समाचार (देश/विदेश)
ख़राब पाए जाने पर लगभग 29 हजार क्विंटल चावल रिजेक्ट
कोरोना काल के बाद से चल रहा है गोरखधंधा
कटनी (म.प्र.) गरीबो और खाद्य डिपो के लिए स्वीकृत फोर्टिफाइड चावल की घटिया क्वालिटी को देखते हुवे जिलाधीश अवि प्रसाद ने चावल की खेप को रद्द करते हुवे गोदाम मालिकों और खाद्य अधिकारी व निरीक्षकों पर कार्यवाही के निर्देश दे दिए है।
मई माह की शुरुवात से ही एक एक करके नियुक्त गोदामों पर कलेक्टर खुद से जाँच पड़ताल कर रहे है। इन कार्यवाहियों में सबसे बड़ी कार्यवाही 9 मई को की गई।तथा जाँच व कार्यवाही जारी है।
कटनी में ऐसा नहीं है की यह मामला पहली बार ही हुवा है। कटनी में कोरोना काल से ही नागरिक आपूर्ति निगम में चावलों के वितरण को लेकर मिलर्स और अधिकारियो की मिली भक्ति से इलाके के गरीब व सरकारी राशन पाने वाले लोग कई वर्षो से परेशान है। अधिकतर सरकारी आपूर्ति में वितरित अनाज जानवरों के भी लायक नहीं है। इसको लेकर की गई शिकायतों पर भी स्थानीय खाद्य अधिकारियो ने नए नए रस्ते और नियमों को ही अपना हथियार बना रखा है। केंद्रीय खाद्य जांच एजेंसी के आँखों में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है। 2018 से लेकर 2020 तक यही खेल चलता रहा
2018 में 18 हजार क्विंटल घटिया चावल गुपचुप तरीके से गरीबों में बाँट दिया गया
2020 यहां चावल के नमूने लेने के लिए केंद्र की टीम के आने से पहले ही हजारों क्विंटल चावल रिजेक्ट कर दिया गया है। रिजेक्ट किए गए चावल के नमूने केंद्र की टीम नहीं लेगी और इस तरह से घटिया चावल सप्लाई करने वाले मिलर्स और गुणवत्ता पास करने वाले अफसरों के गठजोड़ का खुलासा होने से बच जाता था अब इसी को लेकर कटनी के कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए है। इस देश के साथ दुर्भाग्य यही है की हर कोई गरीबो का ही हक़ खाने की फ़िराक में रहता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की वो कोई जिन्दा इंसान है या बेजुबान जानवर।