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डर्टी डील चरम पर : GMO के पैरवीकारों की जीत तय

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FSSAI का GMO खाद्य के लिए राय शुमारी जारी  बिना किसी ठोस वजह के कभी भी लागु हो सकता है नया कानून 

खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण ( FSSAI ) द्वारा GMO (जेनेटिकल मोडिफाइड ऑब्जेक्ट ) खाद्य को हरी झंडी दे दी गई है। और मसौदा व नियम कानून बनाने के लिए राय शुमारी की जा रही है।
18 नवम्बर से ही सार्वजानिक रूप से नियम कानून और राय शुमारी के लिए अगले 60 दिनों की अंतिम तिथि तय करली जाएगी।अभी तक की बैठकों में मसौदा ना बनने से पहले किसी को भी GMO खाद्य बेचने ,खरीदने या स्टॉक करने ,आयात ,निर्यात करने की सख्त प्रतिबन्ध लागु रहेगा।
तथा मसौदा व नियम बनने के बाद GMO खाद्य के लेबल पर पृष्ट भाग पर FSSAI द्वारा निर्धारित चिन्ह व “अनुवांशिक रूप से संशोधित जीव शामिल” () लिखना अनिवार्य होगा।साथ ही GMO खाद्य के किसी भी रूप मुख्य या अवयव के रूप में भी तो बताना जरुरी किया जा रहा है। इस पर आपत्ति व राय या किसी भी दृस्टि से जनता व जनहित संगठन अपना पक्ष FSSAI को अगले 60 दिनों के अंदर भेज सकते है। हालाँकि अंतिम तिथि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
फ़ूडमेन टिप्पणी
हालाँकि FSSAI ने अभी तक GMO की प्रमाणिकता और इसको भारतीय बाजार में उतारने की जल्दबाजी की वजह साफ नहीं है। और सार्वजानिक रूप से इस मसौदे के लिए धार्मिक संगठनों और जनहित संगठनों और किसान संगठनों से कोई विचार विमर्श नहीं किया है। और किया भी है तो अब तक सार्वजानिक रूप से इसकी जानकारी नहीं है।फ़िलहाल देश में किसी भी तरह का खाद्यान संकट भी नहीं है।  भारत आस्थाओ का देश है।1943 बंगाल के जानलेवा अकाल की भूख में भी लोगो ने किसी मनुष्य का मांस नहीं खाया। जबकि ऐसे हालातो में  चीन के अकाल में जहाँ लोगो ने भूख के मारे अपने मरे हुवे रिश्तेदारों को ही खाना शुरू कर दिया था।
FSSAI ने कही भी सार्वजानिक रूप से मसौदे की पृष्ठभूमि या प्राथमिक बिन्दुओ को भी सार्वजानिक नहीं किया गया।ऐसे में FSSAI की मंशा और नियत सन्देह के घेरे में आती तो है। FSSAI की GMO की निति फिर से नोटबंदी ,तालाबंदी और काले कृषि कानूनों की तरह ही लग रहे है। आम आदमी को तो पता ही नहीं हो क्या रहा है। और जब GMO लागु हो जाएगी। तब किसी के हाथ में कुछ नहीं रहेगा।

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