सच का सामना

मैकलिबेल केस (McLibel case )

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वैश्विक रूप से पिज्जा और बर्गर बनाने के लिए प्रसिद्ध कम्पनी मेक्डोनल्स कॉर्पोरेशन के खिलाफ हुवे जनक्रांति और लन्दन के कोर्ट में मानहानी के सबसे लम्बे केस मैक्लिबेल केस की चर्चा इस लेख में है। यह जानकारी किसी बड़ी कम्पनी को बदनाम करने की नहीं बल्कि समाज में खाद्य चेतना और उन दो कार्यकर्ताओ के संघर्षो के बारे में ज्यादा है जिन्होंने धन से ज्यादा अपने उसूलो पर जोर दिया हालाकि उनकी इस आधी जीत और आधी हार की वजह ही धन की कमी थी।


खाद्य इतिहास में बीबीसी के अनुसार अंग्रेजी इतिहास का सबसे लम्बा चला मुकदमा था जिसमे मेक्डॉनल्ड्स कार्पोरेशन ने लन्दन के ग्रीनपीस पर्यावरण कार्यकर्ता हेलेन स्टील और डेविड मॉरिस पर 60 हजार पोंड का मानहानी मुकदमा दायर किया था।
ग्रीनपीस नाम के लन्दन स्थित एक पर्यावरण कार्यकर्त्ता के रूप में 5  सदस्य स्वयंसेवी संसथान ने मेक्डोनल्स कार्पोरेशन के खिलाफ एक पुस्तक व पोस्टर का लोकार्पण किया जिसके लिए ये पांचो सदस्य लन्दन की सड़को पर पेम्पलेट और पोस्टर चस्पा कर रहे थे। जिसका शीर्षक था “मेक्डोनल्स के साथ क्या गलत है वो सबकुछ जो वो नहीं चाहते आप जाने “( Whats wrong with  Mcadonald. Everything they dont want you to know ) , छ: पन्नो की एक किताब जिसमे कथाकथित रूप से कम्पनी द्वारा जंगलो पर कब्ज़ा व पेकिंग और कचरे ,तथा मुर्गियों को मारने के अमानवीय तरीको और फ़ास्ट फ़ूड के नाम पर कई खाने की लालसा और भूख बढ़ाने वाले तत्वों के उपयोग व कर्मचारियों के शोषण और बाल मजदूरी  पर सनसनीखेज रूप से एक विस्तृत जानकारी प्रकाशित की गई थी।


जिस वजह से मेक्डोनल्स कार्पोरेशन ने पांचो सदस्यों पर मानहानी का मुकदमा दायर किया। पांचो सदस्यों में से तीन सदस्यों ने किसी भी कारणवश माफ़ी मांग ली जिससे इन तीनो को मुकदमे से बाहर कर दिया गया या माफ़ कर दिया गया। लेकिन हेलेन और डेविड अड़ गए।दोनों की आर्थिक स्थिति भी इतनी नहीं थी की दोनों अपने लिए वकील कर सके। जिसके बाद कोर्ट द्वारा ही उनके लिए वकील नियुक्त कर लिए गया। 10 सालो तक चले इस मुक़दमे कोर्ट ने भी माना  की सारे आरोप सही नहीं लेकिन कई आरोप सही है। अंत में फैसला कंपनी के पक्ष में हुआ लेकिन पूरी तरह से कंपनी के पक्ष में हुवा ये सार्वजनिक रूप से सूचनाओं में नहीं है।


क्योकि इस मुक़दमे में दायर मानहानी की राशि कभी वसूली ही नहीं गई। और न ही कम्पनी ने इसे सार्वजनिक रूप से स्वीकारा की हेलेन और डेविड ने वो राशि दी है। हेलेन आज भी एक समाज सेवी के रूप में काम कर रही है। ये घटना ब्रिटेन के उच्च स्तरीय लोकतंत्र की कहानी हे जिसके प्रधानमंत्री आज एक भारतीय होने जा रहे है।कम्पनियो द्वारा नियम कानून को ताक में रख कर अपने मुनाफे के लिए किसी भी स्तर तक गिरावट कोई नई बात नहीं है।
फर्क जनता को भी नहीं पड़ता है।लेकिन फिर भी कुछ क्रन्तिकारी लोग अपने प्रयासो से आम लोगो के जीवन में परिवर्तन और सुविधा के लिए और उनके अधिकारों के लिए  लड़ जाते है।सोच के देखिये क्या भगत सिंह और उनके साथियो को पता नहीं था की उनके साहस का क्या परिणाम होगा क्या उस समय भी उनकी फांसी के बाद देश में कोई चेतना या क्रांति आई थी। लेकिन जब क्रांति हुई तब देश को भगत सिंह और उनके साथियो को याद किया गया ,और आज भी याद करके भुनाया जाता है।
मैक्लिबेल केस से जुडी सभी जानकारियां इंटरनेट पर उपलब्ध है एक डॉक्यूमेंट्री वीडियो या फिल्म भी इस पर बनाई गई है जो की यूट्यूब पर उपलब्ध है।
फ़ूडमेन का प्रयास है। की वो अपने पाठको को हर उस जानकारी से अवगत करवाये जिससे उनके जीवन स्वस्थ और शांति से बसर हो जाये। ये प्रयास लगातार रहेंगे।

दीपावली की शुभकामनाये।

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