।जिनके कारण अभी तक बताया नहीं जा रहे है।

कभी राजाओ और नवाबो के मुर्गे लड़ाने के शौक की तरह  वैज्ञानिक सूक्ष्म जीवो को एक दूसरे के विरुद्ध काम में ले रहे हैं ।कहने को ये वैज्ञानिक होते है लेकिन किसी बिग फ़ूड या कृषि रसायनो की  कम्पनी की प्रयोगशाला या किसी शिक्षण  संस्थान में किसी कम्पनी की फंडिंग से ये वैज्ञानिक  आये दिन नए सूक्ष्म जीवो की खोज में लगे जो किसी दूसरे सूक्ष्म जीव  के विरुद्ध काम कर रहे होते  हैं ।

जिनका लेब में तो टेस्ट हो जाता है लेकिन असल टेस्ट उसका प्रकृति में भी  लेना होता है। प्रकृति में वैज्ञानिको के विकसित किये सूक्ष्म जीव  क्या व्यव्हार करते है या क्या कर सकते है। जिनके लिए इनको विकसित किया है उसके आलावा और कौनसे सूक्ष्म जीवो पर क्या प्रभाव डालेंगे ये भविष्य के गर्भ में ही रहता है। 

संभावनाओं के प्रश्नचिन्ह में घिरी इनकी खोज में कुछ भी असंभव नहीं है। कोरोना का कोहराम अभी भी जारी है।वैश्विक महामारियां के  इतिहास की घटनाओं की फिल्म दिखा कर वैक्सीन लगाई जा रही है। लेकिन अभी तक किसी ने भी खेती में हो रहे जैविक उत्पादों के प्रति ध्यान आकर्षण का काम नहीं किया है। बल्कि ऑर्गेनिक खेती और उत्पादों  के नाम पर  लूट चालू है।

प्राकृतिक रूप से बहुत से सूक्ष्म जीव हमारे आसपास और हमारे शरीर के अंदर बाहर पाए जाते है। जिनका विकास मानव विकास के साथ ही  हुवा  है। लेकिन जो अलग या विपरीत प्रवृति का सूक्ष्म जीव है जो हमारे लिए और हमारे सूक्ष्म जीवो के लिए हानिकारक होते  है।  उन्ही को कीटाणु कहा जाता है।

जैविक कृषि में उपयोग में हो रहे फंगस ,बैक्टीरिया ,यीस्ट आदि को लेकर शोध और प्रयोग तथा  उपयोग के साथ साथ  हो रहे है। जिसका परिणाम सुखद भी हो सकता है और प्रलयकारी भी। वैज्ञानिक जीवाणुओं की जीन इंजीनियरिंग करके इनसे कई तरह के उत्पाद बना रहे है।

मोनो सोडियम ग्लूटामेट ( MSG ) भी वसा पर इन्ही लैब में विकसित जीवाणुओं से किण्वन विधि द्वारा बनाया जाता है। कोरोना वाइरस भी लैब से ही लीक हुवा था। और वैज्ञानिक कोरोना वाइरस के व्यवहार को लेकर  किसी भी तरह से भविष्यवाणी नहीं कर पाये थे। 

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समय रहते हमें और हमारे किसानो की प्राकृतिक खेती और परम्परागत खेती को नई बुनियादी तकनीकों से जोड़ते  हुये  चलना सीखना होगा।

आज हम खाने पीने से जुड़े मुद्दों को अनदेखा कर सकते है। लेकिन भविष्य की हमारी पीढ़िया आज के लोगो को माफ़ नहीं करेगी। 

1 Comment

  1. Rao Kishore Singh

    9 September 2023 at 10:13 am

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