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चाइनीज नमक – भारत में उभरता नया स्वास्थ्य खतरा 

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सड़क की रेहड़ी से 5 स्टार होटल तक में इस्तमाल होता है चाइनीज नमक 

चाइनीज नमक -अस्थमा और ऑटोइम्यून डिजीज को ट्रिगर कर सकता है 

चाइनीज नमक उन हानिकारक खाद्य अवयवों में से एक है जो स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा नुकसान पंहुचा सकते है तथा बाजार में किसी को भी आसानी से उपलब्ध है। 

आज भारत में सड़क किनारे लगे चाउमीन ,मोमोज,कचोरी ,गोलगप्पे ,किसी भी तरह के नमकीन खाद्य पदार्थ में इस नमक की उपस्थिति तय मानकों से भी ज्यादा है। होटल रेस्टोरेंट ,ढाबो पर बनने वाली सब्जी में भी इसी चाइनीज नमक का उपयोग कर आपको परोसा जाता है। 

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क्या होता है चाइनीज नमक    

चाइनीज नमक का वास्तविक नाम है मोनो सोडियम  ग्लूटामेट (MSG ) Mono sodium glutamate जिसकी खोज जापान में हुई और अजीनोमोटो (aji-no-moto ) नाम की कम्पनी ने सबसे पहले इसका उत्पादन शुरू किया  था। MSG के आलावा और भी कई ग्लूटामेट तत्व होते है। खाद्य अवयव के इस समूह को E-कोड और  वैश्विक खाद्य भाषा INS ( International Numbering System for Food Additives ) में E -620 से E -649 तक में ग्लूटामेट को प्रदर्शित किया जाता है। इन्हे रेहड़ी से लेकर होटल तक के खाने में मिलाया जाता है। किन्तु इसका स्तर कितना होना चाहिए और कितना होता है। ये बताया ही नहीं जाता है। 

आज भारत में MSG को सबसे ज्यादा चीन से आयात होता है। भारत में करीब करीब 10500 टन MSG की खपत हो जाती है। जो की चौंका देने वाली बात है। गौर करने वाली बात ये है की  इस मात्रा की 60 प्रतिशत असंगठित बाजार यानी रेहड़ी,रेस्टोरेंट ,होटल आदी में खपत की जाती है। ग्लूटामेट के किसी भी अवयव की दैनिक खुराक मात्र 6 ग्राम बतायी जाती है। 

नोट – (दैनिक खुराक या दैनिक उपयोग की सीमा तो तय है। लेकिन दैनिक के साथ साथ लगातार इन खाद्य अवयवों की मात्रा कही भी निश्चित नहीं है। और यही हमारी बीमारियों का कारण बनता है ,वैश्विक छद्म (propogendial ) स्वास्थ्य व खाद्य एजेंसीया यही पर खेलती है।

आपको यह तो बता दिया जाता है की एक दिन में किसी दवा या खाद्य अवयव की दैनिक  अधिकतम मात्रा क्या होती है। लेकिन इसकी लगातार लेने की स्थिति में इसकी मात्रा कब तक और कितनी होनी चाहिए इसको छुपा लिया जाता है। ताकि वैश्विक व्यापार घराने अपनी मनमानी कर सके ) 

चाइनीज नमक की मांग क्यों है 

दरअसल में MSG या ग्लूटामेट मानव विकास में मांस के स्वाद का प्रतिनिधित्व करता है। शुरुवाती इंसानो ने कच्चा व पका हुवा मांस ही खाया है। अब सभ्य समाज में कई धार्मिक और मानवीय संवेदनाओ को देखते हुवे मांस का उपयोग कम हो गया है।

इंसान कृषि और फल सब्जियों से भी अपने शरीर के लिए पोषण लेने लगा है। ऐसे में अपने उत्पाद  में मांस का स्वाद उत्पन्न करके कई उत्पाद निर्माता अपने उत्पाद की मांग को बनाये रखने और बढ़ाने के लिए ग्लूटामेट जैसे अनैतिक खाद्य अवयवों का उपयोग करते है। जिनसे उपभोक्ताओं में उनके उत्पाद की मांग बनी रहे। 

अब जब यह राज की बात लगभग हर छोटे मोटे निर्माता को पता है। तो वो इसका लाभ उठाने के लिए उत्सुक रहता है। और इसका सबसे सस्ता विकल्प चाइनीज नमक है। 

चाइनीज नमक बनता कैसे है ?

