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क्या इंस्पेक्टर राज की फिर से वापसी हो चुकी है ?
मोबाइल लैब जब से आयी है एक भय का माहौल व्यापारियों में व्याप्त हो जाता है तीस मिनट में रिपोर्ट और प्रकरण दाखिल। यूपी और राजस्थान में तो डेली सैंपल भरो अभियान चालू है।
यहां सवाल ये है कि व्यापारी भी 1 -2 लाख के दंड को मान कर चलता है क्योंकि उसकी पक्की मान्यता है कि भारत देश के त्यौहार और शादी पार्टी सीजन में वो कई लाखों का नकली व्यापार कर सारे सरकारी नुकसान झेल सकता है।
भारतीय व्यापारी मानने को तैयार नहीं कि उसे कुछ सीखना है। और फ़ूड सेफ्टी अफसर भी मान चुके हैं कि उसे कुछ सीखने के लिए प्रेरित नहीं करना है। खाद्य प्रशासन में फाइलों में फ़ूड सेफ्टी अथॉरिटी से आये टारगेट पर ही काम हो रहा है। फ़ूड सेफ्टी मेला एक सरकारी बजट प्रोग्राम है जिसे ईट राइट इंडिया हर शहर में बनाया जाता है।
बच्चों के खेल और सांस्कृतिक समारोह और मोटे अनाज जैसे बाजरा रागी पर फोकस कर सरकारी भोंपू बाज़ा कर के दिल्ली में वैठे अधिकारी सभी जिले के खाद्य प्रशासन को रैंकिंग प्रदान कर देते हैं।
वैसे ये कम लोग ही जानते हैं कि भारत में दस हज़ार भी फ़ूड सेफ्टी अफसर नहीं हैं।
फ़ूड सेफ्टी के लाइसेंस , रजिस्ट्रेशन पुरे देश में बनने के हिसाब से सरकारी रफ़्तार से हिसाब लगया जाय तो चार सौ साल लगेंगे। अब व्यापरी को उसके बिल पर लाइसेंस नंबर का झंझट और खड़ा हो गया है , क्योंकि इस काम में भी यदि निगरानी बड़ा दी जाय तो वही व्यापारी दंड दे लेगा। आगे से लिखवा लूंगा बोल कर हाथ जोड़ लेगा।
फ़ूड सेफ्टी अथॉरिटी दिल्ली अभी मुखिया रहित है और देश में फुड एक्सपर्टों का अकाल पड़ चूका है तभी तो इंडियन राजस्व सेवा रैंक की अधिकारी रेगुलेटरी और सरकारी गज़ट पर सारे आर्डर पर तिथियों को आगे बढ़ाती जा रही हैं। क़ानूनी अमला जामा ( Enforcement ) नहीं पहन सकता। रिकॉल सुने हुए तो कई साल हो गए।