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 गौमूत्र पीने के फायदे या नुकसान ?

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गौमूत्र पीने योग्य बनाने के 4 सिद्धांत 

प्राचीन भारत का गौ पालन व गौमूत्र की स्थिति 

भारतीय संस्कृति में गायो को देवता समान माना गया है। तथा प्राचीन या कुछ दशक पहले के भारत की संस्कृति को देखा जाये तो उस समय संस्कृति का आधार ही गौ पालन था। खेती व्यापार ,उपचार आदि में गाय के दूध ,घी ,गोबर,व गौमूत्र  का उपयोग होता था। 

गौमूत्र व गोमूत्र अर्क कई बीमारियों के इलाज में उपयोग लाया जाता था। और इलाज सफल भी होते थे। 

वर्तमान परिपेक्ष में गोमूत्र पीना कितना सुरक्षित है। इसके लिए आपको प्राचीन गौ पालन ,और गौमूत्र पीने के सिद्धांतों को समझना होगा। 

प्राचीन गौपालन – प्राचीन गौ पालन में सार्वजानिक गौशाला से उलट निजी गौशाला का सिद्धांत था। गौशालाओ का अस्तित्व अंग्रेजों के बाद आया है। प्राचीन गौपालन में गायो को गौचर ( चारागाह ) में स्वतंत्र रूप से गायो को घास खाने के लिए छोड़ दिया जाता था। गाय अपने आप में कई तरह की घास को पहचानती है। तथा किसे खाना है किसे नहीं यह उसको जन्म से ही पता होता है। उस समय के चरागाहों में कई औषधीय पौधे व घास से भरपूर हुवा करते थे। जिससे गाये स्वस्थ रहती थी।तथा दूध में भी चरागाहों में लगे औषधीय तत्वों के गुण आ जाते थे। 

आधुनिक गौ पालन – आधुनिक गौ पालन में गायो को खूंटे से बांध कर ही रखा जाता है। उनको खाद्य फैक्टरी के कचरे से तैयार पशु आहार खिलाया जाता है। या एक या दो तरह की हरी व सुखी घास खिलाई जाती है। जिनमे कोई औषधीय गुण नहीं होते। तथा पशुआहार में खाद्य संदूषण व रसायन होते है जो गाय को बीमार करते है। ऐसे में गौमूत्र  मानव उपभोग के लिए कितना सुरक्षित हो सकता है ?

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प्राचीन गौमूत्र पीने का सिद्धांत – प्राचीन काल में गौमूत्र पीने के कई सिद्धांत थे।

(1) गौमूत्र हमेशा छोटी बछड़ियों का ही उपयोग में लाया जाता है। गर्भवती गायो या एक बार गर्भवती होने के बाद उनका मूत्र  साधारण इलाज में या पीने में नहीं किया जाता था। 

(2 ) गर्भवती या एक बार गर्भवती हुवी गाय का मूत्र महिलाओ के विशेष रोगों के लिए ही प्रयोग में लिया जाता था। 

(3 ) गौमूत्र किसी विशेष बीमारी के लिए विशेष अवधि के लिए ही पीया जाता था। इसका नित्य उपयोग नहीं किया जाता था। 

(4 ) गौमूत्र मिट्टी के बर्तन से ही लिया जाता था  जाता था। तथा गौमूत्र का अर्क निकालने के लिए भी मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता था। जिसका मुख्य कारण धातु से गौमूत्र में घुले कई रासायनिक क्रिया करके उसका स्वरूप बदल सकते है। 

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आधुनिक व वर्तमान युग में गौमूत्र पीना समझ के आधार पर ही छोड़ते है। फ़ूडमेन किसी भी रूप से गौमूत्र के विरोध में नहीं है। लेकिन आवश्यक सावधानियां रखनी जरुरी है। और गौपालन भी आदर्श पारम्परिक परिस्थिति में हो तो गौ मूत्र या गौमूत्र अर्क लिया जा सकता है। 

गौमूत्र और गोबर ही भविष्य में कृषि विशेष जैविक खेती का आधार होने वाले है। और इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। भारत में ही कई स्वयं सेवी व गौशालाएं अब परम्परागत गौपालन करने के साथ साथ कृषि क्षेत्र में भी आगे आ रही है। सरकार का भी फोकस अब जैविक और गौ आधारित कृषि पर है। और कई युवा और पढ़े लिखे लोग अब गौ आधारित खेती कर रहे है। करवा रहे है। 

भारत में गौमूत्र एक उत्पाद बन चूका है। कई तथाकथित गौशालाएं और डेयरी गौमूत्र बाजार में व ऑनलाइन बेच रही है। हिसाब से इनको या तो FSSAI बाजार में बेचने के लिए मान्य कर सकता है। या इलाज और चिकित्सीय गुणों की वजह से आयुष मंत्रालय ही गौमूत्र को बेचने के लिए मान्य व प्रमाणित कर सकता है।

लेकिन विडंबना है की दोनों ही विभागों द्वारा गौमूत्र को किसी भी तरह से मान्यता नहीं है।गौमूत्र और गौमूत्र अर्क को लेकर कोई मापदंड नहीं है। और हो भी नहीं सकते।  जबकि बाजार में गौमूत्र पीने वालो खरीदने वालो और बेचने वालो का बोलबाला है। जबकि क़ानूनी हिसाब से ये असंवैधानिक और गैरकानूनी है। जब दूध के लिए विशेष दिशानिर्देश व मापदंड है तो गौमूत्र के लिए क्यों नहीं ?क्या सिर्फ भावनाओ और आस्थाओ के साथ खेला नहीं जा रहा। 

निष्कर्ष – अब तक आपको समझ में आ ही रहा होगा की  आधुनिक युग में गौमूत्र या गौमूत्र अर्क पीना सुरक्षित है या नहीं। आज गायो को जिस तरह से एक ही चारदीवारी में पाला जाता है। तथा खाने में भी साफ़ व स्वस्थ पशुआहार  की कमी देखी जा सकती है। गाय बार बार बीमार पड़ती है। तो उसे एंटीबायोटिक्स व एलोपैथी की दवाये दी जाती है। तथा दूध बढ़ाने के लिए कई तरह की दवाओं का उपयोग होता है। ऐसे में गौमूत्र या गौमूत्र अर्क पीना स्वास्थयवर्धक न हो कर कई बीमारियों का कारण बन सकता है। 

फ़ूडमेन किसी भी रूप से गौमूत्र के विरोध में नहीं है। लेकिन आवश्यक सावधानियां रखनी जरुरी है। और गौपालन भी आदर्श पारम्परिक परिस्थिति में हो तो गौ मूत्र या गौमूत्र अर्क लिया जा सकता है। 

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2 Comments

  1. Bhoj Raj Singh

    19 August 2023 at 8:34 am

    Good write up.

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