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आयोडीन नमक और हम भारतीय। 

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आयोडीन नमक से कितना आयोडीन मिलता है। 

भारत में कुपोषण और घेंघा रोग के प्रसार को रोकने के लिए नमक में आयोडीन मिलाया गया।

आजादी के बाद से ही समय समय पर सरकारों द्वारा व विदेशी कम्पनी या एजेंसी द्वारा भारत में कुपोषण को लेकर सर्वे हुये और इन सर्वे रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने जनहित में फैसले लिए। जो किसी ना किसी विदेशी कम्पनी विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए आंकड़ों में हेरफेर किये।या वैज्ञानिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करके सरकारों व स्वास्थ्य संघटनो को भरमाया गया है। 


आजाद भारत में जब कुछ ही लोग व समुदाय पढ़े लिखे विशेषतौर पर विदेशी और चिकित्सीय विज्ञान  को समझने वाले लोग कम ही हुवा करते थे। और जो पढ़े लिखे थे वो सरकारी नौकरी में ही व्यस्त रहे तथा उसी तरह काम काज होता रहा जैसे अंग्रेजो के ज़माने से होता आ रहा था।

सरकारो को सर्वे रिपोर्ट आदि से समझा दिया गया की देश में कुपोषण जोरो पर है। सबको आयोडीन की कमी है इसलिए नमक जैसे जरुरी प्रदार्थ में इसे  मिला कर जनता को देना ही पड़ेगा। उस समय की सरकारों ने भी मान लिया की नमक में आयोडीन मिलाना ही देश हित में जरुरी है।

किसी ने भी आज की तरह आयरन टेबलेट या फोलिक एसिड की टेबलेट की तरह कोई और कारगर तरीका सरकार को नहीं सुझाया। और आज तक आयोडीन नमक हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हालाँकि देखा जाये तो नमक जैसी बुनियादी जरूरत पर गाँधी जी ने  दांडी यात्रा के बाद से हटे नमक टैक्स को पुनर्जीवित  करने की साजिश का हिस्सा माना जा सकता है।

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नमक में आयोडीन मिलाना आटे में नमक मिलाने जैसा नहीं होता है। नमक को आयोडीनयुक्त बनाने के लिए कई जटिल रासायनिक और तकनीकों को काम में लेना पड़ता है। जिस वजह से नमक का उत्पादन दोबारा कॉर्पोरेट के हाथो में आ गया

आजाद भारत में आयोडीन के विरोध में  कई जनहित याचिकाएं अलग अलग राज्यों के हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक में लगी है। लेकिन ठोस सर्वे और आधुनिक कम्पनी सर्वे हमेशा से व्यापार को लेकर गंभीर रहा है। फरवरी 2017 को कर्नाटक हाईकोर्ट में नमक में आयोडीन मिलाने और उसे बनाने में इस्तेमाल होने वाले एंटी केकिंग एजेंट के नुकसान को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी। 2011 में सुप्रीम कोर्ट में आयोडीन नमक के विरुद्ध याचिका लगी।

1998 में भी आयोडीन नमक के विरुद्ध एक याचिका मध्यप्रदेश की हाई कोर्ट में भी लगायी गयी। लेकिन सभी को छोटे मोटे परिवर्तन के साथ ख़ारिज कर दिया गया।
आयोडीन की  आवश्यकता मानव शरीर के लिए जरुरी तो बताया गया है लेकिन इसकी कमी को तुरंत पूरा करने के लिए कोई टेबलेट या सिरप का जिक्र भी आपने कंही नहीं सुना होगा ।

विज्ञान की माने तो नमक को भोजन बनाने के दौरान या साथ में काम में नहीं लेना चाहिए। क्योंकि अधिक तापमान से आयोडीन वाष्पीकृत हो जाता है। लेकिन ऐसी कोई जानकारी नमक की पैकिंग पर नहीं होती। यूरोप के विपरीत भारतीय नमकीन भोजन में पकाते समय ही नमक का उपयोग होता है। तथा नमक के स्वाद को भोजन पकाने के दौरान ही पूर्ण कर दिया जिससे आयोडीन की अधिकतम मात्रा वाष्पित हो जाती है।

भारत में नमक प्राचीन काल से ही काम में लिया जाता रहा है। ये भी कह सकते है जब यूरोपियन देश नमक के बारे में सुना भी नहीं था तब से भारतीय संस्कृति में नमक काम में ले रही थी। भारतीय संस्कृति में नमक भोजन बनाने के दौरान ही डाला जाता है। 

भारत की कई मान्यताओ में खाने के ऊपर से नमक डालना गलत व भोजन के अपमान जैसा माना जाता है। ऐसे में आयोडीन युक्त नमक अकारण ही लगता है। जब की अब नमक के उपयोग को सीमित करना चिकित्स्कों की प्राथमिक सलाह में से एक हो रही है।साधारण नमक की तुलना में आयोडीन युक्त नमक में ज्यादा मात्रा में रसायन होते है जो की खतरनाक और ब्लड प्रेशर बढ़ाते है। विज्ञान में खोज व नवीनता व परिवर्तन होते रहे है।

यह एक विडंबना ही है की पश्चिम के पुराने हो चुके विज्ञान में हमारे समाज के कथाकथित बुद्धिजीवी आज भी अपने  प्रश्नो के उत्तर ढूढ़ते रहते है।विशेष तौर पर चिकित्सीय विज्ञानं और पोषण विज्ञान के लिए हमारी निर्भरता पश्चिमी देशो के ज्ञान पर ही रहती है। 

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2 Comments

  1. P.r palvankar

    21 October 2023 at 9:59 am

    Ifeel prentive measures should not be over shadowed by personal interest party interest financial liability.Health Ministry andGeneral public health should give priority

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