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केंद्र सरकार का खाद्य सुरक्षा में अंडे देने का प्रस्ताव ठन्डे बस्ते में

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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के एक दशक केंद्र सरकार ने पोषण संबंधी मानकों में परिवर्तन करते हुवे कैलोरी और प्रोटीन में बढ़ोतरी व माइक्रो न्यूट्रिशन को शामिल करना अनिवार्य तो कर दिया है लेकिन अब तक के प्रस्तावों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।
सरकार का खाद्य सुरक्षा पर मंत्रालय द्वारा कई सिफारिशें और योजनाए लागु करने का प्रयास किया गया ,जिसमे अंडे को भोजन के रूप में परोसना भी शामिल रहा है। जो की केंद्र शासित प्रदेशो में स्कूल में पीएम पोषण योजना व आंगनबाड़ी व एकीकृत बाल विकास सेवा योजना व खाद्य सुरक्षा कार्यकर्मो में अंडे को जोड़ना प्रमुख रहा है। जिसमे गर्भवती व स्तनपान करवाने वाली मांताये भी शामिल है।

संशोधित एनएफएसए अनुसूची II, जिसे 25 जनवरी को अधिसूचित किया गया था, छह महीने से एक वर्ष की आयु के बच्चों और उच्च प्राथमिक कक्षाओं (VI-VIII) से शुरू होने वाले नौ समूहों के लिए पोषण मानकों को तय करता है। छह माह से छह वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिए तीन नई श्रेणियां बनाई गई हैं।

लेकिन कई राज्यों में अंडे को लेकर संकोच की स्थिति बनी हुई है। आज भी बहुसंख्यक वर्ग में अंडे को लेकर संशय की स्थिति है।ऐसे में चुनावी साल के नजदीक होने और बहुसंख्यक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए कई राज्य सरकार खाद्य सुरक्षा में अंडे को लेकर बहुत ही संभली हुई स्थिति में है।
वैसे भी देखा जाये तो पोषाहार में कैलोरी और प्रोटीन बढ़ाने के लिए अंडो के अलावा और भी कई विकल्प है जो की बच्चो और महिलाओ के लिए सर्वप्रिय हो सकते है।
अब चुनावो के बाद ही पोषाहार में कैलोरी और प्रोटीन बढ़ाने के लिए अंडा या कुछ और जोड़े जायेंगे। तब तक खाद्य सुरक्षा अधिनियम की 2023 की अधिसूचना ठन्डे बस्ते में ही रहेगी।

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