स्वास्थ्य और जीवनशैली

भारत में 15% फूड सप्लीमेंट्स अनसेफ:मसल्स बनाने में हार्ट, किडनी, लिवर को खतरा; FSSAI की रिपोर्ट 

Published

on

फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने सोमवार को आई अपनी रिपोर्ट में बताया कि देश में करीब 15 फीसदी प्रोटीन पाउडर और फूड सप्लीमेंट्स सुरक्षित नहीं हैं।

2021-22 के दौरान एकत्रित किए गए 1.5 लाख डायटरी सप्लीमेंट्स में से करीब 4890 सैम्पल्स सेहत के लिए सही नहीं पाए गए।

भारत में एक नया टर्म चलन में है जिसे न्यूट्रास्यूटिकल्स कहा जा रहा। FSSAI के अनुसार, न्यूट्रास्यूटिकल्स ऐसा फूड है जिससे न केवल शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा किया जाता है बल्कि कई बीमारियों को ठीक करने में भी यह मददगार होता है।
लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक हेल्दी ब्रेन के लिए आयरन, आयोडीन और विटामिन B12 जरूरी है जो नॉर्मल डाइट से मिल सकते हैं। सेंट जॉन मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु के प्रोफेसर डॉ. अनुरा कुरपाद कहते हैं कि सप्लीमेंट्स देकर स्मार्ट बेबी नहीं बनाया जा सकता। सेहत के लिए संतुलित और सही खुराक का होना जरूरी है।

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), नई दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. आनंद कृष्णन कहते हैं कि हमारे खाने की चीजों को खरीदने, बनाने और खाने का फैसला हमारे सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक माहौल पर निर्भर करता है।

Advertisement

सवाल यह है कि क्या हम ये माहौल बेहतर बना सकते हैं? इसका जवाब है- हां। कई देशों की सरकारों ने ऐसी नीतियां बनाई हैं। इनकी मदद से बच्चों और युवाओं की सेहत पर खराब असर डालने वाले फूड सप्लीमेंट्स के विज्ञापन पर निगरानी रखी जाती है ताकि लोगों के बीच सबस्टैंडर्ड और अनसेफ क्वालिटी का सामान न पहुंचे।

डायटरी सप्लीमेंट इंडस्ट्री को भी सेल्फ रेगुलेशन की जरूरत है। जिस तरह हम सेफ सेक्स, क्लीन टॉयलेट को प्रमोट कर रहे हैं, उसी तरह हमें सेफ फूड हैबिट्स को लेकर अवेयरनेस क्रिएट करनी चाहिए और अपनी सेहत को लेकर सही डायटरी सप्लीमेंट्स चुनने चाहिए।

 

Advertisement

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version