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गौमूत्र पीने पीलाने का गौरखधंधा 

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गौमूत्र अर्क बनाने के मानक अभी तक नहीं बने 

बाजार में गौमूत्र अर्क  के नाम पर कुछ भी बेचा जा रहा है 

गौमूत्र पंचगव्य चिकित्सा सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण अवयव है। पंचगव्य चिकित्सा सिद्धांत प्राचीन आयुर्वेद पर आधारित है। लेकिन आज के आधुनिक युग में पंचगव्य तत्वों की शुद्धता एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। फूडमेन अपने लेख- गौमूत्र पीने के फायदे या नुकसान ?   में बताया है। की प्राचीन गौ पालन और आधुनिक गौ पालन में किस तरह से अंतर है। 

भारत में गौमूत्र सदियों से उपयोग में लाया जा रहा है। लेकिन कभी भी बेचा नहीं गया। पिछले कुछ सालो में बाजारवाद और स्वास्थ्य के बढ़ते बाजार में गौमूत्र भी एक उत्पाद बनकर उभरा है। ताजा गौमूत्र से लेकर गौमूत्र अर्क व गौमूत्र के केप्सूल तक बाजार में अब उपलब्ध है। 

भारत में गौमूत्र का व्यापार करोडो का हो गया है। लेकिन कितने करोड़ का हो गया है इसके आंकड़े उपलब्ध नहीं है। भारतीयों में गोमूत्र को लेकर रुझान बढ़ा है। 

विडम्बना ये है की गौ मूत्र के लिए किसी भी तरह का मानक अभी तक तय नहीं हुवे है। जबकि कई बड़े कॉर्पोरेटस इसे अपने उत्पाद के रूप में बाजार में बेच रहे है। 

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI ) गौमूत्र को प्रमाणित नहीं करती है। और न ही इसे भारतीय आयुष व आयुर्वेद विभाग द्वारा कोई प्रमाणिकता दी गई है। इसके बावजूद गौमूत्र को बेचा जा रहा है। गौमूत्र उत्पाद में सबसे अधिक गौमूत्र अर्क को बेचा जाता है। जिसे बनाने की कोई भी विधि प्रमाणित नहीं है। 

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कैसे बनता है गौमूत्र अर्क -गौमूत्र अर्क के लिए गौमूत्र इकठ्ठा किया जाता है। परम्परिक रूप से इसे मिट्टी के पात्र में उबला जाता है तथा भाप को ठंडा करके अर्क बनाया जाता है। 

गोमूत्र के अर्क को लेकर लापरवाही –

गौमूत्र एकत्र करना आसान नहीं है। जिस तरह से गाय का दूध निकाला जाता है। वैसे गौमूत्र एकत्र नहीं होता है। इसका कारण टाइमिंग है। क्यों की यह बिलकुल पता नहीं लगाया जा सकता की कोनसी गाय कब मूत्र विसर्जन करे। इसीलिए 300 से 400 गायो वाली गौशाला के लिए भी 50 लीटर गौमूत्र कर पाना मुश्किल होता है। 

इसलिए अधिकतर गौमूत्र एकत्र करने वाले गाय का दूध निकालते समय ही गौमूत्र एकत्र करते है। गाय का स्वभाव होता है की दूध देने से पूर्व मूत्र विसर्जन करती है। आयुर्वेद के अनुसार दुधारू गाय का मूत्र मानव उपयोग के लिए सही नहीं है। 

गौमूत्र का एकत्रीकरण 

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गौमूत्र एकत्र करने के लिए अधिकतर गौशालाओ और डेयरी फार्म में बाल्टी या किसी भी पात्र का उपयोग किया जाता है जिसे एकत्र करने के बाद बिना धोय छोड़ दिया जाता है। और अगली बार बिना धोय ही मूत्र एकत्र करने में काम में लिया जाता है। जिससे गौमूत्र में फंगस व जीवाणु पनप जाते है। 

गौमूत्र अर्क बनाने का तरीका 

गौमूत्र बनाने के लिए मिटटी या कांच के पात्र का ही उपयोग करना चाहिए। फ़ूडमेन ने अपने निरिक्षण में पाया है। की छोटे स्तर की गौशालाएं कांच के पात्र उपयोग में लाती है। लेकिन बड़े स्तर पर गौमूत्र बनाने वाले कॉर्पोरेट एलमुनियम या लोहे के बॉयलर काम में लाते है। जो आयुर्वेद के अनुसार गलत है। गौमूत्र का अर्क पानी की तरह साफ होना चाहिए। अगर इसका रंग धुंधला या हल्का पीलापन लिए हुवे है तो इसका अर्क बनाने में लापरवाही हुई है। 

गौमूत्र अर्क की पैकिंग 

गौमूत्र अर्क को हमेशा कांच के बर्तन में ही रखना चाहिए। लेकिन अधिकतर कॉरपोरेट इसे फूडग्रेड प्लास्टिक बोतल में पैक कर के बाजार में बेच रहा है। याद रहे गौमूत्र अर्क में किसी भी तरह से कोई तलछट या गंदगी नहीं हो सकती है। फिर भी उपभोक्ताओं को गुमराह करने के लिए कई उत्पाद अपनी पैकिंग में तलछट होने को लेकर इसे सामान्य ही बताते है। 

भारत में हालही के सालो में आस्था आधारित की उत्पाद बाजार में स्वास्थ्य से जोड़कर बेचे जा रहे है। जो किसी भी तरह से सरकारी मानक  संस्थाओ से प्रमाणित नहीं है। और स्वास्थ्य लाभ की जगह भयंकर स्वास्थ्य हानि पंहुचा सकते है। ऐसे में FSSAI को खुद से इन उत्पादों का संज्ञान लेना चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है। 

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3 Comments

  1. सत्यम ताम्बी

    21 August 2023 at 8:59 am

    यह जानकारी बहुत ही रोचक तथ्य से भरी हुई है। में स्वयं भी बहुत बार कहता हूं कि गौ मूत्र अर्क में बहुत भ्रम है।

  2. सत्यम ताम्बी

    21 August 2023 at 9:00 am

    ऐसी जानकारी उपलब्ध ओर करवाने में मदद करें

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