सच का सामना

फ्लेवर सेवर : विश्व का पहला लाइसेंस जी एम् टमाटर

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 बाजार में टमाटर 10 रु किलो हो या 80 रू  टमाटर ख़रीदा जरूर जाता है।
प्राकृतिक या ऑर्गेनिक टमाटर का जीवन बहुत लम्बा नहीं होता है। जिसका खामियाजा प्रोसेस फ़ूड इंडस्ट्री और मंडी व्यापारी व किसान को भुगतना पड़ता है।
टमाटर भारत में ही नहीं पूरे विश्व में रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चाहे वो केचप या सॉस के रूप में हो या सब्जी में खट्टा मीठा स्वाद लाने के लिए हो। टमाटर का रंग और स्वाद से हर कोई परिचित है। ये बात अलग है की कुछ लोगो को टमाटर से एलर्जी रहती है। जिसके कई कारण हो सकते है। 
इसी क्रम में टमाटर का जीवन बढ़ाने के लिए टमाटर के साथ कई जीन तकनीक के प्रयोग किये गए। जिसमे से एक सफल किस्म को फ्लेवर सेवर ( Flavr savr )कहा गया।
फ्लेवर सेवर अनुवांशिक रूप से तैयार मानव निर्मित पहला जी एम् ओ  था जिसको लाइसेंस दिया गया था। 1980 की दशक में केलिफोर्निया की कम्पनी कोलजीन ( CALGENE )द्वारा विकसित किया गया था। फ्लेवर सेवर टमाटर कैलजिन द्वारा जोड़े गए दो  जीन एक एन्टीसेन्स पॉलिग्लेक्टोरोनेज जीन दूसरा एपीएच (3) द्वितीय जीन।
इन दोनो जीन की वजह से टमाटर की सेल्फ लाइफ सामान्य टमाटर के मुकाबले कही ज्यादा हो गई वही टमाटर में कवक व जीवाणुओं के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न हो गया।  जिससे टमाटर सड़ने की प्रक्रिया व टमाटर पकने की प्रक्रिया धीमी हो गई। मई 1994 में अमेरिकी खाद्य व औषधि प्रशासन द्वारा इसको सुरक्षित मानते हुवे लाइसेंस व बिक्री की मंजूरी दे दी गई थी। लेकिन जल्दी ही इसकी बिक्री कम होने लगी। जिसकी वजह रही टमाटरों का स्वाद व अमेरिकी जनता का जीएमओ प्रति जागरूकता रही।
फ्लेवर सेवर टमाटरों को पकने से पहले यानि की जब वो हरे रहते तभी तोड़ लिया जाता तथा बाजार में पहुंचने से पहले एथिलीन गैस द्वारा पकाया जाता था जिससे टमाटर पक तो जाता था।   लेकिन प्राकृतिक परिवेश के हार्मोन की अनुपस्थिति में टमाटर का स्वाद निश्चित रूप से बदल जाता था।  जिसका कोई प्रभावी उपाय कम्पनी द्वारा नहीं निकला गया। वही दूसरी तरफ अमेरिकी जनता अपने खाने में क्या है की जागरूकता के चलते फ्लेवर सेवर टमाटरों पर Gmo का टैग होने की वजह से इस टमाटर को जनता ने ही नकार दिया।
1997 में कैलजीन कम्पनी को फ़ूड जॉइंट मोनसेंटो द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया। इसके बाद आधिकारिक रूप से फ्लेवर सेवर टमाटर के उत्पादन का कोई समाचार नहीं है। और न ही आधिकारिक रूप से इसका बाजार में होने से इंकार है।
भारत में भी GMO  टमाटर को लेकर कोई आधिकारिक जन सूचना का कोई समाचार नहीं है। वही न होने का भी कोई पुख्ता खोज खबर नहीं है।
हाल ही में फ़ूडमेन द्वारा आरटीआई में पूछे गए GMO  को लेकर सवाल पर अभी तक FSSAI  द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है।
आज भी भारतीयों को पता नहीं की जो टमाटर रसोई में है। या उनके टमाटर सॉस या कैचप में है। वो कही वही विवादित फ्लेवर सेवर या किसी और GM  परिष्कृत टमाटर है या जैविक टमाटर है। हाइब्रिड के नाम पर बीज कंपनियां अपनी मनमानी कर रही है। जिसका खामियाजा आम जनता को अपने स्वास्थ्य और दवाइयों द्वारा चुकाया जा रहा है।

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