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मध्य प्रदेश के खाद्य सुरक्षा आयुक्त पर नहीं चलता किसी का जोर
खाद्य सुरक्षा आयुक्तअपनी मर्जी का मालिक
जैसा कि विदित है कि देश भर में खाद्य सुरक्षा के जिम्मेदार विभागों की जिम्मेदारी दिन प्रतिदिन चुनौतियों से कम नहीं है। कई प्रदेशों में से एक मध्य प्रदेश के जिम्मेदार खाद्य सुरक्षा आयुक्त , भोपाल से सभी संभागों का संचालन किया जाता है ।
उनके आदेश एवं उद्देश्य की जांच पड़ताल फुड मेन की टीम को एक शिकायत के रूप में मिली , जिसमे आयुक्त मोहदय श्री डॉ सुदाम खाड़े ने बिना एक्सप्रेशन ऑफ़ इंट्रेस्ट [ EOI ] निकाले और देश भर की ऑडिट एजेंसीज को आमंत्रित किये बिना मध्य प्रदेश की ही एक कंपनी को हाई रिस्क खाद्य प्रतिष्ठानों के ऑडिट के आदेश पारित कर दिए।
देश भर की कुल 32 चुनी हुईं ऑडिट एजेंसीज जिन्हे केंद्र सरकार की संस्था FSSAI ने ये अधिकार दिया है कि वे उक्त कार्य के लिए पूरे देश में काम कर सकती हैं। किन्तु खाद्य आयुक्त महोदय ने अपने आदेश में और अपने सर्व अधिकारों के तहत बाकी शेष 31 को सूचित किये बिना ही सम्पूर्ण कार्य प्रदेश की ऑडिट एजेंसी ASTRALEUS SERVICES PVT LTD को दे दिया। उन्होंने अपने आदेश में उक्त कंपनी को प्रदेश भर की एक मात्र कंपनी घोषित किया है।
जबकि हकीकत में प्रदेश की एक दूसरी कंपनी भी है जो उन 32 ऑडिट एजेंसी में शामिल है।
देश भर में खाद्य सुरक्षा को ले कर और इस आदेश पर जब फ़ूडमेन संवाद दाता ने खबर छापने से पहले उनके दिए मेल पर भी उनका पक्ष जानना चाहा किन्तु कोई उत्तर नहीं मिला। इसी सन्दर्भ में हमारे एडिटर द्वारा उनके एक वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी से भी बात हुई जिसमे उन्होंने कहा कि प्रदेश का खाद्य आयुक्त कोई भी आर्डर अपने क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए दे सकता है।
खाद्य आयुक्त भोपाल की कार्य शैली ऐसी है कि भोपाल से मात्र कुछ ही किलोमीटर दूर स्थित सीहोर में एक डेयरी कंपनी ने अरबों का व्यापार पुरे देश भर में नकली दूध उत्पाद बना कर और सारे नकली सर्टिफिकेट ले ले कर अमेरिका तक में धाक जमाई , जिसका लाइसेंस FSSAI ने पिछले साल के अंत में निरस्त किया था।
उस कंपनी के निजी मित्र बन कर सुदाम खाड़े ने उसे पाला पोसा। सीहोर स्थित जय श्री गायत्री फ़ूड प्रोडक्ट्स ने देश का ऐसा कोई सर्टिफिकेट नहीं छोड़ा जो उनके पास न हो किन्तु उसके पनीर, खोया और अन्य उत्पादों के सैंपल फ़ैल पर फ़ैल होते गए और रिश्वत खाद्य सुरक्षा अधिकारीयों तक पहुंचती गयी।
प्रदेश और देश की मीडिया में इसके चर्चे भी बहुत हुए किन्तु आयुक्त महोदय पर मीडिया का दबाव जब बढ़ता गया तब उन्हें टीम भेज कर कारवाही करनी पड़ी।और वही नपे तुले जवाब दिए गए जो अधिकारी अपनी मिली भगत को छुपाने और जिसका सयोग कर रहे है है उसके बचाव में करते है।
फ़ूडमेन ने आदेश की कॉपी को भलीभांति पढ़ कर उनसे उनके क्षेत्राधिकारों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है कि ये किधर की प्रक्रिया है कि देश भर की 31 कंपनी के होते हुये भी कागजी विज्ञापन न देकर 31 कम्पनियो को अँधेरे में रख कर प्रदेश की ही एक मात्र कंपनी कह उसके हो मौका दिया दिया गया तथा अन्य दूसरी कंपनी का भी हक़ छीना है।
A mark Ratings Pvt.Ltd, भोपाल स्थित दूसरी ऑडिट एजेंसी को भी इसकी भनक वर्क ऑर्डर होने पर हुई. इस प्रकार आयुक्त के ऑर्डर में मध्य प्रदेश की एकमात्र कंपनी Astraleus को बताना एकदम अनुचित है. डॉ खाडे ने पूरे प्रदेश को अपनी जागीरदारी व्यवस्था से चला कर भ्रष्टाचार की हदें पार कर ली हैं।
हालाँकि इसकी शिकायत देश की सर्वोच्च संस्था FSSAI को इस आदेश और उद्देश्य की शिकायत कर दी गयी है। लेकिन अब गेंद FSSAI के पाले में है। देश में बीमारियां विशेष कर प्रोसेस फ़ूड सम्बन्धी बीमारिया चरम पर है। ऐसे में ऐसे घोटाले हमें और हमारे बच्चों को बीमारी और चिकित्सकों की तरफ धकेलने का काम कर रहे हैं।