फ़ूड लेबल : इ कोडिंग के सच
खाद्य परिरक्षक (Preservative )
हमारी खाद्य विज्ञान की एक महत्वपूर्ण कड़ी (ई कोड 200 -285)
खाद्य परिरक्षक उन रसायनिक तत्वों को कहते है। जो खाद्य को सड़ने और ख़राब होने से बचाते है। अंतराष्ट्रीय खाद्य अवयवों की कोडिंग में इसे E-200 से E -285 तक में अंकित या दर्शाया जाता है।
परिरक्षक से सीधा तात्पर्य एक शब्द में कहे तो एंटीबायोटिक्स प्रभावी तत्व। साधारण शब्दों में परिरक्षको का काम उत्पाद में बैक्टीरिया और फफूंद को उत्पाद में बढ़ने से रोकना है। और उत्पाद को सड़ने से बचाना है। जिसका आपके जीवन पर कोई सकारात्मक प्रभाव बिलकुल भी नहीं है। परिरक्षक का काम उत्पाद को बचाना है। परिरक्षक की आपके या आपके स्वास्थ्य से प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं होती है। एक समय के बाद ये अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है। और आप इसके निरंतर उपयोग से इसके आदी।
एक लिहाज से सभी खाद्य अवयवों को देखा जाये तो सभी के सभी परिरक्षक ही है। बस इनको वर्गीकृत कर दिया गया है। परिरक्षकों की जानकारी इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है क्यों की इनमें से अधिकतर योजको या रसायनों का सेवन आप अपनी दवाइयों में कर रहे होंगे या करने वाले होंगे ? परिरक्षको का और एलोपैथी दवाओं का सम्बन्ध एक नहीं दिखता है लेकिन इनकी जानकारी के बाद पता चलता की ये एक ही परिवार से जुड़े है। बिग फार्मा ( BIG PHARMA ) से।
जैसे जैसे आप परिरक्षको के बारे में जानेंगे वैसे वैसे आप एलोपैथी की कई दवाओं के बारे में भी जानेंगे और उनके दुष्प्रभावों के बारे में भी।
सोर्बिक एसिड ( Sorbic acid ) E -200
सोर्बिक एसिड एक प्राकृतिक तत्व है जो फलो जैसे बेर,आम आदि फलो में पाये जाते है। सोर्बिक एसिड को रासायनिक प्रक्रियाओं से सिंथेटिक रूप से बनाया जाता है। ये परिरक्षक के रूप में शुरूआती प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री में इसे एक अच्छे व बहुत ही कम हानिकारक सिंथेटिक खाद्य परिरक्षक के रूप में जाना जाता है। सोर्बिक एसिड पानी में ज्यादा घुलनशील नहीं है। इसलिए इसको कम पानी वाले उत्पादों में उपयोग में लाया जाता है। इसका उपयोग पनीर ,सूखे मेवे ,दही ,सूखे मांस ,मछली ,और बेकरी उत्पादों में लिया जाता है।
सोर्बिक एसिड के अन्य यौगिक सोडियम सोर्बिक (Sodium Sorbic ) E -201, पोटेशियम सोरबिक़ (Potassium Sorbic ) E -202 ,कैल्शियम सोरबिक़ (Calcium sorbic ) E-203 को भी परिरक्षण के रूप में काम में लिया जाता है। E -203 को डीएनए पर दुष्प्रभाव (जीनोटॉक्सिसिटी )के अधययन के आभाव के संदर्भ सन 2018 में E -202 को यूरोपियन संघ में प्रतिबंधित कर दिया था। तथा पोटैशियम सोर्बिक E -201 पहले से ही डीएनए प्रभावी ( जीनोटॉक्सिसिटी ) होने के कारण यूरोपियन संघ में प्रतिबंधित है। भारत में इसके उपयोग को लेकर कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है।
सोर्बिक एसिड बहुत ही सुरक्षित परिरक्षक है। फिर भी कई लोगो को इससे एलर्जी हो सकती है। तथा अधिकता में चर्म रोग व पाचन तंत्र में गड़बड़ी हो सकती है। सोर्बिक एसिड अपने आप में एक हल्की किस्म की एन्टिबायोटिक है। जिसका Ph मान 4.76 होता है। सोर्बिक एसिड जीवाणुओं की कोशिका भित्ति (दीवार) से जीवाणुओं की अंदरूनी चय अपचय को प्रभावित कर देता है जिसके प्रभाव से बैक्टीरिया की मौत हो जाती है।