सच का सामना
ग्रेट चाइना अकाल
सरकार की गलत नीतियों से पैदा हुवा ग्रेट चाइना अकाल
अकाल में भूख का तांडव
हम भारतीय लोग चाइनीज खाने पीने के तरीको को देख कर मुँह बिगाड़ लेते है और वो वैसा है भी।
चाइनीज लोग कुछ भी खा सकते है जो जिन्दा हो। चाइना में क्या क्या खाया जाता है उसके बारे में विस्तार से बताने की जरुरत नहीं है हर किसी को पता है। लेकिन ये सिक्के का एक ही पहलू है।
भूख और ताकत इंसान से क्या क्या करवा सकती है ये इस बात का एक उदाहरण है।
ग्रेट चाइना फेमिन या चाइनीज सूखा जो किसी पर्यावरणीय घटना का नतीजा नहीं अपितु इंसान के भगवान बनने का दुष्प्रभाव था। आपने मुहावरा सुना होगा चिड़िया चुग गई खेत लेकिन बिना चिड़िया के भी खेत बर्बाद हो सकते।
चीन आज चाहे जो हो, लेकिन चीन की जनता हमेशा से सताई गई और अत्याचारों से पीड़ित रही है।
आज चीन के नाम पर भारत में राजनीति ही होती रही है लेकिन चीन का इतिहास भी उतना दर्दनाक है जितना हमारे भारत का है।
माओ ने सत्ता सँभालते ही जनता का ध्यान कम हो रही फसलों की उपज की और लगाया और कहा कि हमारी फैसले चूहे ,और चिड़िया बर्बाद कर रहे तो इनका ही खात्मा कर दो।
सन 1958 में माओ ने चीन को आर्थिक संकट से उबरने के लिए ग्रेट लीप फॉरवर्ड ( Great leap forward ) प्लान तैयार किया था, जिसमे फॉर पेस्ट कैम्पेनिंग यानी चार जन्तुओ का सफाया जिसमे मक्खी ,मच्छर ,चूहे और गौरैया (चिड़िया )शामिल किये गए थे। जनता को इनके सफाये के लिए प्रेरित और पुरस्कृत किया जाने लगा।
देखते ही देखते चिडियो की पूरी आबादी साफ कर दी गई मच्छर मक्खियों के लिए बहुत ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल किया गया। जिसका नतीजा ये हुआ की फसल की उपज आधी से भी कम हो गई और बची हुई फसल को टिड्डियों ने चट कर दिया।
साल 1960 तक आते आते चीन भयंकर सूखे की चपेट में आ गया और शुरू हुवा भूख का ताण्डव। भूखे लोग खाने की हर चीज को खाने लगे।
चींटियों के बिल खोद कर अनाज निकला जाता और चींटियों को भी खा लिया जाता था। हर जिन्दा जानवर जो उनकी पकड़ में आता भून का खा लिया जाता था। टिड्डियाँ ,बिच्छू ,कॉकरोच,सांप ,नेवले,चमगादड़ ,कुछ भी खा लिया जाता था। चीनी लोग अपनों की ही लाशे खाने को मजबूर हो गए। 2 करोड़ से भी ज्यादा लोग भूख से और भूख की वजह से मारे गए। हालात देखते हुये फॉर पेस्ट कैम्पेनिंग को हटा दिया गया लेकिन हालात सुधरने में सालों का समय लग गया।
जो हालात पैदा हुवे थे वो चीन पर जापानी हमले के दौरान पैदा हुए हालत से भी बदतर हो गए थे। बच्चे,बूढ़े, जवान व महिलाएं कोई भी भूख से जीत नहीं पाया।भुखमरी के इतिहास के काले पन्नो पर दर्ज ये घटना आज भी ये याद दिलाती है की हर जीव का महत्त्व क्या होता है किसी के लिए कोई जानवर अनुपयोगी या नुकसान दायक हो सकता है लेकिन प्रकृति में हर जीव का एक महत्वपूर्ण स्थान और एक महत्वपूर्ण काम होता है तभी वो है।
मक्खी और मच्छर भी मधुमक्खी की तरह फूलों के पराग के लिए महत्त्वपूर्ण होते है जिससे फसले पकती है , नहीं तो आप का खेत पर लगे धान के पौधे मात्र फूलो के पौधे बन कर रह जायेंगे।