कंज्यूमर कार्नर
गोरा बनाने वाले उत्पादों में पारे और आर्सेनिक की मात्रा तय सीमा से बहुत अधिक मिली: गुर्दों पर असर पड़ा
गोरा बनाने वाले उत्पादों का काला सच
भारत में जब से सिनेमा आया है हर कोई हीरो हीरोइन जैसा दिखना चाहता है। गौरा होने की अंधी दौड़ में शामिल हर युवा एक समय के बाद कई गंभीर समस्याओ से घिर जाता है। यहाँ तक की जानलेवा स्थिति तक पहुंच जाता है।और जब तक समझ में आता है। तब तक देर हो जाती है।
ऐसा ही एक मामला हाल फिलहाल में सामने आया है।
मुम्बई के अकोला इलाके में रहने वाली दो बहनो और उनकी माँ को एक ही तरह की फेयरनेस मेकअप और क्रीम के चलते किडनियाँ (गुर्दे) ख़राब होने की स्थिति में पहुंच गई। तीनो ग्लोमेरुलोरफराइटिस से पीड़ित पायी गयी यानि की किडनी के छोटे फ़िल्टर नेफ्रॉन्स क्षतिग्रस्त हो गए। चिकित्सीय जांच में तीनो के ही खून में पारे की मात्रा सामान्य से 6 गुणा अधिक पायी गयी। जो कि चिकित्सकों के लिए जांच का विषय बन गया। आखिरकार चिकित्सकों को तीनो द्वारा इस्तेमाल में लायी जा रही फेयरनेस क्रीम व किट में पारा तय सीमा से अधिक पाया गया।
विडम्बना ये रही के लगभग सभी बड़े राष्ट्रीय अखबारों ने इस खबर को अपनी तरह से छापा लेकिन किसी में भी उत्पाद का नाम व निर्माता का नाम नहीं बताया गया है।
भारत जैसे देश में ऐसी खबरों के साथ विडम्बना यही रहती है।प्राय ऐसी खबरों को बताया ही नहीं जाता या बताया भी जाये तो निर्माता का नाम छुपा लिया जाता है। क्यों की इन्ही के विज्ञापनों से मीडिया हाउस चलते है।
भारतीयों के साथ ये भी विडम्बना है कि अधिकतर मामलों में ये पता ही नहीं चलता की उनके द्वारा उपयोग में लिए जा रहे सौन्दर्य प्रसाधनों से उनको कैंसर व विशेष अंग की खराबी आदि हो रही है। और जिनको हो चुकी होती है वो भी इसके कारणों को पता नहीं लगा सकते है। सिर्फ इलाज ही चलता रहता है।
आज भी कैंसर किडनी से जुड़ी बीमारियों के मरीजों को सही से अपनी बीमारी का कारण नहीं पता होता है। सिर्फ अंदाजे और अनुमान ही लगाए जाते है।
2015 में एक अकादमिक शोध में भारतीय बाजारों में उपलब्ध चेहरा गोरा बनाने के उत्पादों का IPC-MS द्वारा तय मानक के साथ तुलना की गयी। जिसमे लगभग सभी उत्पादों में पारे और आर्सेनिक की मात्रा तय सीमा से बहुत अधिक मिली। महंगे से लेकर सस्ते और माध्यम श्रेणी के हर उत्पाद में खतरनाक व कैंसरकारक तत्वों की बढ़ी हुई मात्रा तय मानक से दो से तीन गुना तक अधिक थी।गौरे होने के जूनून में कितने ही लोग गंभीर बीमारियों के चपेट में आये है। इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।
खतरनाक केमिकल से बने सौंदर्य प्रसाधन का परिणाम एक बार के लिए तो बेहतर हो सकते है। लेकिन इनका असर आपके चहरे की चमक के साथ बीमारियों का अँधेरा भी साथ में लाता है।
फ़ूडमेन ऐसे ही पीड़ितों का आह्वान करता है जो किसी न किसी उत्पाद की वजह से आज गंभीर रूप से बीमार है। फ़ूडमेन ऐसे पीड़ितों की लड़ाई में उनके साथ खड़ा रहेगा। फ़ूडमेन से संपर्क के लिए foodman.co.in पर जा कर टेलीग्राम से जुड़कर सीधे संपर्क किया जा सकता है।