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हमारा खाद्य आयात कितना सुरक्षित
वैश्वीकरण के चलते आज हम कई देशों की तकनीक अपने देश में उपयोग ले पा रहे है। साथ ही वैश्वीकरण के चलते कई खाद्य सामग्रियां आयात और निर्यात की जा रही है। वैश्वीकरण के चलते तकनीक साथ ज्ञान तो खाद्य सामग्री के साथ स्थान विशेष की बीमारी और जैविक विविधता भी आती है। जैविक विविधता से तात्पर्य कीटाणु जीवाणु ,बैक्टीरिया ,फंगस ,वायरस आदि।
ये आयातित संक्रमण सिर्फ मनुष्यों या जानवरो तक सीमित नहीं बल्कि खेती और पर्यावरण में भी संक्रमित कर सकते है। भारत में ऐसे कई संक्रमण के उदाहरण मिल जायेंगे जिनको सरकार और आयत निर्यात कम्पनी ने या तो माना ही नहीं या इधर उधर की बात करके रफा दफा किया है। कुछ सूत्रों के अनुसार हाल ही में मवेशियों की बीमारी लम्पी भी किसी बाहरी पशु आहार द्वारा आई है ( फूडमेन इसकी पुष्टि नहीं करता है।
देश में ऐसे कई संकरण हुवे है और हो रहे है जिसका कारण अभी तक चिकित्सकों को पता नहीं या सार्वजनिक रूप से बताया नहीं जाता है। वैश्वीकरण के अब तक के सबसे भयानक परिणाम हम कोरोना में देख चुके है। लेकिन वैश्विक व्यापार को बंद नहीं किया जा सकता है। लेकिन यूरोप और अमेरिका की आयात नीति का पालन ईमानदारी से कर के पुरे देश के लिए कई खतरनाक संक्रमण से बचा जा सकता है। विशेष कर खाद्य सामग्री के आयत में खाद्य लेबो की जाँच की तत्परता तथा दूषित व संक्रमित खाद्य सामग्री को ईमानदारी से नष्ट करने की आवश्यकता है। लेकिन भारत के बंदरगाहों में सिर्फ और सिर्फ लालच और लालच ही दिखेगा। हालही में गुजरात के पोर्ट से अरबो रु.की हेरोइन पकड़ी गई।
यह इस बात का सबूत है की पोर्ट पर किस तरह से खाद्य सामग्री को पास करवाया जाता होगा। भारत कई देशों के लिए डम्पिंग यार्ड की तरह काम करता है। यहाँ तक की पाकिस्तान का प्लास्टिक भी भारत में आयातित है। व खाद्य सामग्री में तो भारत कुछ भी खपा सकता है जिसका प्रमुख कारण भारत की 80 करोड़ जनसंख्या की गरीबी है।
मिश्र और ईरान ने भारत के गेहू को वापस कर दिया।इस खबर पर धर्म और राजनीती बहुत हुई लेकिन किसी ने भी ईरान और मिस्र की खाद्य सुरक्षा को लेकर समीक्षा नहीं की है।भारत में खाद्य सुरक्षा तथा आयात खाद्य सुरक्षा की इमारते तो है ,कानून भी है। लेकिन मिली भगत और लालच के कारण कोई नियंत्रण नहीं है जिसका खामियाज आम लोगो विशेष कर मध्यम वर्गीय परिवारों को भुगतना पड़ रहा है। गरीब तो हमेशा से ही भुगतता आया है। फूडमेन हमेशा से खाद्य कानूनों के प्रभावी तथा खाद्य सुरक्षा पर जनता से गंभीर होने के लिए चेताता आया है।और अपनी क्षमता अनुसार चेताता रहेगा।