कंज्यूमर कार्नर
फ़ूड डमिंग डाउन -खाद्य मूर्खता
फैशन के नाम पर फ़ूड डमिंग डाउन को बढ़ावा
खाद्य उद्योग कॉरपोरेट जानबूझ कर समाज में घोल रहे है – फ़ूड डमिंग डाउन
फ़ूड डमिंग डाउन यानि खाद्य मूर्खता को जानबूझ कर खाद्य उधोग के बड़े घरानो द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है।
चीख चिल्लाहट के साथ पार्टी करना और कुछ भी खा लेना पी लेना आज न्यू नार्मल हो गया है।कभी पनीर (cheese ) के नाम पर फ़ूड ब्लॉगर द्वारा वाह वाह करके हमें नकली और मिलावटी पनीर की रेहड़ियों और बड़े पीज्जा रेस्टोरेन्ट की तरफ धकेल दिया जाता है।
तो कभी किसी और फ्यूजन फ़ूड की डिजिटल मार्केटिंग करके उस खाद्य के पक्ष में वाह वाह करने को मजबूर किया जाता है जिसका स्वाद भी आप को पसंद नहीं या स्वास्थ्य की दृस्टि से बहुत ही हानिकारक है। अपने आधारभूत और शरीर व शरीर की प्रकृति को दरकिनार कर आज हम सब उन बीमारियों के साथ जीना सीख रहे है।
इसे ही फूडमेन के अनुसार फ़ूड डमिंग डाउन ( DUMING DOWN ) इफ़ेक्ट कहा गया है।
ये एक वैश्विक रूप से काम में ली जाने वाली रणनीति है। जिसका मुख्य उद्देश्य फिजूल के ज्ञान को सरल और आसानी से जनता को समझाया जाता है। और काम की जानकारियों या सूचनाओं और जटिल कर दिया जाता है। ताकि हर कोई न समझ पाए।
आप इसको मसाला मूवी और आर्ट मूवी के फर्क से समझ सकते है या टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों से भी समझ सकते है। कई विज्ञान संबंधी टीवी चैनल आपको ब्लैक होल पर कार्यक्रम बनाते या समझते दिख जायेंगे। जो संभावना कभी संभव ही नहीं हो सकती उसको लेकर घंटों की डॉक्यूमेंट्री बना कर आपको फेक्टिफाइड किया जा रहा है।
अगर धरती के पास कोई ब्लैक होल हो तो क्या होगा ? जब सूरज करोडो साल बाद अपने अंत पर होगा तो क्या होगा। एलियन ,जादू ,रहस्य ,अनसुलझी पहेली ,जैसे कार्यक्रम टीवी पर दिखाए ही इसी लिए जाते है ताकि आपका ध्यान आकर्षित रहे और उसी ध्यान आकर्षण में आपको उत्पादों के विज्ञापन दिखा कर आपके अवचेतन मस्तिष्क पर काबू करके आप में मूर्खता और वो जानकारियां भर दी जाये जिसका वास्तविक जीवन में कोई उपयोग नहीं होता है।
जबकि कई और मसलो पर मीडिया एक दम खामोश है या बहुत ही कठिन या न समझ सकने वाली भाषाओं में कार्यक्रम बनाये जाते है।
आप में से कितनो ने अपने फेवरेट चिप्स या कुकीज के पैकेट को पढ़ा है। कितनी सफाई से आपके समझने वाले शब्दो का प्रयोग शुरुवाती जानकारी जैसे कितना फ्री है। या कितना टेस्टी है दिखाया जाता है। और सामग्री में छिपी जानकारी कितने कोड या वैज्ञानिक नामो से छाप कर आपके सामने से जानकारिया छुपा ली जाती है। इसे ही फ़ूड डमिंग डाउन कहते है।
फ़ूड डमिंग डाउन से मतलब जब आप किसी भी खाद्य प्रदार्थ की क्वालिटी उसके ऊपर लिखी जानकारी से नहीं बल्कि उनके विज्ञापन के माध्यम से समझने लगते है।
नकली फ्लेवर नकली स्वाद को और प्रोडक्ट की सेल्फ लाइफ और सुंदर बढ़ाने के केमिकल जानबूझ कर उस भाषा में लिखे जाते है जो साधारण लोगो को समझ में न आये।
कई कुकिंग शो में लौकी की सब्जी को पनीर जैसी तो कोई बची रोटी या बासी रोटी की रेसिपी समझा रहा होता है।कई कुकिंग शो में ऐसे ऐसे एक्सपेरिमेंटल खाना बनाना सिखाया जाता है। जिसका कोई तुक ही नहीं लेकिन आश्चर्यजनक रूप से ऐसे एक्सपेरिमेंटल फ़ूड आप अपनी रसोई से लेकर रेहड़ी और होटल में खास रेसिपी के नाम पर देख सकते। बल्कि लोगों को खाते भी देख सकते है।
फूडमेन अपने पिछले कई लेखो में इसका जिक्र कर चुका है। कैसे आइसक्रीम के गुलाबजामुन के पकोड़े। नूडल्स आइसक्रीम मिठाई और नमकीन में फ्यूजन के नाम पर क्या क्या नहीं बनाया और परोसा जा रहा है।मजे की बात है की लोग भी जानते है की ये सब कुछ खाना उनके लिए हानिकारक है।
लेकिन फिर भी खाये बिना नहीं रहते।
किसी को पता है की सामने रखी चीज उल फिजूल है। लेकिन खुशबूदार और स्वाद है। और फिर भी आप थोड़ा थोड़ा बोल कर सारा खा जाये तो ये आप की मूर्खता का नहीं आपके गुलाम होने का प्रतीक हो जाता है। फ़ूड डमिंग डाउन का उदहारण है।
ये अब टीवी शो में फ़ूड शेफ एक से बढ़ कर एक व्यंजनों से खूब अच्छे तरीके से प्रतियोगिता के जरिये घर घर तक पहुँच भी रहे हैं।
ऐसी मानसिकता बनी नहीं बनाई गई है। जब आप कुछ भी खा कर वाह वाह करने लगे। यही फ़ूड डमिंग डाउन की पहचान है।
Makarand Deo
2 September 2023 at 11:24 am
Very nice content.