चाइनीज नमक या MSG या ग्लूटामेट बनाने के कई तरीके है। जिसमे सबसे ज्यादा मांस उधोग के कचरे पर दही ज़माने की तरह ग्लूटामेट उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीवाणुओं को छोड़ कर उस कचरे का किण्वन करवा कर ग्लूटामेट प्राप्त किया जाना है। और इसके लिए गाय ,सुवर ,व मुर्गियों के कत्लखानो के कचरे जैसे चर्बी ,खून व टेंडेंस आदि का उपयोग होता है।

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प्राकृतिक रूप से ग्लूटामेट कई सब्जियों और बीन्स में पाया जाता है। लेकिन उनसे ग्लूटामेट निकलना महंगा होता है।  विरोधभास से बचने के लिए इसे एक खास तरह की समुंद्री घास पर इस चर्चा का अंत कर दिया जाता है। लेकिन सच्चाई यही है की अधिकतम ग्लूटामेट या MSG जो चीन द्वारा भारत निर्यात की जाती है। जानवरो के कत्लखानो के कचरे को ही किण्वन प्रक्रिया से ही बनाया जाता है।  

MSG कई मुस्लिम देशो में विवाद का वजह है। लेकिन इसे समुंद्री घास पर निपटाया जाता है। पाकिस्तान में MSG पर प्रतिबन्ध है। 

वही हरियाणा सरकार की विधान सभा में भी MSG या चाइनीज नमक पर प्रतिबंध करने के लिए चर्चा हो चुकी है। लेकिन हुवा कुछ नहीं। 

चायनीज नमक के दुष्प्रभाव 

MSG किण्वन विधि से बनता है या रासायनिक आसवन विधि से। इसके किण्वन विधि में जिन जीवाणुओं का उपयोग होता है उनसे उप्तन्न उत्पादों से अस्थमा होने की शिकायत आम है तथा साथ ही साथ इससे ऑटो इम्मून डिजीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

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जिसमे एलर्जी ,त्वचा पर चकते व सीलियक ,ग्लूटेन इन्टॉलरेंस( गेहूं से एलर्जी ) ,व लेक्टो इन्टॉलरेंस (दूध से एलर्जी ) व गर्भस्त शिशु को भी नुकसान हो सकता है।  MSG से खाने की लत या आदत पड़ सकती है जिससे आपको बार बार भूख लगना और मोटापा ,डाइबिटीज व ह्रदय व रक्त विकार भी हो सकते है। इसलिए प्राकृतिक स्वाद और मसालों का ही उपयोग करना व करवाना चाहिए। 

चाइनीज नमक आज रेहड़ी से लेकर बड़े होटलस के खाने की रीढ़ बन चूका है। वो लोग जो अपना खाना घर पर नहीं बना और खा पा रहे है वो इन्ही रेहड़ी और होटल में अपनी हैसियत के हिसाब से खा रहे है और जीवन व्यापी रोगो का शिकार हो रहे है। सिर्फ वो ही शिकार नहीं हो रहे है बल्कि अपने पैदा होने वाले बच्चो का जीवन भी शुरुवात से ही बीमारियों से ठूंस रहे है। 

सरकार अपनी विदेशी व्यापार नीति की वजह से इस जहर पर रोक नहीं लगा सकती है। लेकिन हमारी भी कुछ जिम्मेदारियां है। सिर्फ मौज मस्ती और देखा देखी के चलते अपने जीवन को एक तड़पता अंत देना ही फैशन है। तो सबको मुब्बाराक ? 

3 Comments

  1. Ghanasham B. Bendale

    1 September 2023 at 8:17 am

    Very good information.Thanks for alert.

  2. अजीत सिंह

    1 September 2023 at 8:41 am

    सच में चाईनीज नमक एक ज़हर है। देशी खाओ देश बचाओ

  3. Kuldeep Singh Rajpurohit

    8 September 2023 at 8:07 am

    Very good information thanks 🙏

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